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गुजरात में कानून-व्यवस्था और हिंदुत्व का अंडरकरंट

शहर से अभी एक चुनाव प्रचार निकला है। भाजपा के नेता यह याद दिलाने से नहीं चूके कि कांग्रेस काल में गुजरात में कच्छ से लेकर सौराष्ट्र तक माफिया का राज चलता था।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 27 Oct 2017 12:07 PM (IST)Updated: Fri, 27 Oct 2017 12:22 PM (IST)
गुजरात में कानून-व्यवस्था और हिंदुत्व का अंडरकरंट
गुजरात में कानून-व्यवस्था और हिंदुत्व का अंडरकरंट

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात में रणभेरी बज चुकी है। भाजपा एक बार फिर सबका साथ सबका विकास के नारे को आगे रखकर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस नोटबंदी, जीएसटी, किसानों के कर्ज व रोजगार के मुद्दों को उछाल रही है। पर अंडरकरंट हिंदुत्व और कानून-व्यवस्था का है। शायद यही कारण है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का मंदिरों का दौरा बढ़ गया है। भाजपा बुलेट ट्रेन, नर्मदा जैसे मुद्दों के साथ-साथ यह याद दिलाने से नहीं चूक रही है कि पिछले दो दशकों में राज्य में कफ्र्यू नहीं लगा है। जीएसटी को लेकर व्यापारियों के बीच उतरी कांग्रेस की काट कफ्र्यू विहीन शासन है।

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शहर से अभी एक चुनाव प्रचार निकला है। भाजपा के नेता यह याद दिलाने से नहीं चूके कि कांग्रेस काल में गुजरात में कच्छ से लेकर सौराष्ट्र तक माफिया का राज चलता था। पोरबंदर में सरकार का कानून नहीं चलता था। संतोकबेन जाडेजा जैसे लोग अपनी मनमानी करते थे। एडवोकेट महेश कसवाला संघ से जुड़े हैं तथा उनका कहना है कि नब्बे के दशक में अहमदाबाद लतीफ के नाम पर, कच्छ ममूमियां पंजूमियां और पोरबंदर माफियाओं के नाम पर पहचाना जाता था। राजकोट में भीमजी भाई, वल्लभ पटेल जैसे विधायकों की हत्या हो जाती थी। इस तरह की बदहाल कानून व्यवस्था को लोग भूले नहीं हैं।

राहुल गांधी पिछले दिनों में लगभग आधा दर्जन बार मंदिरों में जा चुके हैं। यह अब तक की परंपरा से पूरी तरह जुदा है। सूरत की दिव्या तेजानी कहती हैं कि वह भले ही मंदिर जाएं। लेकिन, संप्रग के दस साल में हिन्दू समाज के लिए कुछ नहीं किया। बल्कि साध्वी प्रज्ञा को केस में फंसाकर प्रताडि़त किया गया। बाहर यह सवाल जरूर है कि राज्य में नरेंद्र मोदी के चेहरे के बगैर क्या भाजपा अपनी पकड़ बनाए रख पाएगी।

कांग्रेस की ओर से भी लोगों के मन में यह बिठाने की कोशिश हो रही है कि मोदी का चुनाव तो 2019 में है। लेकिन ऐसा चेहरा सामने रखने में वह असफल हो रही है कि जो शांति व्यवस्था के मापदंड पर खरा उतर रहा हो।  

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