आइएसएल व आइलीग मैचों में विदेशी खिलाड़ियों की संख्या से स्टिमक नाखुश
स्टिमक ने कहा कि आइएसएल और आइ लीग को एएफसी की नीति का अनुसरण करना चाहिए जिसमें एक मैच में अधिकतम चार विदेशी खिलाडि़यों को उतारा जा सकता है।
मुंबई, प्रेट्र। राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच इगोर स्टिमक इंडियन सुपर लीग (आइएसएल) और आइ लीग मैचों में अधिक विदेशी खिलाडि़यों को उतारने के नियम से खुश नहीं हैं और उन्होंने कहा कि यह भविष्य के सुनील छेत्री तैयार करने की राह में रोड़ा है।
स्टिमक ने कहा कि आइएसएल और आइ लीग को एशियाई फुटबॉल परिसंघ (एएफसी) की नीति का अनुसरण करना चाहिए जिसमें एक मैच में अधिकतम चार विदेशी खिलाडि़यों को उतारा जा सकता है। भारतीय लीग में पांच विदेशी खिलाडि़यों को खिलाया जा सकता है। स्टिमक ने कहा, 'देश के शीर्ष स्तर के लीग के लिए मेरा सुझाव है कि वे एएफसी के 3+1 के नियमों का पालन करें। यह विदेशी खिलाडि़यों के लिए मूल नियम है। यह कोई नया नियम है और अधिकतर सफल एशियाई देश इस नियम को अपनाते हैं और इसलिए वे सफल हैं। इसलिए उनके पास राष्ट्रीय टीम के लिए स्ट्राइकर, मिडफील्डर और सेंटर बैक के विकल्प होते हैं।'
वर्तमान में आइएसएल और आइ लीग की टीमें मैच में पांच विदेशी खिलाडि़यों का उपयोग कर सकती हैं, जबकि एएफसी चैंपियंस लीग प्रतियोगिता के नियमों के अनुसार प्रत्येक प्रतिभागी क्लब चार विदेशी खिलाडि़यों का पंजीकरण करा सकता है, लेकिन इनमें से कम से कम एक की राष्ट्रीयता एएफसी सदस्य देशों की होनी चाहिए।
स्टिमक ने कहा कि वर्तमान स्थिति में स्टार स्ट्राइकर छेत्री का विकल्प ढूंढना मुश्किल है। उन्होंने कहा, 'अगर यही स्थिति रही तो हम कभी छेत्री का विकल्प नहीं ढूंढ पाएंगे। हम उस खिलाड़ी को नहीं ले सकते जो कभी स्ट्राइकर के तौर पर नहीं खेला हो। मैं स्ट्राइकर कहां से ढूंढ कर लाऊं। यहां तक कि आइ लीग में भी पांच विदेशी खिलाडि़यों का नियम लागू है। आइ लीग में हमारे पास (भारतीय) स्ट्राइकर नहीं हैं। केवल इंडियन एरोज की तरफ से स्ट्राइकर विक्रम प्रताप सिंह खेलते हैं। यह हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या है। हमें राष्ट्रीय टीम के पक्ष में चीजों को बदलने की जरूरत है।'