डॉ वर्गीस कुरियन की बेटी ने गुजरात के पूर्व मंत्री दिलीप संघानी के दावे को किया खारिज
Dr Verghese Kurien. स्वर्गीय डॉ वर्गीस कुरियन को सफेद क्रांति का जनक कहा जाता है। 1999 में भारत सरकार ने कुरियन को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
आणंद, प्रेट्र। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड व गुजरात सहकारी दूध विपणन संघ के संस्थापक स्वर्गीय डॉ वर्गीस कुरियन की बेटी निर्मला कुरियन ने सोमवार को गुजरात के पूर्व मंत्री दिलीप संघानी के दावे को खारिज कर दिया कि कुरियन ने अमूल से धन दान करके ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन को वित्तीय मदद की।
गुजरात के भाजपा नेता और पूर्व राज्य मंत्री दिलीप संघानी ने आरोप लगाया था कि डॉ वर्गीस कुरियन ने अमूल से धन दान करके ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन को वित्तीय मदद दी। उनके मुताबिक, जब कुरियन अमूल का नेतृत्व कर रहे थे, तो उन्होंने ईसाई मिशनरियों को दान दिया। आप अमूल के रिकॉर्ड से ब्योरा ले सकते हैं। जब मैं मंत्री था, तो यह मुद्दा मेरे नोटिस में आया, लेकिन मुझे चुप रहने की सलाह दी गई क्योंकि कांग्रेस देश भर में इस मुद्दे को उठा सकती थी।
दिलीप संघानी के मुताबिक, गुजरात के डांग जिले में शबरीधाम के निर्माता लोग जब चंदे के लिए उनके पास गए तो उन्होंने ये कहते हुए मना कर दिया कि हम इसमें विश्वास नहीं रखते हैं लेकिन उसी दौरान उन्होंने अपने कार्यकाल में ईसाई संस्थाओं को चंदा दिया।
1997 में गुजरात के डांग जिले में आदिवासी कल्याण संगठन शबरीधाम की स्थापना हुई थी। स्वामी असीमानंद इसके संस्थापकों में से थे। असीमानंद हैदराबाद की ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में हुए धमाके में मुख्य अभियुक्त थे, जिन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत ने बरी कर दिया था।
हालाँकि डीएनए ने जीसीएमएमएफ़ के चेयरमैन राम सिंह परमार के हवाले से लिखा है, "हम ऐसे बोगस बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते."
निर्मला कुरियन ने कहा कि हमें ऐसे बयानों को अनदेखा करना चाहिए। देश में सफेद क्रांति की शुरुआत करने वाले संस्थानों के निर्माण में वर्गीस कुरियन द्वारा किए गए कार्यों पर ध्यान देना चाहिए। डॉ कुरियन की जयंती पर एनडीडीबी में एक कार्यक्रम के बाद निर्मल ने बताया कि मेरे पिता नास्तिक थे और (एक ईसाई होने के बावजूद) उनकी इच्छाओं के अनुसार संस्कार किया गया था। 26 नवंबर, 19 21 को पैदा हुए कुरियन का निधन नौ सितंबर, 2012 को हुआ था।
गौरतलब है कि कुरियन को 'सफेद क्रांति का जनक' कहा जाता है। 1999 में भारत सरकार ने कुरियन को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। कुरियन सीरियाई ईसाई थे। मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार आणंद में ही किया गया, क्योंकि उनकी आखिरी इच्छा यही थी।