शेरों की अवैध सफारी पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने गुजरात से किया जवाब-तलब
Illegal Safari of Lions. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने शेरों की अवैध सफारी पर गुजरात सरकार से जवाब-तलब किया है।
अहमदाबाद, जेएनएन। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने गुजरात सरकार से गिर के बाहर बू़ढ़े शेरों के लिए बनाई गई सफारी को लेकर जवाब-तलब किया है। गिर के समीप ही केंद्रीय जू अथॉरिटी की अनुमति के बिना संचालित देवलिया सफारी में शेरों ने एक कर्मचारी को मार दिया और दो को घायल कर दिया। मामले को लेकर मध्य प्रदेश के आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में याचिका लगाई थी।
आयोग ने गुजरात सरकार के वन व पर्यावरण विभाग को आठ सप्ताह के भीतर इस मामले में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। दुबे ने आयोग के समक्ष शिकायत में कहा था कि जूनागढ़ जिले में गिर अभयारण्य के पास ही देवलिया सफारी पार्क में 29 नवंबर, 2018 को दो शेरों के हमले में एक कर्मचारी रजनीश केशवाला की मौत हो गई व दो अन्य घायल हो गए थे। उन्होंने सफारी की वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं। दुबे ने अपनी शिकायत में कहा कि गुजरात सरकार, गिर क्षेत्र के बाहर देवलिया सफारी को अवैध रूप से संचालित कर रही है, जिसमें बूढ़े शेरों को रखा गया है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत देवलिया सफारी को चलाने के लिए 'सेंट्रल जू अथॉरिटी' से पूर्व अनुमति नहीं ली गई।
बताया जाता है कि जू अथॉरिटी, गुजरात सरकार से मामले की जानकारी मांग भी चुका है। दुबे ने अपनी शिकायत में आयोग को बताया कि यह घटना सरकार की लापरवाही का जीवंत उदाहरण है। सफारी में तैनात अन्य कर्मचारियों की जान भी जोखिम में बताई है। मामले में दोषी अफसरों पर कार्रवाई के लिए भी कहा गया है। कूनो के मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई इसी माह दुबे ने बताया कि मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो अभयारण्य में गुजरात के शेरों को बसाने का मामला अब तक अपनी परिणति तक नहीं पहुंच पाया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट दो बार निर्देश दे चुका है, लेकिन उसका पालन सुनिश्चित नहीं हो पा रहा। दुबे ने बताया कि इस मुद्दे पर जुलाई अंत में अवमानना याचिका पर दूसरी बार सुनवाई होना है।