Gujarat: सरकारी नौकरियों में भर्ती के संबंध में जारी परिपत्र को गुजरात हाई कोर्ट ने किया रद
Gujarat High Court सरकारी नौकरियों में भर्ती के संबंध में जारी परिपत्र को कोर्ट ने रद करते हुए आरक्षित वर्ग व महिला आरक्षण को वैधानिक तरीके से लागू करने की व्यवस्था दी है।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Gujarat High Court: गुजरात सरकार की ओर से सरकारी नौकरियों में भर्ती के संबंध में एक अगस्त, 2018 को जारी परिपत्र को गुजरात उच्च न्यायालय ने रद करते हुए आरक्षित वर्ग व महिला आरक्षण को वैधानिक तरीके से लागू करने की व्यवस्था दी है। मुख्य न्यायाधीश विक्रमनाथ व न्यायाधीश जेबी पार्डीवाला की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बताया कि आरक्षण को लागू करने का जो प्रावधान आरक्षण व्यवस्था के तहत किया गया है, सरकारी नौकरियों में उसी तरीके से भर्ती की जा सकती है। गुजरात सरकार ने एक अगस्त, 2018 को एक परिपत्र जारी कर सरकारी पदों पर भर्ती के सिस्टम में बदलाव कर दिया था। इसके तहत भर्ती के दौरान योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने पर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को आरक्षित सीट पर नौकरी दी जा सकती थी।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण राम, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर, पाटीदार युवा व कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल, विधायक जिग्नेश मेवाणी सभी ने इसका विरोध किया था। हाईकोर्ट में सरकार के इस आदेश को चुनौती दी गई थी। गौरतलब है कि बीते साल गांधीनगर में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी वर्ग की छात्राओं ने इसके खिलाफ तीन माह तक आंदोलन चलाया, जिसके बाद सरकार ने नए परिपत्र के प्रावधान लागू नहीं करने तथा सरकारी पदों की संख्या में इजाफा कर महिला आरक्षण की समूचित व्यवस्था की थी, लेकिन अब अदालत ने विवादास्पद परिपत्र को ही रद कर दिया है।
वहीं, गुजरात में वरिष्ठ वकील यतिन ओझा को लेकर हाई कोर्ट बहुत सख्त है। अदालत की अवमानना के मामले में उन्हें कोई राहत देने को तैयार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भले ओझा की वरिष्ठता छीने जाने पर उदारता दिखाई हो, लेकिन हाईकोर्ट में कोई राहत देने की गुंजाइश नजर नहीं आती। गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायाधीश सोनिया गोकानी व न्यायाधीश एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने वरिष्ठ वकील यतिन ओझा की ओर से अदालत की अवमानना मामले में बिना शर्त माफी मांगने के आग्रह को भी ठुकरा दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि ओझा ने आवेश में आकर अदालत की अवमानना की हो ऐसा नहीं लगता।