फीफा विश्व कप 2018: चोट और यलो कार्ड ने बढ़ाई ब्राजील और उरुग्वे की समस्या
क्वार्टर फाइनल में ब्राजील और उरुग्वे के सामने बेल्जियम और फ्रांस की कड़ी चुनौती है।
डिएगो मेराडोना का कॉलम:
क्वार्टर फाइनल के पहले मैच में दक्षिण अमेरिका की चुनौती बरकरार रहेगी या नहीं, यह फैसला होगा। ब्राजील और उरुग्वे के सामने बेल्जियम और फ्रांस की कड़ी चुनौती है। दोनों टीमों के अहम खिलाडिय़ों की गैर मौजूदगी से भी यह चुनौती थोड़ी मुश्किल बन गई है।
टीटे के नेतृत्व में ब्राजील के डिफेंस में जो सुधार आया है, उसमें केसेमीरो की अहम भूमिका है। उन्होंने चारों मैचों में अपनी मौजूदगी दर्ज की है। दो पीले कार्ड मिलने की वजह से बाहर होना उनकी टीम के लिए चिंता की बात है। उरुग्वे के कैंप से भी खबर है कि स्ट्राइकर एडिनसन कावानी चोट से नहीं उबर पाए हैं, इसका मतलब उरुग्वे के दो सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकरों में से एक बाहर बैठेगा।
यह ब्राजीली टीम चार साल पहले की तुलना में ज्यादा बेहतर है। उस समय पूरी टीम सिर्फ नेमार पर निर्भर थी। वे न सिर्फ लगातार तीन मैच जीत चुके हैं बल्कि नेमार और कॉटिन्हो की वजह से उनका आक्रमण भी खतरनाक होता जा रहा है। पिछले मैच में विलियन ने भी प्रभावित किया था। सबसे ज्यादा प्रभावित डिफेंस ने किया है, जिसने पहले मैच में गोल खाने के बाद तीन मैचों में एक भी गोल नहीं खाया। टीटे के 4-2-3-1 संयोजन में हर विभाग में अच्छे खिलाड़ी हैं, हालांकि यह देखना होगा कि डिफेंस की शुरुआत में अहम खिलाड़ी की गैर मौजूदगी से वे कैसे उबरते हैं।
जापान के खिलाफ 0-2 से पिछडऩे के बाद जीत दर्ज करने के साथ चार लगातार मैच जीतकर बेल्जियम का आत्मविश्वास आसमान पर है। हमें पता था कि उनके पास मिडफील्ड में प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, जिसमें ईडन हेजार्ड, केविन डी ब्रूने और खतरनाक स्ट्राइकर रोमेलु लुकाकु शामिल हैं। मानसिक तौर पर मजबूती ने उन्हें और भी खतरनाक बना दिया है। वे ब्राजील के मिडफील्ड के सामने चुनौती पेश करेंगे। हालांकि उनके डिफेंस को भी मुश्किल सवालों के लिए तैयार रहना होगा। 3-4-2-1 के संयोजन के साथ बैकलाइन बेल्जियम का मजबूत पक्ष नहीं रहा है।
दूसरा क्वार्टर फाइनल उन टीमों के बीच है, जिन्होंने दो सबसे बड़े सितारों को बाहर कर दिया। फ्रांस ने लियो मेसी की अर्जेंटीना को हराया तो उरुग्वे क्रिस्टियानो रोनाल्डो की पुर्तगाल पर भारी पड़ा। हालांकि इस परिणाम से कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि दोनों टीमें एकजुट होकर खेलीं जबकि अर्जेंटीना और पुर्तगाल एक खिलाड़ी पर निर्भर थी। मैं पहले भी कह चुका हूं कि मिडफील्ड में पावर और आक्रमण ने फ्रांस को बेहद खतरनाक बना दिया है। दूसरी तरफ उरुग्वे विपक्षी टीम को खेलने का मौका नहीं दे रही है और उनके दो स्ट्राइकर छोटे-छोटे मौकों को भी भुना रहे हैं।
कावानी का चोटिल होना उरुग्वे के लिए बुरी खबर है, उनके बिना उनका अटैक पहले जैसा नहीं रहा है। उनकी और लुईस सुआरेज की जोड़ी जमती है और यह कोच ऑस्कर ताबारेज के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि उनका गैर पारंपरिक संयोजन 4-1-2-1-2 दो स्ट्राइकरों पर ज्यादा निर्भर है। मुझे उनके डिफेंस पर भरोसा है और मिडफील्ड भी विपक्षी टीम का काम बिगाड़ सकता है मगर बड़े मैच में फॉर्म में चल रहे अपने स्ट्राइकर के बिना उतरने से उनकी चुनौती मुश्किल हो गई है। फ्रांस का मजबूत पक्ष मिडफील्ड है। अगर वे यह मैच जीतते हैं, तो यही चीज सबसे अहम साबित होगी। एमबापे के खेल को देखकर अच्छा लग रहा है। उन्हें अपनी गति का फायदा उठाने के लिए पूरी छूट और जगह दी गई है। इसी की बदौलत अर्जेंटीना के खिलाफ उन्होंने तबाही मचा दी। उरुग्वे के खिलाफ उन्हें जगह मुश्किल ही मिलेगी क्योंकि वे हर कदम पर उनका पीछा करेंगे। इसके बावजूद फ्रांस का पलड़ा भारी है, लेकिन उनकी विपक्षी टीम मुश्किलें खड़ी करने के लिए कुछ भी कर सकती है।