परमाणु बिजलीघर काकरापार में कमर्शियल बिजली उत्पादन शुरू, 700 मेगा वाट बिजली का होगा उत्पादन
परमाणु बिजलीघर काकरापार (Nuclear power plant kakrapar) में कमर्शियल बिजली उत्पादन शुरू हो गया है भारत को बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तथा ग्रीन एनवायरोमेंट फ्रेंडली बिजली उत्पादन के लिए परमाणु बिजली घरों की स्थापना बहुत जरूरी है।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात के पास स्थित परमाणु बिजलीघर काकरापार में कमर्शियल बिजली उत्पादन शुरू हो गया है। भारत का यह 24 माह परमाणु बिजली घर है। इससे 700 मेगा वाट बिजली का उत्पादन होगा। देश के 7 राज्यों में 24 परमाणु बिजली घरों से हाल 6780 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है जो भारत की कुल जरूरत का महज ढाई प्रतिशत है। गुजरात में ही भावनगर के मीठी वीरडी में 6500 मेगावाट परमाणु बिजली घर प्रस्तावित है लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते कि अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
भारत की परमाणु सहेली
भारत की परमाणु सहेली के नाम से चर्चित डॉक्टर नीलम गोयल बताती हैं कि भारत को बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तथा ग्रीन एनवायरोमेंट फ्रेंडली बिजली उत्पादन के लिए परमाणु बिजली घरों की स्थापना बहुत जरूरी है। भारत में हाल उत्तर प्रदेश का नरोरा परमाणु बिजलीघर कर्नाटक का रहेगा महाराष्ट्र का तारापुर राजस्थान का रावतभाटा तथा मद्रास के परमाणु बिजली घर से अब तक 6780 मेगा मार्ट बिजली का उत्पादन हो रहा है जो हमारी कुल जरूरत का महज ढाई प्रतिशत है।
परमाणु बिजली घरों की तेजी से स्थापना
अमेरिका ने 15 साल पहले पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहनों का निर्माण बंद करने का फैसला किया था तथा अब भारत को भी विदेशों से आयात होने वाले पेट्रोल डीजल तेल गैस तथा कोयला की जरूरत से मुक्त करने के लिए परमाणु बिजली घरों की तेजी से स्थापना व क्रिटिकल उपयोग शुरू करना पड़ेगा। सूरत के पास काकरापार परमाणु बिजलीघर का निर्माण हो चुका था लेकिन उसका क्रिटिकल ऑपरेशन गुरुवार से शुरू हुआ। यहां उत्पादित बिजली 50 फ़ीसदी गुजरात को मिलेगी जबकि 50 फ़ीसदी देश के अन्य राज्यों को सप्लाई की जाएगी। परमाणु बिजली घर सस्ता सुंदर एवं टिकाऊ बिजली का सबसे बेहतर माध्यम है तथा इससे चौबीसों घंटे बिजली का उत्पादन किया जाना संभव है।
गुजरात के सूरत जिले के काकरापार में स्वदेशी क्षमता आधारित 700 मेगावाट परमाणु बिजलीघर ने कामर्शियल आधार पर बिजली का उत्पादन प्रारम्भ कर दिया है। यह परमाणु बिजलीघर प्रतिवर्ष 490 करोड़ यूनिट बिजली का अनवरत उत्पादन करेगा। जोकि, 7000-700 मेगावाट के 7 सौलर बिजली संयत्रों की क्षमता के बराबर है। यह संयत्र भारत के ही एनपीसीआईएल के द्वारा स्थापित व प्रचालित है। ज्ञात रहे, भारत की परमाणु सहेली वर्ष 2015 से सतत रूप से गुजरात के कई जिलों में भारत के परमाणु विद्द्युत ऊर्जा के कार्यक्रम के सन्दर्भ में जागरूकता के विभिन्न कार्यों में संलग्न हैं।
इन संयंत्रों से उत्पादित बिजली की प्रति यूनिट उत्पादन लागत बहुत कम
इस दौरान गुजरात राज्य में परमाणु सहेली 1000 से भी ज्यादा सेमिनार्स, 25 से भी ज्यादा प्रेस कांफ्रेंस, 25 से भी ज्यादा एग्जीबिशन एवं रैलियों का आयोजन कर चुकी हैं और 2000 से भी अधिक उद्योगपतियों एवं कारोबारियों को परमाणु बिजली उत्पादन के सन्दर्भ में हकीकतों से वाकिफ करा चुकी है। परमाणु सहेली का कहना है कि भारत वर्तमान में 500 जिलों में 500-500 मेगावाट के स्मार्ट मॉड्यूलर संयंत्र स्थापित कर देने की क्षमता रखता है। ये संयंत्र आधुनिक मॉल की तरह से ही खूबसूरत एवं सुरक्षित होंगे। इन संयत्रों से हाइड्रोजन के रूप में वाहन ईंधन व खारे पानी के निर्लवणीकरण कर पीने योग्य बनाने के साथ-साथ बेसलोड बिजली का भी उत्पादन कर सकेंगे। इन संयंत्रो से उत्पादित बिजली की प्रति यूनिट उत्पादन लागत भी बहुत कम होगी।