गुजरात में मृतक पर भी दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज, अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी पर रोक Ahmedabad News
Atrocity case. रमणभाई पटेल का दो अक्टूबर 2007 को निधन हो चुका है। मौत के 12 साल बाद वह किसी का उत्पीड़न कैसे कर सकते हैं।
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। गुजरात पुलिस ने दलित उत्पीड़न के एक मामले में 12 साल पहले मर चुके एक व्यक्ति व उसके परिजन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। मामला जब हाई कोर्ट पहुंचा तो अदालत ने न सिर्फ अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, बल्कि मृत व्यक्ति को दलित उत्पीड़न के मामले में आरोपित बनाए जाने पर राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब भी मांगा। कोर्ट ने मामले की निष्पक्ष जांच के निर्देश भी दिए हैं।
अहमदाबाद के चांदखेड़ा निवासी मुक्ति मीणा ने गत 11 जुलाई को रमणभाई पटेल, उनकी पुत्री दीपिका, पुत्र हेमेंद्र तथा बहू मित्तल के खिलाफ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जन जाति (उत्पीड़न की रोकथाम) कानून के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया। मीणा ने पाटीदार परिवार पर अपमानित करने, क्रूरता बरतने व जाति सूचक शब्द कहने का आरोप लगाया था। पाटीदार परिवार के तीन सदस्यों ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर फर्जी मुकदमे में फंसाए जाने की बात कही।
उन्होंने बताया कि रमणभाई पटेल का दो अक्टूबर 2007 को निधन हो चुका है। मौत के 12 साल बाद वह किसी का उत्पीड़न कैसे कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपितों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए। अदालत ने इस मामले में गुजरात सरकार को नोटिस देते हुए 17 अक्टूबर को जवाब पेश करने को कहा है।