गुजरात हाइकोर्ट की निजी अस्पतालों को चेतावनी, ज्यादा फीस वसूली तो निरस्त होंगे लाइसेंस
गुजरात हाईकोर्ट ने कोरोना का इलाज कर रहे अस्पतालों को चेतावनी दी है कि अगर ज्यादा फीस वसूली तो लाइसेंस निरस्त कर दिये जायेंगे।
अहमदाबाद, जेएनएन। कोरोना की चिकित्सा में निजी अस्पतालों द्वारा लाखों रुपये वसूलने के बारे में गुजरात हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेते कहा है कि यदि ये अस्पताल सीमा से बाहर जाकर मनमाना शुल्क वसूल करेंगे तो उनके लाइसेंस निरस्त कर दिए जायेंगे। जस्टिस जे.बी.पारडीवाला और जस्टिस इलेश वोरा की खंडपीठ ने इसे अमानीय बताते हुए कहा है कि राज्य सरकार को कार्रवायी करने के आदेश दिए गये हैं।
जस्टिस जे.बी.पारडीवाला एवं जस्टिस इलेश वोरा की खंडपीठ के समक्ष आयोजित सुनवाई में निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के इलाज के लिए लाखों रूपये की फीस का मुद्दा उपस्थित किया गया था। हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया कि सरकार को कोरोना के इलाज के लिए फीस का ढांचा निश्चित करना चाहिए। कोई भी निजी अस्पताल कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति से सीमा के पार फीस की वसूली नहीं कर सकता। सरकार को ऐसी छूट नहीं देना चाहिए। इस बीमारी के कारण समाज मुश्किली में है। यह समय मुनाफा कमाने का नहीं है।
अहमदाबाद में सिविल अस्पताल और एसवीपी अस्पताल में अब कोरोना मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं है। ऐसे समय वायरस भी फैल रहे है। कुछ अस्पताल एपिडेमिक एक्ट के तहत मां योजना में उचित फीस लेकर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवा रही है तो वहीं कुछ निजी अस्पताल अमानीव फीस वसूल रही हैं। कुछ धनवान लोगों के अतिरिक्त यह शुल्क अदा नहीं कर सकते। यह नफा करने का समय नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार इस बारे में कार्रवायी करे इसके निराकरण यथासम्भव शीघ्र ही कदम उठाये। यदि फिर भी निजी अस्पताल सीमा से अधिक फीस की वसूली बंद नही करे तो कोर्ट को कानूनी कार्यवाही के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसमें ऐसी अस्पतालों का लाइसेंस रद हो सकता है।
हाईकोर्ट ने आज की सुनवाई में निर्देश दिया कि यदि कोई बीमार व्यक्ति चिकित्सा के लिए या निदान के लिए सरकारी या निजी अस्पताल जा रहा है तो पुलिस को उसे रोककर अवरोध पैदा नहीं करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को चिकित्सा सेवा में अवरोध नहीं करना चाहिए। किसी को इस सेवा से वंचित नहीं रखा जा सकता। पुलिस को बुद्धि विवेक के साथ व्यावहारिक रूख अपनाना चाहिए।
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