Gujarat: आइएनएस विराट को सौ करोड़ में बेचने की तैयारी
INS Virat आइएनएस विराट को तोड़ने के लिए करीब 38 करोड़ रुपये में खरीदने वाले गुजरात के श्रीराम ग्रुप ने इसे 100 करोड़ रुपये में बेचने की मंशा जताई है। मुंबई की एन्वीटेक मरीन कंपनी ने आइएनएस विराट को एक संग्रहालय बनाकर सुरक्षित रखने की अपनी योजना बताई है।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। INS Virat: भारतीय नौसेना का समुद्र का शहंशाह आइएनएस विराट को तोड़ने के लिए करीब 38 करोड़ रुपये में खरीदने वाले गुजरात के श्रीराम ग्रुप ने इसे 100 करोड़ रुपये में बेचने की मंशा जताई है। मुंबई की एन्वीटेक मरीन कंपनी ने आइएनएस विराट को एक संग्रहालय बनाकर सुरक्षित रखने की अपनी योजना बताई है, जिसके बाद श्री राम ग्रुप के मालिक मुकेश पटेल ने कहा कि उन्होंने देशभक्ति दिखाते हुए आइएनएस विराट को खरीदा है, जो अब भावनगर के अलंग शिप ब्रेकिंग यार्ड पर खड़ा है। निकट भविष्य में इसे तोड़ा जाना है, लेकिन अगर कोई कंपनी इसे खरीदने में अपनी रुचि दिखाती है तो वह एक सौ करोड रुपये में इसे बेचने को तैयार हैं।
उनका दावा है कि आइएनएस विराट का बाजार मूल्य 125 करोड़ रुपये है, लेकिन वह 100 करोड़ रुपये में बेचने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि आइएनएस विराट को खरीदने वाले को नौसेना तथा रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। गौरतलब है कि गुजरात के श्रीराम ग्रुप में आइएनएस विराट को 38.54 करोड़ रुपये में खरीदा है तथा यह तोड़े जाने के लिए हाल भावनगर ब्रेकिंग यार्ड में पहुंच गया है। गोवा सरकार भी आइएनएस विराट को खरीदना चाहती है, वह गोवा के समुद्र तट पर उसे समुद्र के वॉरियर के रूप में वह संग्रहालय के रूप में प्रदर्शित करना चाहती है। आइएनएस विराट के खरीदार सामने आने के साथ ही श्री राम समूह इसकी कीमत तीन गुना बढ़ाकर सवा सौ करोड़ रुपये बताना शुरू कर दिया है। हालांकि आइएनएस विराट को खुले बाजार में बेचना या खरीदा जाना इतना आसान नहीं होगा। चूंकि इस एयरक्राफ्ट कैरियर से भारत के नौसेना का इतिहास जुड़ा हुआ है तथा देश के हर व्यक्ति का लगाव इससे लगा हुआ है।
जानें, आइएनएस विराट को
भारतीय नौसेना पोत विराट (आइएनएस विराट) भारतीय नौसेना में सेंतौर श्रेणी का एक वायुयान वाहक पोत है। भारतीय सेना की अग्रिम पंक्ति का यह पोत लंबे समय से सेना की सेवा में है। 1987 में भारतीय नौसेना पोत विक्रांत के सेवामुक्त कर दिए जाने के बाद इसी ने विक्रांत के रिक्त स्थान की पूर्ति की थी। पोत ने सन 1959 रायल नेवी (ब्रिटिश नौसेना) के लिये कार्य करना शुरू किया व 1985 तक वहां सक्रिय रहा। इस का प्रथम नाम एचएमएस हर्मस था। इसके बाद 1986 में भारतीय नौसेना ने कई देशों के युद्ध पोतों की समीक्षा करने के बाद इसे रॉयल नेवी से खरीद लिया। इस सौदे के बाद इस पोत मे कई तकनीकी सुधार किए गए, जिससे इसे अगले एक दशक तक कार्यशील रखा जा सके। ये तकनीकी सुधार व रख-रखाव देवेनपोर्ट डॉकयार्ड पर हुए। 12 मई, 1987 को इसे भारतीय नौसेना में आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया गया।