न्यायालय ने उल्लू की बलि देने वाले तीन आरोपितों की जमानत याचिका खारिज की
मानव सृष्टि के लिए वन्य-प्राणियों का होना जरूरी न्यायालय ने उल्लू की बलि देने वाले तीन आरोपितों की जमानत याचिका खारिज की
अहमदाबाद, जेएनएन। वड़ोदरा में लुप्त हो रहे उल्लू (घुबड़) को पकड़ कर काला जादू के नाम पर अंधश्रद्धा को बढ़ावा देनेवाले तीन आरोपितों की जमानत याचिका सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी है। न्यायाधीश ने अवलोकन किया कि मानव सृष्टि के लिए वन्य-प्रणियों का होना जरुरी है। विज्ञान ने भी यह बात स्वीकार की है। आरोपितों ने अंधश्रद्धा को बढ़ावा दिया है। लुप्त हो रहे उल्लू (घुबड़) की बलि देने की कोशिश की है।
तीनों आरोपितों ने वड़ोदरा सत्र न्यायालय में स्थायी जमानत की याचिका दायर की थी। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित कुमार कानाणी ने अवलोकन किया कि मानव सृष्टि के लिए वन्य-प्राणियों का होना महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक रुप से भी यह साबित हुआ है कि प्रकृति के लिए वन्यजीवों का होना जरूरी है। मानव सृष्टि और इकोलोजी एक-दूसरे पर्याय है। जिस तरह सांप मेढ़क को खाता है, उसी तरह मेढ़क बड़े जीव जंतुओं को खाता है। कल्पना करो कि सृष्टि में सांप ही न हो तो मेढ़क की संख्या कितनी बढ़ जाएगी। बड़े जीव जंतु की तादाद भी बढ़ जाएगी। इससे कितना नुकसान होगा। न्यायाधीश ने कहा कि यह गंभीर प्रकार का अपराध है। आरोपितों को स्थायी जमानत नहीं दी जा सकती है।
गौरतलब है कि वड़ोदरा शहर के सावली तहसील से गुजराती महीसागर नदी के किनारे से बीते दिनों आरोपित कमलेश रंगीत भाई जादव, भारत भाई कालुभाई परमार और पर्वतभाई लक्ष्मण भाई परमार ने उल्लू को पकड़ा था। इन तीनों का मानना था कि उल्लू की बलि देने से शाक्तियां मिलती है। अगर उल्लू को घर के आंगन में लटकाया जाए तो लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। आरोपितों ने उल्लू को तीन दिनों तक घर में रखा। उसे एक तांत्रिक को बेचने की सूचना पर पुलिस व विभाग की टीम ने तीनों को गिरफ्तार किया था।