नरोडा पाटिया दंगाः पूर्व मंत्री माया कोडनानी बरी, बजरंगी सहित 18 को सजा
नरोदा पाटिया हत्याकांड मामले में विशेष अदालत ने साल 2012 में 32 आरोपियों को दोषी करार दिया था और 29 को बरी कर दिया था।
शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। नरोडा पाटिया दंगा मामले में मुख्य आरोपी गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री डॉ मायाबेन कोडनानी को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया, जबकि विहिप नेता बाबू बजरंगी को मुख्य साजिशकर्ता मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। निचली अदालत ने कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके बाद कुछ वर्ष वह जेल में रही। उधर, विहिप नेता बाबू बजरंगी सहित 12 को हाईकोर्ट ने दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है।
गुजरात हाईकोर्ट ने नरोडा पाटिया दंगा मामले में शुक्रवार सुबह फैसला सुनाते हुए कहा कि घटनास्थल पर डॉ कोडनानी का होना सिद्ध नहीं हो पाया है, 4 पुलिसवालों ने बताया कि दंगा स्थल पर उन्होंने मायाबेन को नहीं देखा, जबकि निचली अदालत ने माना था कि कोडनानी ने लोगों के समूह को उग्र भाषण सुनाकर हिंसा के लिए उकसाया था। हाईकोर्ट ने माया कोडनानी को संदेह का लाभ देने के साथ उनके खिलाफ गवाह व सबूतों को अविश्वसनीय बताते हुए आरोपों से बरी कर दिया।
मायाबेन के निजी सहायक क्रपालसिंह सहित 17 अन्य को बरी कर दिया लेकिन विहिप नेता बाबू बजरंगी, प्रकाश राठौड, सुरेश छारा को मुख्य साजिशकर्ता व 15 अन्य को दोषी मानते हुए उनकी सजा यथावत रखी है। बजरंगी को निचली अदालत ने जीवंतपर्यंत कैद की सजा सुनाई थी जिसे हाईकोर्ट ने घटाकर 21 साल कर दिया।
टू विटनेस थ्योरी के आधार पर फैसला
हाईकोर्ट न्यायाधीश हर्षा देवानी व न्यायाधीश ए एस सुपैया ने टू विटनेस थ्योरी के आधार पर फैसला दिया। 4 पुलिसकर्मियों ने कोडनानी के पक्ष में बयान दिय जिसके चलते संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने उनहें आरोपों से बरी कर दिया जबकि इन्हीं 4 पुलिसकर्मियों ने बाबू बजरंगी के खिलाफ बयान दिए जिससे उन्हें दोषी मानते हुए 21 साल की सजा सुनाई। सरकारी वकील प्रशांत देसाई ने जबकि दोषियों को और सख्त सजा देने की मांग की तो अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार जमानत का विरोध भी नहीं करती है वहीं दूसरी ओर सख्त सजा की मांग करना लिप सर्विस अर्थात केवल बोलते रहने जैसे काम के अलावा कुछ नहीं है।
97 लोगों की हुई थी हत्या
27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एस-6 कोच में 58 कारसेवकों को जिंदा जला देने की घटना के बाद गुजरात में कई स्थलों पर दंगे भडक गए थे। अहमदाबाद में नरोडा - नारोल हाईवे के पास नरोडा पाटिया इलाके में 28 फरवरी को दर्जनों लोगों ने एकत्र होकर मुस्लिम समुदाय के लोगों पर हमला कर उनके घर जला दिए। इस हमले में महिला, बच्चों सहित 97 की मौत हो गई थी तथा 33 जख्मी हो गए थे। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम एसआईटी ने इस मामले की जांच की। सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन इस टीम के मुखिया थे।
बजरंगी सहित 12 को कारावास
उच्च न्यायालय ने विहिप के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित 12 को दोषी मानते हुए सजा सुनाई। बजरंगी को निचली अदालत ने जीवंत पर्यंत जेल की सजा दी थी लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी सजा करते हुए 21 साल निर्धारित कर दी। वह बीते कई साल से जेल में है, इसलिए जेल में बिताए समय को घटाने के बाद बाकी समय उनहे जेल में बिताना होगा।
गौरतलब है कि स्पेशल कोर्ट ने जिन 29 लोगों को बरी कर दिया था उनमें से भी 3 को हाईकोर्ट ने सजा सुनाई है जिनमें अधिवक्ता राजकुमार चमौली, परमिंदर सिंह, भरवाड शामिल है। इनके अलावा बिपिन आॅटोवाला, कालू भैया, सुरेश छारा, प्रेमचंद तिवारी, सुरेश लंगडा, प्रकाश राठौड, नरेश छारा, हरेश छारा, मुरली, नारण सिंधी, बाबू छारा आदि शामिल हैं। बचाव पक्ष के वकील योगेश लाखानी ने जहां बजरंगी की सजा कम करा दी वहीं अनय आरोपियों को भी सख्त सजा से बचाने में कामयाब रहे। उधर अल्पसंख्यक अधिकार मंच के संयोजक अधिवक्ता शमशाद पठान ने फैसले पर नाखुशी जताते हुए फैसले पर पुन: याचिका करने की बात कही।
जानें, किसने क्या कहा
डॉ मायाबेन को कांग्रेस सरकार के दबाव में फंसाया गया था, हाईकोर्ट के फैसले से न्याय की जीत हुई। कोडनानी ने भाजपा के लिए समर्पण भाव से काम किया था, उनकी इच्छा हुई तो संगठन में फिर से उनहें अहम जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
नितिन पटेल, उपमुख्यमंत्री गुजरात सरकार
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न्यायपालिका को भाजपा सरकार ने प्रभावित किया है, सरकार एक को सजा व दूसरे को उपहार जैसी नीति अपना रही है
परेश धनाणी, नेता विपक्ष गुजरात विधानसभा
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कांग्रेस ने साजिश करके भाजपा नेता व मंत्री डॉ मायाबेन को फंसाया था, हाईकोर्ट के फैसले से दूध का दूध व पानी का पानी हो गया
जीतू वाघाणी, भाजपा अध्यक्ष गुजरात