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सफाई कर्मियों की मौत का मामला, गुजरात हाईकोर्ट ने मांगा राज्य सरकार से जवाब

सफाई कर्मचारियों की 20 अक्टूबर को घटना के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मौत की घटना का विवरण देने और मुआवजा अदायगी के बारे में जवाब मांगा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 11:39 AM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 11:39 AM (IST)
सफाई कर्मियों की मौत का मामला, गुजरात हाईकोर्ट ने मांगा राज्य सरकार से जवाब
सफाई कर्मियों की मौत का मामला, गुजरात हाईकोर्ट ने मांगा राज्य सरकार से जवाब

अहमदाबाद, जेएनएन। सफाई कर्मचारियों की 20 अक्टूबर को घटना के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मौत की घटना का विवरण देने और मुआवजा अदायगी के बारे में जवाब मांगा है। विशाला सर्कल के पास गटर में उतरने पर दो सफाई कर्मियों की मौत हो गयी थी। हाईकोर्ट ने तलब किया है कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं कर रही है। हाईकोर्ट ने इसके लिए सरकार को फटकार भी लगायी है।

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जस्टिस एस.आर.ब्रह्मभट्ट और जस्टिस वीपी पटेल की खण्डपीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान आवेदक द्वारा कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रथा समाप्त करने का आदेश दिया था, लेकिन यहां गुजरात में परिस्थिति विपरीत है। विशाला सर्कल के पास काम करते समय दो सफाई कर्मियों की मौत हो गयी थी। इस पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। एक तरफ तो इस पर सुनवाई हो रही है वहीं दूसरी ओर सफाई कर्मियों की मौत की घटनाएं हो रही है।

हाईकोर्ट ने इस पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि लग रहा है सरकार इस मामले में असंवेदन शील है। सरकार इस बारे में अपना विचार स्पष्ट करे, और यदि सफाई कर्मियों की मौत गटर की सफाई के दौरान हुई तो उनके परिजनों को मुआवजा की रकम अदा की जाये।

गुजरात के प्रांतिज में 25 सितम्बर को नगरपालिका द्वारा सफाई के लिए गटर में उतारे गये सफाई कर्मी की मौत की घटना पर गत सुनवाई में हाईकोर्ट को इस ओर ध्यान दिलाया गया था। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए हलफनामा पेश करने का आदेश दिया था। इसके जवाब में राज्य सरकार ने हलफनामा में कहा था कि 11 अक्टूबर को कन्ट्रैक्टर और सेनेटरी इन्सपेक्टर के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करवायी गयी है। उन पर मेन्युअल स्केवेंजिग उन्मूलन और एट्रोसिटी सहित अन्य कई धाराएं लगायी गयी हैं।

राज्य सरकार मेन्युअल स्केवेंजिग की प्रथा को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यह प्रथा प्रतिबंधित होने के बारे में नगरपालिकाओं सहित विविध अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है। इसके लिए सेमिनार भी आयोजित किये जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में मेन्युअल स्केवेंजिग प्रथा उन्मूलन का आदेश दिया था।

गुजरात सरकार इस पर अमल नहीं कर रही है। इस बारे में जनहित याचिका हाईकोर्ट में की गयी थी। उसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे अमानवीय घोषित किया है फिर भी गुजरात में सफाई कर्मियों को मजबूर किया जाता है। इसके लिए उन्हें आवश्यक गणवेश या उपकरण भी नहीं दिया जाता।  


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