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Gujarat Bypoll: मोरवा हड़फ सीट पर कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ मतदान

Gujarat Bypoll सत्तारूढ़ भाजपा ने पूर्व विधायक निमिषा सुथार को इस सीट पर मैदान में उतारा है उन्होंने 2013 से 2017 तक इस सीट पर अपने उम्मीदवार के रूप में प्रतिनिधित्व किया। सुथार कांग्रेस के सुरेश कटारा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 02:57 PM (IST)Updated: Sat, 17 Apr 2021 06:53 PM (IST)
Gujarat Bypoll: मोरवा हड़फ सीट पर कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ मतदान
मोरवा हड़फ सीट पर कड़ी सुरक्षा के बीच अब तक 19 फीसद मतदान। फाइल फोटो

अहमदाबाद, प्रेट्र। Gujarat Bypoll: गुजरात में पंचमहल जिले के मोरवा हड़फ विधानसभा उपचुनाव में शनिवार दोपहर 12 बजे तक 19 फीसद से अधिक मतदाता मतदान हुआ। मोरवा हड़फ (एसटी) विधानसभा सीट पर 2.19 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से 19.40 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग सुबह सात से 12 बजे के बीच किया। वर्तमान में निर्वाचन क्षेत्र के 329 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ है। कोरोनो वायरस प्रकोप के मद्देनजर सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए प्रति बूथ मतदाताओं की संख्या 1000 है। अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित विधानसभा सीट मोरवा हड़फ के लिए उपचुनाव की आवश्यकता थी, क्योंकि निर्दलीय विधायक भूपेंद्र सिंह खांट को मई, 2019 में अयोग्य जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया था।

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उन्होंने इस मुद्दे पर गुजरात उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की है। इस साल जनवरी में खांट का निधन हो गया। कुल तीन उम्मीदवार मैदान में हैं। सत्तारूढ़ भाजपा ने पूर्व विधायक निमिषा सुथार को मैदान में उतारा है, उन्होंने 2013 से 2017 तक इस सीट पर अपने उम्मीदवार के रूप में प्रतिनिधित्व किया। सुथार कांग्रेस के सुरेश कटारा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों प्रतिद्वंद्वियों ने अपने-अपने बूथों पर सुबह अपने मताधिकार का प्रयोग किया। एक अन्य उम्मीदवार सुशीलाबेन मेडा निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। मतों की गिनती दो मई को सुबह आठ बजे से शुरू होगी 

इस सीट पर निर्दलीय चुनाव जीतने वाले भूपेंद्र सिंह खांट के निधन के चलते उपचुनाव हुआ है। नवंबर, 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद भूपेंद्र सिंह के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र को लेकर आपत्ति के चलते की विधानसभा की उनकी सदस्यता निलंबित कर दी गई थी। विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी के इस फैसले को तत्कालीन विधायक खांट ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत व गुजरात उच्च न्यायालय में भी चुनौती दी, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। मोरवा हड़फ सीट आदिवासी बहुल पंचमहाल जिले में आती है तथा यह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। भूपेंद्र खाट के पिता ओबीसी समाज से आते हैं, लेकिन उनकी माता आदिवासी थी। उनके जन्म के बाद माता अपने पीहर चली गईं और उनके साथ भूपेंद्र खांट अपने ननिहाल में ही रहे तथा वहां ही उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई। केंद्र सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, ननिहाल में रहकर शिक्षा पाने वाले बच्चों को उसकी माता के समुदाय का मान कर उसका प्रमाण पत्र बनाया जाता है तथा उसी आधार पर भूपेंद्र ने चुनाव लड़ा था।


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