Gujarat: 15 हजार स्कूलों के कंप्यूटर बने ईवेस्ट, मनीष दोशी बोले-ग्रामीण क्षेत्र के दस लाख विद्यार्थी होंगे प्रभावित
Gujarat कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ग्रामीण क्षेत्र के इन स्कूलों के बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा से वंचित करना चाहती है। गुजरात कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता मनीष दोशी का कहना है कि कोरोना महामारी में जब ऑनलाइन शिक्षा का महत्व बढ़ गया है।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Gujarat: कोरोना महामारी के चलते जहां एक ओर सरकारी व गैर सरकारी स्कूल बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं, वहीं गुजरात सरकार ने 15 हजार स्कूलों के कंप्यूटर को ईवेस्ट घोषित कर दिया। कंप्यूटर लैब पर ताला लगने की नौबत आ गई है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ग्रामीण क्षेत्र के इन स्कूलों के बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा से वंचित करना चाहती है। गुजरात कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता मनीष दोशी का कहना है कि कोरोना महामारी में जब ऑनलाइन शिक्षा का महत्व बढ़ गया है, छह माह से स्कूल बंद हैं तथा आगामी नवंबर तक खुलने के कोई आसार नहीं है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा प्रभावित होगी।
यूपीए सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2011 में ग्रामीण भारत को कंप्यूटर शिक्षा से जोड़ने के लिए करोड़ों रुपये का भुगतान कर इन स्कूलों में कंप्यूटर लैब शुरू करने की पहल की थी। दोशी का आरोप है कि कंप्यूटर, टीवी व अन्य इलेक्ट्रॉनिक साधनों की खरीद में भारी अनियमितताएं बरती गईं, जिसे छिपाने के लिए अब सरकार इन कंप्यूटर व टीवी को ई वेस्ट बताकर कबाड़ में डालना चाहती है। कई स्कूलों में कंप्यूटर, प्रिंटर, स्पीकर के बॉक्स भी नहीं खोले गए। तीन हजार 17 स्कूलों में कंप्यूटर लैब पहले से नहीं हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता का आरोप है कि गुजरात सरकार ने सात साल तक कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की तथा अब 15 हजार स्कूलों के कंप्यूटरों को ईवेस्ट घोषित कर उनको हटाने के लिए भी टेंडर जारी कर अपनी प्रबंधकीय अकुशलता का परिचय दे रही है। दोशी का आरोप है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के शैक्षणिक अनुदान का सदुपयोग नहीं कर पा रही है। कांग्रेस का आरोप है कि कंप्यूटर को ईवेस्ट घोषित करने से राज्य में कक्षा एक से आठवीं तक के करीब दस लाख छात्र-छात्राओं पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
सरकार निजी आईटी कंपनियों से मिलीभगत कर ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब व मध्यम वर्ग परिवारों के बच्चों के भविष्य के साथ छेड़छाड़ कर रही है। इससे बालिका शिक्षा सबसे अधिक प्रभावित होगी। उनका आरोप है कि छात्रों की कम संख्या का बहाना कर राज्य सरकार पहले ही 6000 स्कूल को दूसरी स्कूल में मर्ज कर चुकी है। सरकार अपने बजट में से करीब 30 हजार करोड़ रुपये का बजट शिक्षा पर खर्च कर रही है। इसके बावजूद राज्य में शिक्षा सुविधाओं की यह हालत है।