Gujarat: आइआइएम अहमदाबाद के लोगो से संस्कृत हटाने की तैयारी, 40 सदस्यों ने किया विरोध
Gujarat भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद के लोगो को लेकर संकाय व संचालन बोर्ड में विवाद उत्पन्न हो गया है। बोर्ड आफ गवर्नेंस ने संस्थान के अंतरराष्ट्रीय लोगो से संस्कृत के सूत्र वाक्य को यह कहते हुए हटा दिया कि विदेश के लोग इसे नहीं समझेंगे।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात के अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) के लोगो को लेकर संकाय व संचालन बोर्ड में विवाद उत्पन्न हो गया है। बोर्ड आफ गवर्नेंस ने संस्थान के अंतरराष्ट्रीय लोगो से संस्कृत के सूत्र वाक्य को यह कहते हुए हटा दिया कि विदेश के लोग इसे नहीं समझेंगे। फैकल्टी ने इसे संस्थान की पहचान व संस्कृति के विरुद्ध बताते हुए निदेशक कुमार मंगलम बिडला को पत्र लिखा है। भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद के बोर्ड आफ गवर्नेंस ने पिछले माह चार मार्च को फैकल्टी काउंसिल की बैठक में यह बताया कि आइआइएम के दो लोगो होंगे। देश में वर्तमान लोगो चलेगा, जिसमें सिद्दी सैयद की जाली व उसके नीचे संस्कृत में विद्याविनियोगाद्वीकासः लिखा होगा, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संस्कृत सूत्र वाक्य के बिना सिद्दी सैयद की जाली को लोगो के रूप में दर्शाया जाएगा।
इन्होंने किया विरोध
संस्थान के 40 से अधिक संकाय सदस्यों ने बोर्ड आफ गवर्नेंस निदेशक कुमार मंगलम बिडला को पत्र लिखकर इस निर्णय पर विरोध जताया, लेकिन अभी तक उनका कोई जवाब नहीं आया। संस्थान के दोनों लोगों का मान्यता भी मिल चुकी है, लेकिन अब इसको लेकर फैकल्टी व बोर्ड आफ गवर्नेंस के सदस्यों में मतभेद है। फैकल्टी सदस्यों ने बोर्ड निदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि नए लोगो से संस्थान की पहचान पर विपरीत असर होगा तथा ये विदेश में संस्थान की विरासत, मूल्यों व उद्देश्यों को व्यक्त नहीं कर पाएगा। फैकल्टी का कहना है कि सिद्दी सैयद की जाली व संस्कृत वाक्य हमारी संस्कृति की पहचान हैं व भारतीय लोकाचार को दर्शाता है। वर्तमान लोगो देश के विकास, उद्यम, समाज व विकास से हमारे संबंध व प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उधर, बोर्ड सदस्यों का कहना है कि विदेश में संस्कृत को कोई नहीं समझता, ऐसे में देश व विदेश के लिए संस्थान के दो अलग-अलग लोगो बनाए गए हैं। आइआइएम के पूर्व निदेशक प्रो बकुल ढोलकिया ने लोगो में बदलाव पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर यह हमारे संस्थान की पहचान है। फैकल्टी काउंसिल से चर्चा के बिना लोगो बदलने का निर्णय हुआ, जिसे वापस लेना चाहिए।