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सौ इंदिरा भी लोकतंत्र मिटा नहीं सकतींः अमित शाह

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि गुजरात में कांग्रेस सत्ता में थी इसलिए यहां आपातकाल का असर कम था।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 10:30 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2018 01:30 PM (IST)
सौ इंदिरा भी लोकतंत्र मिटा नहीं सकतींः अमित शाह
सौ इंदिरा भी लोकतंत्र मिटा नहीं सकतींः अमित शाह

शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। आपातकाल को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस को जमकर आड़े हाथ लिया। शाह ने कहा कांग्रेस राज में विरोधियों की चुनी हुई सरकारों को 120 बार बर्खास्त किया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित कर तमाम बड़े नेताओं को जेल में डलवा दिया। करीब डेढ़ लाख लोगों को जेल में डाला गया। देश में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हैं इसलिए एक क्या, सौ इंदिरा भी इसे समाप्त नहीं कर सकतीं हैं।

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शाह ने मंगलवार को अहमदाबाद में मीसा बंदियों के सम्मान समारोह में कहा कि आमतौर पर इतिहास के काले अध्याय को भुला देना उचित होता है। यह लोकतंत्र बचाने के सत्याग्रह आंदोलन के रूप में भी याद किया जाना चाहिए। युवा पीढ़ी को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ पूरे देश में माहौल बना हुआ था। हाईकोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने सुबह कैबिनेट की बैठक बुला अचानक देश पर आपातकाल लाद दिया। देश में लोकतंत्र की जड़ें काफी गहरी हैं, एक नहीं सौ इंदिरा भी लोकतंत्र को खत्म नहीं कर सकती हैं। आपातकाल के समय देशभर में विरोधी दल के करीब डेढ़ लाख नेताओं को जेल में डाल दिया गया। इनमें करीब 55 हजार लोग जनसंघ के नेता था। आपातकाल के दौर में इन नेताओं ने 19 माह तक अत्याचार व दमन सहन किया।

शाह ने कांग्रेस पर देश में जातिवाद, परिवारवाद व तुष्टीकरण की राजनीति थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपनी पार्टी में आंतरिक चुनाव को खत्म कर लोकतंत्र प्रक्रिया को समाप्त कर दिया। देश में संविधान की रक्षा, अभिव्यक्ति की आजादी तथा न्यायतंत्र की स्वायत्तता की बात करने वाली कांग्रेस के राज में विरोधियों की चुनी हुई सरकारों को 120 बार बर्खास्त किया गया। भाजपा ने एक दिन की सरकार व 13 दिन की सरकार भी गिरने दी लेकिन आपातकाल नहीं लगाया। अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वालों को जरा पीछे मुड़कर देखना चाहिए, जब आपातकाल में अखबारों पर सेंसरशिप लाद दी गई थी। अखबारों ने तब अपना विरोध जताने के लिए संपादकीय खाली छोड़ दिया था। तब कुछ चापलूस व चाटुकारों ने नारा दिया था 'इंदिरा इज इंडिया-इंडिया इज इंदिरा'। विरोधी दलों के सांसदों से संसद में मतदान करने का अधिकार छीन लिया गया।

शाह ने कहा कि गुजरात में कांग्रेस सत्ता में थी इसलिए यहां आपातकाल का असर कम था लेकिन राजस्थान, मध्यप्रदेश, बंगाल आदि में आपातकाल कठोरता से लागू किया गया था। आज कांग्रेस चुनाव जीत जाए तो चुनाव आयोग ठीक है और हार जाए तो ठीकरा ईवीएम पर फोड़ देते हैं। कर्नाटक मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला उनके पक्ष में आए तो ठीक अन्यथा अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हैं। कांग्रेस आज न्यायतंत्र की आजादी की दुहाई दे रही है लेकिन आपातकाल के वक्त उसने हर संवैधानिक संस्था का गला घोंट दिया था।

इंदिरा ने देशहित में आपातकाल लगाया थाः योगेंद्र परमार
25 जून, 1975 के पहले देश में अराजकता माहौल उत्पन्न हो गया था। रेल, बस, परिवहन के साधन अनियमित हो गए थे, प्रशासन में भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा था। कानून व्यवस्था एक दम ढीली पड गई थी तथा ऐसे हालात में लोकतांत्रिक तरीके से काबू में लेना मुश्किल था। गांधीजी के साथी व राजनीति से परे विनोबा भावे ने आपातकाल को अनुशासन के पर्व की संज्ञा दी थी। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इंदिरा गांधी की तुलना हिटलर से की है, जो निर्दयी था लाखों यहूदियों की मौत का जिम्मेदार था। इंदिरा ने देशहित में आपातकाल लगाया तथा उस दौरान कुछ लोगों की ज्यादती पर माफी भी मांगी। 
-योगेंद्र परमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री। 


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