अमरेली, एजेंसी। गुजरात विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद राजनीति दलों के चुनावी रण सज चुके हैं। राज्य में एक और 5 दिसंबर को वोटिंग होगी जबकि 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे। गुजरात में इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। पहले जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर रहती थी वहीं, अब आम आदमी पार्टी ने मामले को त्रिकोणीय बना दिया है। ऐसे में भाजपा की नजर उन सीटों पर है जहां 2017 की चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस तरह की सीटों में अमरेली जिले की 5 विधानसभा सीट भी काफी महत्वपूर्ण है।
राहुल और मोदी की अमरेली में रैली
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब तक प्रचार से दूर रहे हैं। लेकिन अमरेली में 22 नवंबर को एक बड़ी जनसभा के जरिए राहुल गांधी की गुजरात विधानसभा चुनाव में एंट्री हो रही है। पार्टी को उम्मीद है कि इससे अमरेली के साथ-साथ आसपास की दो दर्जन से अधिक सीटों पर असर पड़ेगा और कांग्रेस की चुनावी तैयारियों को बल मिलेगा। लेकिन राहुल गांधी की रैली से पहले 20 नवंबर को अमरेली के उसी मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी जनसभा होनी है, लिहाजा अचानक ही इस रैली को मोदी बनाम राहुल के नजरिये से देखा जाने लगा है। कांग्रेस भाजपा की रैली से ज्यादा बड़ी भीड़ लाने के लिए जुट गई है।

अमरेली में 5 में से 4 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
यह पहला मामला नहीं है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरेली में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने भाजपा के लिए जमकर प्रचार किया था, हालांकि भाजपा को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया था। अमरेली की पांच में से चार सीटों (अमरेली, राजुला, लाठी और सांवरकुंडला) पर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी, जबकि एक सीट धारी पर भाजपा उम्मीदवार जीतने में सफल रहा था। कांग्रेस राहुल गांधी की अमरेली की जनसभा के बाद एक अन्य जनसभा आयोजित कर पार्टी के चुनाव प्रचार में मजबूती लाने की कोशिश करेगी। इसके बीच अन्य शीर्ष नेताओं के कार्यक्रम भी तय किए जा रहे हैं।
पाटीदारों की नाराजगी से भाजपा को हुआ था नुकसान
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनावों में अमरेली जिले में भाजपा कांग्रेस से पूरी तरह से मात खाई ती। भाजपा सभी पांच विधानसभा सीटों पर हार गई थी। सत्तारूढ़ दल इश बार अमरेली में अपनी प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश करेगी। पाटीदार आरक्षण आंदोलन की पृष्ठभूमि में हुए पिछले चुनाव में भाजपा को मतदाताओं के गुस्से का सामना करना पड़ा और अमरेली जिले में खाली हाथ लौटना पड़ा। पाटीदार बहुल इस जिले में भाजपा और उसके नेताओं के लिए एक कड़वा अनुभव था। भाजपा राज्य में जीतने में कामयाब जरूर रही, लेकिन सीटों की संख्या 100 से नीचे हो गई थी।