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Gujarat: गुजरात में एआइएमआइएम की दस्तक से कांग्रेस की नींद उड़ी

Gujarat गुजरात में आदिवासी तथा मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस का परंपरागत मत बैंक माना जाता है। इन्हीं के दम पर पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी ने अपने जमाने में गुजरात में अब तक की सबसे अधिक 144 सीट जीतकर सरकार बनाई थी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 04:06 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 04:06 PM (IST)
Gujarat: गुजरात में एआइएमआइएम की दस्तक से कांग्रेस की नींद उड़ी
गुजरात की राजनीति में एआइएमआइएम की दस्तक ने कांग्रेस की नींद उड़ाई। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Gujarat: गुजरात की राजनीति में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) की दस्तक ने कांग्रेस की नींद उड़ा दी है। भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ गठबंधन करने के साथ इन दलों ने राज्य के मुस्लिम व आदिवासी वोट बैंक पर अपना दावा ठोक दिया है। गुजरात में आदिवासी व मुस्लिम कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक माने जाते हैं। इन्हीं के दम पर पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी ने अपने जमाने में गुजरात में सर्वाधिक 144 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। सोलंकी की 'खाम' (के- क्षत्रिय, एच- हरिजन, ए- आदिवासी तथा एम-मुस्लिम) थ्योरी की चर्चा आज भी गुजरात में होती है। भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) तथा एआइएमआइएम ने गुजरात में आगामी चुनाव के लिए बड़ा ही सोच-समझकर गठबंधन किया है।

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बीटीपी अध्यक्ष छोटू भाई वसावा ने ट्वीट करके खुद इस गठबंधन का एलान किया है। इसके बाद से प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में काफी हलचल है। कांग्रेस नेता इस घटनाक्रम के सीधे-सीधे इसे अपनी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की एक रणनीति के रूप में देख रहे हैं। इसमें वे भाजपा की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं कर रहे। हालांकि पिछले कुछ विधानसभा चुनावों तथा लोकसभा चुनाव में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी पहले से ही भाजपा को भारी समर्थन मिलता आ रहा है। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस का आदिवासी वोट बैंक मुस्लिम वोट बैंक के साथ मिलकर कांग्रेस का एक जिताऊ फॉर्मूला बन जाता है। सीधे तौर पर देखा जाए तो प्रदेश में इस नए गठबंधन से कांग्रेस के राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। वैसे, कांग्रेस का कोई भी नेता इस संबंध में आधिकारिक तौर पर बयान देने से बच रहे हैं, लेकिन गुजरात में यदि इस नए गठबंधन को स्वीकार किया जाता है तो इसके बाद के चुनाव में देश के अन्य राज्यों में भी इस गठबंधन का प्रभाव दिख सकता है।

गठबंधन की घोषणा के बाद शुक्रवार को पहली बार दोनों ही दलों के प्रदेश स्तर के नेता आपस में बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा की। यह गठबंधन आगामी स्थानीय निकाय चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतर सकता है। निकाय चुनाव फरवरी 2020 होने की संभावना है। भाजपा ने जमीनी स्तर पर इसकी जबरदस्त तैयारी कर रखी है।कांग्रेस की भी अपनी तैयारियां हैं, लेकिन नए गठबंधन के एलान के बाद उसकी रणनीति घिरती नजर आ रही है। हालांकि जानकार अभी भी यह मान रहे हैं कि गुजरात में भाजपा और कांग्रेस के अलावा किसी भी तीसरे दल या गठबंधन को सफलता मिलने की उम्मीद काफी कम है। फिर भी बीटीपी इस गठबंधन को लेकर अधिक उत्साहित है, क्योंकि वह खुद को आदिवासी समुदाय का एकमात्र संगठन मानती है और मुस्लिमों के साथ आ जाने से ताकत में इजाफा होने के प्रति आशांवित है।


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