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FIFA World Cup 2018: मैदान के हर क्षेत्र में मजबूत है फ्रांसीसी टीम

एक खिलाड़ी के तौर पर विश्व कप और यूरो कप विजेता होने के नाते उनके पास बड़े मैचों के लिए जरूरी चीजों की जानकारी है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jun 2018 12:38 PM (IST)
FIFA World Cup 2018: मैदान के हर क्षेत्र में मजबूत है फ्रांसीसी टीम
FIFA World Cup 2018: मैदान के हर क्षेत्र में मजबूत है फ्रांसीसी टीम

जीन तिगाना

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फ्रांस के लिए पिछले दो विश्व कप अच्छे नहीं रहे। 2010 में पहले दौर में बाहर होने के बाद हम चार साल पहले क्वार्टर फाइनल में हार गए। कई चीजों के संयोजन से मुझे विश्वास हो रहा है कि इस बार कुछ अलग होने वाला है। यह एक संतुलित टीम है, जो मैदान के हर क्षेत्र में मजबूत है। साथ ही उनके पास योग्य कोच दिदिएर डेसचैंप्स हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर विश्व कप और यूरो कप विजेता होने के नाते उनके पास बड़े मैचों के लिए जरूरी चीजों की जानकारी है। करीब छह साल से फ्रांस की टीम को देखना और यूरो कप उप विजेता के तौर पर उन्हें यह भी पता है कि इसके लिए क्या काम करेगा।

मैं दिदिएर की इस बात से प्रभावित हूं कि टीम के अनुशासन से समझौता नहीं किया जा सकता। करीम बेंजेमा को प्रतिभा और फॉर्म में होने के बाद टीम में नहीं रखना एक बड़ा फैसला था मगर इससे यह संदेश साफतौर पर गया है कि अगर आप फ्रांस के लिए खेलना चाहते हो, तो कुछ चीजों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे तुरंत युवा खिलाड़ियों को पता चल गया कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं। जब आप टीम के लिए एक माहौल तैयार करना चाहते हैं, तो यह काफी मायने रखता है। यह मुझे एरिक कैनटोना की याद दिलाता है, जिन्होंने 90 के दशक में एमी जैक्वेट को नहीं चुना था। इस वजह से उनके करियर का अंत हो गया था।

जब जैक्वेट ने कमान संभाली थी, तब कैनटोना कप्तान थे और इसके बावजूद वह उनके निलंबन के बाद उनकी वापसी नहीं चाहते थे क्योंकि वह उस ग्रुप से छेड़छाड़ नहीं करना चाहते थे, जो उनके बिना भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा था। उस समय दिदिएर एक खिलाड़ी थे और उन्होंने उस समय सीखा होगा कि जो टीम अच्छा कर रही होती है, उस पर विश्वास करना अच्छा होता है। इसी वजह से उन्होंने यूरो कप फाइनल की टीम के साथ ही उतरने का फैसला किया। उन्होंने ऐसी टीम तैयार की है, जो आगे तक जाने की योग्यता रखती है। खिलाड़ियों को बहुत ही समझदारी के साथ चुना गया। हालांकि चोट की वजह से कुछ परेशानी हुई लेकिन टीम में कई युवा और आकर्षक खिलाड़ी हैं। वे ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क और पेरू के साथ आसान ग्रुप में हैं। हालांकि विश्व कप में कुछ भी हो सकता है, लेकिन हमें इस ग्रुप में शीर्ष पर रहना चाहिए। दिमित्री पायेट के बिना भी उनका मजबूत पक्ष मिडफील्ड और आक्रमण है।

एनगोलो कांट, पॉल पोग्बा और ब्लेज मातुदी के साथ मिडफील्ड में चीजें बिगाड़ने के लिए मौजूद हैं। इनके ऊपर आक्रमण की जिम्मेदारी भी होगी। एंटोनियो ग्रीजमैन को डीप से खेलना और सही समय पर गोल करने की पोजीशन पर पहुंचाना पसंद है। ओलिवर गिरॉड के अनुभव के साथ हमारे पास एमबापे और डेंबले जैसे प्रतिभाशाली युवा हैं। मुझे नहीं पता कि ये दोनों एक साथ खेल पाएंगे या नहीं। डिफेंस में लॉरेंट कोश्यिनले की कमी खलेगी, लेकिन रीयल मैड्रिड के राफेल वारेन और बार्सिलोना के सैमुअल उमटीटी भरोसेमंद जोड़ी है। हुगो लॉरिस के सुरक्षित हाथों से इस टीम से उम्मीदें जगती हैं।

असली परीक्षा अंतिम 16 के राउंड से शुरू होगी, जहां हमें अर्जेंटीना या क्रोएशिया से भिड़ना होगा। नॉकआउट चरण मुझे फिर से दर्द भरे क्षणों की याद दिला देते हैं। पश्चिम जर्मनी के खिलाफ 1982 के सेमीफाइनल टाईब्रेकर को और बैटिस्टन पर टोनी शूमाकर के हमले को आखिरकार कौन भूल सकता है? मुझे आज भी इस बात पर विश्वास नहीं होता है कि उस दिन कोई पेनल्टी या रेड कार्ड नहीं दिया गया। खैर रूस में फ्रांस द्वारा ज्यादा मनोरंजन के लिए मेरी शुभकामनाएं हैं।

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