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Gujarat: हाई कोर्ट की फटकार के बाद एसबीआइ ने किसान को दिया नो-ड्यूज सर्टिफिकेट, 31 पैसे बकाया रहने पर लगाई थी रोक

Gujarat एसबीआइ ने गुजरात हाई कोर्ट को सूचित किया कि उसने जमीन की बिक्री से जुड़े एक मामले में एक किसान को नो-ड्यूज सर्टिफिकेट जारी कर दिया है। एसबीआइ ने महज 31 पैसे की बकाया राशि का भुगतान नहीं करने को लेकर संबंधित किसान का प्रमाणपत्र रोक लिया था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 02 May 2022 09:05 PM (IST)Updated: Mon, 02 May 2022 09:05 PM (IST)
Gujarat: हाई कोर्ट की फटकार के बाद एसबीआइ ने किसान को दिया नो-ड्यूज सर्टिफिकेट, 31 पैसे बकाया रहने पर लगाई थी रोक
गुजरात हाई कोर्ट की फटकार के बाद एसबीआइ ने किसान को दिया नो-ड्यूज सर्टिफिकेट। फाइल फोटो

अहमदाबाद, प्रेट्र। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) ने सोमवार को गुजरात हाई कोर्ट को सूचित किया कि उसने जमीन की बिक्री से जुड़े एक मामले में एक किसान को 'नो-ड्यूज' सर्टिफिकेट जारी कर दिया है। एसबीआइ ने महज 31 पैसे की बकाया राशि का भुगतान नहीं करने को लेकर संबंधित किसान का प्रमाणपत्र रोक लिया था। बीते हफ्ते हाई कोर्ट ने 'नो-ड्यूज' सर्टिफिकेट जारी नहीं करने के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी ऋणदाता की खिंचाई की थी। अदालत ने कहा था कि यह कुछ और नहीं, बल्कि उत्पीड़न है। एसबीआइ ने सोमवार को जस्टिस भार्गव करिया की अदालत के सामने दायर हलफनामे में कहा कि उसने 28 अप्रैल को संबंधित व्यक्ति को 'नो-ड्यूज' सर्टिफिकेट जारी कर दिया है, जो भूमि सौदे को मंजूरी देने के लिए आवश्यक था। जस्टिस करिया ने अपने आदेश में कहा कि सर्टिफिकेट जारी होने के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी है। एसबीआइ ने कहा कि वह पहले सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सका था, क्योंकि उसे कर्ज लेने वाले मूल व्यक्ति से एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें ऐसा नहीं करने को कहा गया था। याचिकाकर्ता राकेश वर्मा और मनोज वर्मा ने 2020 में अहमदाबाद शहर के पास किसान शामजीभाई और उनके परिवार से भूखंड खरीदा था। शामजीभाई ने तीन लाख रुपये का फसल ऋण चुकाने से पहले जमीन बेच दी थी। इसलिए याचिकाकर्ता राजस्व रिकार्ड में अपना नाम दर्ज नहीं करा पा रहे थे।

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31 पैसे बकाया रहने पर एसबीआइ ने किसान को नहीं दिया था सर्टिफिकेट
गुजरात हाई कोर्ट ने एक किसान पर महज 31 पैसे बकाया रह जाने पर उसे नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी नहीं करने को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) को फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था यह उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है। जस्टिस भार्गव करिया ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए बैंक के प्रति नाखुशी जताई थी। न्यायाधीश ने कहा, हद हो गई। एक राष्ट्रीयकृत बैंक कहता है कि महज 31 पैसे बकाया रह जाने के कारण नो-ड्यूज सर्टिफिकेट नहीं जारी किया जा सकता। याचिकाकर्ता राकेश वर्मा और मनोज वर्मा ने अहमदाबाद शहर के पास किसान शामजीभाई और उनके परिवार से 2020 में एक भूखंड खरीदा था। शामजीभाई ने एसबीआइ से लिए गए तीन लाख रुपये का फसल ऋण चुकाने से पहले ही याचिकाकर्ता को जमीन बेच दी थी। बैंक के शुल्क के कारण याचिकाकर्ता (भूमि के नए मालिक) राजस्व रिकार्ड में अपना नाम नहीं दर्ज करवा सकते थे। किसान ने बाद में बैंक का पूरा कर्ज चुकता कर दिया, लेकिन एसबीआइ ने नो-ड्यूज सर्टिफिकेट जारी नहीं किया।इसके बाद जमीन के नए मालिकों ने हाई कोर्ट का रुख किया। बुधवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस करिया ने बैंक का बकाया नहीं होने का प्रमाणपत्र अदालत में पेश करने के लिए कहा। इस पर एसबीआइ के वकील आनंद गोगिया ने कहा कि यह संभव नहीं है, क्योंकि किसान पर अब भी 31 पैसे का बकाया है। इस पर जस्टिस करिया ने कहा कि 50 पैसे से कम की राशि को नजरअंदाज करके प्रमाणपत्र जारी कर देना चाहिए, क्योंकि किसान ने पूरा कर्ज चुका दिया है। जब गोगिया ने कहा कि मैनेजर ने प्रमाणपत्र नहीं देने का मौखिक आदेश दिया है तो न्यायाधीश ने नाखुशी व्यक्त करते हुए अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वे प्रबंधक को अदालत में पेश होने के लिए कहें।


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