मेसी व रोनाल्डो ही नहीं और भी कई दिग्गज नहीं जीत पाए विश्व कप का खिताब
लियोन मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसे बड़े नामी फुटबॉलर आज तक विश्व कप ट्रॉफी को अपने हाथों में नहीं थाम पाए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। विश्व कप के पहले दौर में जहां मौजूदा चैंपियन जर्मनी बाहर हुआ तो नॉकआउट चरण शुरू होने के साथ ही अर्जेंटीना, पुर्तगाल और स्पेन जैसी टीमों की घर वापसी हो गई। इसके साथ ही इन टीमों से जुड़े कई बड़े सितारों का विश्व कप जीतने का ख्वाब भी अधूरा रह गया। लियोन मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसे बड़े नामी फुटबॉलर आज तक विश्व कप ट्रॉफी को अपने हाथों में नहीं थाम पाए हैं। इन दोनों खिलाडिय़ों ने कुल चार विश्व कप खेले हैं लेकिन दोनों ही खिलाड़ी अंतिम-16 में गोल करने में नाकामयाब रहे।
अब अगर चार साल बाद 2022 में कतर में होने वाले विश्व कप तक ये दोनों खिलाड़ी खेलते रहे तो फिलहाल 31 साल के मेसी और 33 साल के रोनाल्डो दोबारा अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश जरूर करेंगे। ये दोनों ही खिलाड़ी फुटबॉल विश्व कप में सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर का खिताब जीत चुके हैं लेकिन अपने देश को विश्व कप नहीं दिला पाए, लेकिन ऐसा नहीं है कि यह बदकिस्मती सिर्फ इन दो खिलाडिय़ों के साथ ही है, उनसे पहले भी ऐसे कई बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने पूरी दुनिया में अपने खेल का लोहा तो मनवाया लेकिन विश्व कप को अपने पाले में नहीं ला सके.
जोहान क्रूफ (हॉलैंड) : नारंगी जर्सी पहने हॉलैंड के जोहान क्रूफ को यूरोप के इतिहास का सबसे बेहतरीन फुटबॉलर माना जाता है। साल 1974 में पश्चिमी जर्मनी में खेले गए विश्व कप में उन्होंने अपनी टीम का नेतृत्व किया और टोटल फुटबॉल की अपनी रणनीति के चलते उन्होंने नीदरलैंड्स को फाइनल तक पहुंचाया, लेकिन इस ऐतिहासिक मैच में उनकी टीम जर्मनी के हाथों 1-2 से हार गई। क्रूफ ने तीन बार गोल्डन बॉल का खिताब जीता लेकिन वे कभी विश्व कप नहीं जीत पाए।
फेरेंस पुस्कास (हंगरी-स्पेन) : पुस्कास को एक सर्वकालिक बेहतरीन फॉरवर्ड खिलाड़ी के तौर पर जाना जाता है। साल 1952 के ओलंपिक खेलों में उन्होंने अपनी टीम को स्वर्ण पदक दिलाया और उसके दो साल बाद 1954 में स्विट्जरलैंड में खेले गए फुटबॉल विश्व कप में उनकी टीम हंगरी फाइनल तक पहुंची। इस मुकाबले में उनकी टीम जीत की प्रबल दावेदार थी लेकिन यहां उन्हें पश्चिम जर्मनी के हाथों मात खानी पड़ी। साल 1962 में पुस्कास ने स्पेन की नागरिकता ली और इसी साल चिली में खेले गए विश्व कप में उन्होंने हिस्सा भी लिया, लेकिन यहां भी वे विश्व कप नहीं जीत पाए।
अल्फेडो डि स्टेफनो (अर्जेंटीना-स्पेन) : फीफा ने डि स्टेफनो को 20वीं शताब्दी के पांच सबसे बेहतरीन फुटबॉलरों में शामिल किया था। इस सूची में पेले, मेराडोना, क्रूफ और बेकेनबोर शामिल थे। इतने बेहतरीन फुटबॉलर होने के बावजूद डी स्टेफनो कभी विश्व कप नहीं खेल पाए। पहले वे अर्जेंटीना के लिए खेलते रहे लेकिन इस दौरान साल 1950 और 1954 के विश्वकप में अर्जेंटीना ने हिस्सा ही नहीं लिया। इसके बाद डी स्टेफनो ने अर्जेंटीना छोड़ स्पेन की नागरिकता ली, लेकिन बदकिस्मती ने उनका साथ नहीं छोड़ा और साल 1958 के विश्व कप के लिए स्पेन क्वालीफाई ही नहीं कर सका। उसके चार साल बाद चिली में हुए विश्व कप में डी स्टेफनो चोटिल होने के कारण नहीं खेल पाए।
यूसेबियो (पुर्तगाल) : यूसेबियो का जन्म मोजांबिक में हुआ, उस समय यहां पुर्तगाल का शासन था। यूसेबियो को पुर्तगाली फुटबॉल का पहला महान फुटबॉलर माना जाता है। 1965 में उन्हें यूरोप के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के तौर पर चुना गया। इसके एक साल बाद इंग्लैंड में हुए विश्व कप में यूसेबियो के बेहतरीन खेल की मदद से पुर्तगाल की टीम सेमीफाइनल तक पहुंची लेकिन यहां उन्हे इंग्लैंड ने 1-2 से हरा दिया।
जॉर्ज बेस्ट (उत्तरी आयरलैंड) : उत्तरी आयरलैंड का यह महान फुटबॉलर कभी विश्व कप में हिस्सा नहीं ले सका। हालांकि उन्होंने डेनिस लॉवी बॉबी चाल्र्टन के साथ मिलकर साल 1968 के यूरोपियन कप में अपनी टीम मैनचेस्टर यूनाइटेड को चैंपियन जरूर बनाया। इसी साल उन्हें यूरोप का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी चुना गया था।
मैक्रो वेन बैस्टन (नीदरलैंड्स) : मैक्रो ने सिर्फ एक ही विश्व कप में हिस्सा लिया। यह विश्व कप साल 1990 में इटली में खेला गया था। इससे पहले 1988 में वैन बैस्टन अपनी टीम को यूरोपियन चैंपियनशिप का खिताब जिता चुके थे। साल 1992 में उन्हें विश्व का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया और उन्होंने तीन बार गोल्डन बॉल भी जीती, लेकिन साल 1993 में जब वे महज 28 साल के थे तब टकने में लगी गंभीर चोट ने उनका करियर समाप्त कर दिया।