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राष्ट्रपति कोविंद ने किया सौनी योजना का शिलान्यास

कोविंद ने एक हजार करोड़ से अधिक की जलापूर्ति योजनाओं का शिलान्यास भी किया।

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 05 Sep 2017 09:28 AM (IST)Updated: Tue, 05 Sep 2017 09:28 AM (IST)
राष्ट्रपति कोविंद ने किया सौनी योजना का शिलान्यास
राष्ट्रपति कोविंद ने किया सौनी योजना का शिलान्यास

अहमदाबाद, शत्रुघ्न/अजय। राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार गुजरात यात्रा पर आये रामनाथ कोविंद ने सौराष्ट्र व कच्छ में नर्मदा का पानी पहुंचाने के लिए गुजरात सरकार की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए देश के अन्य राज्यों को जल प्रबंधन के लिए गुजरात से सीख लेने की नसीहत दी। कोविंद ने एक हजार करोड़ से अधिक की जलापूर्ति योजनाओं का शिलान्यास भी किया। 

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सौराष्ट्र के जसदण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने घेला सोमनाथ महादेव मंदिर में दर्शन करने के बाद इस जोन के लिए महत्वपूर्ण सौराष्ट्र नर्मदा सिंचाई योजना (सौनी योजना) लींक-4 के दूसरे चरण में 1068.63 करोड़ के कामों का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि गुजरात से उनका 45 वर्ष पुराना नाता है, यह उनका दूसरा घर है। गुजरात के लोगों से उन्हें प्रेम मिला है यह उनकी अमूल्य सम्पत्ति है। गुजरात सरकार के सौनी योजना के तहत नर्मदा के पानी से 115 बांधों को भरा जायेगा। गुजरात सरकार ने जलसंसाधन का श्रेष्ठ उपयोग किया है। गुजरात के इस अनुभव से लाभ लेकर देश के अन्य राज्यों को भी खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने  के लिए जलसंसाधन का यह मॉडल अपनाना चाहिए। 

राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक विकास क्षेत्र में गुजरात देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायी है। गुजरात सरकार ने पर ड्रोप मोर क्रोप के सूत्र को साकार कर दिखाया है, राज्य में नहरों का जाल बिछाकर कच्छ के रण में भी पानी पहुंचाया है जो सरकार के बेहतर प्रबंधन व सुशासन का एक बड़ा उदाहरण है। 

गुजरात के राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली ने कहा कि सौनी योजना से गुजरात के गांवों-गांवों में सिंचाई के लिए पानी पहुंचेगा। सौनी योजना द्वारा नर्मदा जल से 155 जलाशयों के जरिए 8 लाख से अधिक हेक्टर जमीन और 1297 गांव तथा 31 शहरों को जलसंकट से मुक्ति मिलेगा। 

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस अवसर पर कहा कि सौनी योजना से नर्मदा का पानी सौराष्ट्र के किसानों, पशुओं, जनता को मिलने से अब हरियाली क्रांति आयी है। उन्होंने कहा कि 1946 में सरदार साहब ने नर्मदा बांध की कल्पना की थी। जो उस समय पर्यावरण और पुनर्वसन के कारण विलंब में आती रही है। 1961 में इस योजना की नीव तैयार की गई लेकिन इतने साल बाद 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहल से इस योजना को पूर्ण किया गया समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल , केन्द्रीय  मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला , केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडवीया तथा राज्यमंत्रिमंडल के सदस्य मौजूद थे।   

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