गुजरात किसान संघर्ष समिति का सम्मेलन रद, दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं के बाद लिया गया निर्णय
26 जनवरी को दिल्ली में किसानों आंदोलन में हुई हिंसक घटनाओं के बाद पुलिस ने गुजरात किसान संघर्ष समिति के सम्मेलन को रद कर दिया है। गुजरात पुलिस से इस संगठन में किसान सम्मेलन के लिए मंजूरी मांगी थी जिसे 2 दिन पहले स्वीकृति दे दी गई थी।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। दिल्ली में किसानों के आंदोलन में हुई हिंसक घटनाओं के बाद गुजरात किसान संघर्ष समिति के सम्मेलन की मंजूरी को पुलिस ने रद कर दिया। बुधवार को राजकोट में कांग्रेस नेताओं की हाजिरी में यह सम्मेलन होना था। गुजरात किसान संघर्ष समिति की ओर से बुधवार को राजकोट में गुजरात में किसानों की समस्याएं तथा दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में एक किसान सम्मेलन का आयोजन किया जाना था।
मंगलवार शाम तक किसान संघर्ष समिति इस सम्मेलन की तैयारियों में व्यस्त थी। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा नेता विपक्ष परेश धनानी गुजरात कांग्रेस के प्रभारी राजीव सातव सहित किसान कांग्रेस के प्रमुख पाल आंबलिया सहित कई संगठनों के पदाधिकारी भी इसमें शिरकत करने वाले थे। गुजरात पुलिस से इस संगठन में किसान सम्मेलन के लिए मंजूरी मांगी थी जिसे 2 दिन पहले स्वीकृति दे दी गई थी। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी बताते हैं कि मंगलवार देर रात पुलिस ने किसान सम्मेलन की मंजूरी रद कर दी।
केंद्र सरकार के किसान कानूनों को लेकर दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में प्रदर्शन चल रहे हैं। गुजरात में भी प्रदेश कांग्रेस कई जगह किसान सभाएं कर चुकी है। गुजरात में फरवरी के तीसरे सप्ताह में स्थानीय निकाय चुनाव के लिए मतदान होने हैं इसलिए एक बार फिर किसान आंदोलन जोर पकड़ने लगा है। मंगलवार को किसान आंदोलन के दौरान नई दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं को देखते हुए गुजरात पुलिस ने गुजरात किसान संघर्ष समिति के किसान सम्मेलन की मंजूरी को रद कर दिया।
पुलिस का यह भी कहना है कि गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव का ऐलान हो चुका है तथा आदर्श आचार संहिता के पालन करने के लिए भी इस तरह के सभा सम्मेलन पर रोक जरूरी है। हालांकि कांग्रेस यह सब राज्य सरकार के इशारे पर किया गया बता रही है। प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि गुजरात में विपक्ष की आवाज तथा किसानों के आंदोलन को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। गुजरात में किसान आंदोलन अगर जोर पकड़ता है तो सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी को किससे राजनीतिक नुकसान होगा इसलिए सरकार पुलिस को आगे कर किसान आंदोलनों को होने ही नहीं देना चाहती है।