Cannes Film Festival 2022: जूही पारेख मेहता ने कांस फिल्म फेस्टिवल में गुजरात का नाम किया रोशन
Cannes Film Festival 2022 कांस फिल्म फेस्टिवल में फिल्मकार जूही पारेख मेहता ने गुजरात का नाम रोशन कर दिया। पहली बार अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में सबसे कम उम्र की गुजराती बाला को इस तरह रेड कारपेट वेलकम मिला।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। फिल्मकार जूही पारेख मेहता ने कांस फिल्म फेस्टिवल में गुजरात का नाम रोशन कर दिया। पहली बार अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में सबसे कम उम्र की गुजराती बाला को इस तरह रेड कारपेट वेलकम मिला। जूही आने वाली फिल्म "सफेद" की सह निर्माता हैं। इस फिल्म में बनारस की विधवाओं व किन्नरों के रहन सहन व उनकी जिंदगी की चुनौतियों को फिल्माया गया है। कांस फिल्म फेस्टिवल में "सफेद" फिल्म का विशेष प्रदर्शन रखा गया, जिसे अंतरराष्ट्रीय जूरी ने खूब सराहा। जाने-माने संगीतकार एआर रहमान ने वहीं पर इसका पोस्टर भी जारी किया। पहली बार सबसे कम उम्र की गुजराती फिल्म कार के कांस फिल्म फेस्टिवल में पहुंचने से गुजराती सिनेमा में भी खुशी की लहर है।
जूही बताती हैं कि बनारस में महज 11 दिन में फिल्म "सफेद" की शूटिंग पूरी कर ली गई थी। फिल्म में काशी विश्वनाथ मंदिर, बनारस के घाट और कई ऐतिहासिक स्थलों को दिखाया गया है। मानवीय संवेदना को पिरोते हुए फिल्म "सफेद" में बनारस में रह रही विधवा महिलाओं के जीवन की मुसीबतों को दिखाया गया है। पति की मौत के बाद एक विधवा महिला को समाज में किस तरह अपना जीवन पर पर मरते हुए व्यतीत करना पड़ता है। इसी तरह पुरुष व महिला से इतर लिंग वालों को समाज किस नजरिए से देखता है और लोगों की जरा सी असंवेदना किन्नरों के जीवन को किस तरह पहाड़ की तरह पीड़ादायक बना देती है। इन बिंदुओं को लेकर "सफेद" फिल्म का फिल्मांकन किया है, जो अगस्त 2022 में रिलीज होगी। आगामी 10 जून को रिलीज होने वाली अभिनेत्री नुशरत भरुचा की फिल्म "जनहित में जारी" में भी जूही ने सह निर्माता की भूमिका निभाई है। इस फिल्म का गीत "तू है मेरा, मैं हूं तेरी फिर काहे की परदादारी" आजकल इंटरनेट मीडिया पर धूम मचा रहा है।
इसकी सह निर्माता जूही का बचपन अंग्रेजों के जमाने के रजवाड़े जाफराबाद में बीता, प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा मुंबई में हुई चर्चित एसएनडीटी यूनिवर्सिटी से स्नातक के बाद जूही ने फिल्मी दुनिया में हाथ आजमाया और शेर सिंह राणा जनहित में जारी तथा फिल्म "सफेद" में सह निर्माता की भूमिका निभाई। निर्माता-निर्देशक संदीप सिंह, विशाल गुरनानी, विनोद भानुशाली, कमलेश भानूशाली जैसे जाने-माने फिल्मकार का उन्हें साथ मिला। जूही सामाजिक व राष्ट्रीय मुद्दों पर खुलकर बोलती हैं। उनका कहना है कि बालीवुड को लेकर के समाज के एक तबके में गलत विचार हैं। बालीवुड युवक-युवतियों को रोजगार देने वाला तथा कई तरह के व्यापार उद्योग को सहारा देने वाला साबित हुआ है। यहां पर हर किसी को अपनी योग्यता के हिसाब से भाग्य आजमाने का मौका मिलता है। बालीवुड में भाई-भतीजावाद का आरोप सही नहीं लगता। यहां पर कई जाने-माने कलाकार फिल्मकार आदि ने अपनी मेहनत व कला के बूते नाम कमाया है। बालीवुड एक समंदर है, जो दुनिया के किसी भी कोने से आने वाले कलाकार को अपने में समा लेता है। जूही का कहना है कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी महिलाओं के जीवन में अपेक्षित बदलाव नहीं आया है, उनकी फिल्म सामाजिक विषयों के साथ एक खास वर्ग के दुख-दर्द व चुनौतियों को इंगित करती है। इस उम्र में अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दुनिया के नामी फिल्मकारों के बीच में खड़ा होना अपने आप में मेरे लिए गर्व की बात रही। गुजराती सिनेमा के लिए भविष्य में काफी कुछ करने की तमन्ना है। सही कहानी और प्रोजेक्ट मिला तुम्हें जरूर गुजराती सिनेमा में अपना योगदान देंगी।
जूही ने कही ये बात
इंस्टाग्राम पर युवक-युवतियों में खासी चर्चित रहने वाली जूही का मानना है कि आज के जमाने में इंटरनेट मीडिया एक पावरफुल प्लेटफार्म बन गया है, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति अपनी नासमझी के कारण किसी की कला व मेहनत का अनादर करे यह उचित नहीं है। आखिर एक फिल्म का निर्माण करने के पीछे कई लोगों की कई महीनों की मेहनत, सोच और पैसा लगता है। बंद कमरों में बैठकर किसी की आलोचना करना आज के सभ्य समाज में जायज नहीं ठहराया जा सकता। साइबर वर्ल्ड में आज हम चंद सेकेंड में दुनिया के किसी भी कोने तक पहुंच सकते हैं। हर किसी के काम को हम अपने नजरिए से जज नहीं कर सकते। एक फिल्मकार का काम लोगों का मनोरंजन करना तथा समाज को एक संदेश देना होता है। आखिर में जूही करती हैं कि उन्हें गुजरात के पर्यटन स्थल खूब आते हैं स्टैच्यू आफ यूनिटी व अक्षरधाम उनके पसंदीदा पर्यटन स्थल हैं।