दलित युवती को पानी भरने से रोकने पर कोर्ट ने सुनाई सजा
राजपूत समुदाय की महिला ने दलित युवती को गांव के कुएं से पानी भरने से यह कहते हुए रोक दिया था कि उसके छूने से पानी अशुद्ध हो जाएगा।
अहमदाबाद, जेएनएन। दलित युवती को कुएं से पानी नहीं भरने देने व जातिगत आधार पर भेदभाव व प्रताड़ना के एक मामले में विशेष अदालत ने आरोपित महिला को ढाई साल व अन्य सहयोगी पांच आरोपितों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। गीर सोमनाथ के कोडीनार में वर्ष 2010 में यह मामला दर्ज किया गया था।
गिर सोमनाथ की कोडीनार ऊना तहसील के गांव सुगला में नवंबर 2010 को राजपूत समुदाय की महिला गीताबेन धीरुभाई खासिया ने साधना मनुभाई वाजा को गांव के कुएं से पानी भरने से यह कहते हुए रोक दिया था कि उसके छूने से पानी अशुद्ध हो जाएगा। उसने कहा कि पहले उसे पानी भरने दे, इसी बीच गांव के कुछ युवकों ने लड़की की चोटी पकड़कर खींच ली तथा उसे जातिगत संबोधन के साथ प्रताड़ित किया। 25 नवंबर को पीड़िता ने कोडीनार पुलिस थाने में इसकी एफआइआर दर्ज कराई।
कोडीनार के स्पेशल एससी एसटी एट्रोसिटी कोर्ट के विशेष जज एसएल ठक्कर ने मामले की सुनवाई के बाद आरोपित गीताबेन को ढाई साल की सजा व दस हजार रुपये जुर्माना तथा अन्य पांच आरोपितों को एक-एक साल की सजा सुनाई। महिला के खिलाफ एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट 1989 तीन 1 तथा आइपीसी की धारा 304, 504 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था, जबकि पांच आरोपितों को आइपीसी की धारा 147 के तहत सजा दी गई।