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मेसी और हैमिल्टन बने लॉरेस व‌र्ल्ड स्पो‌र्ट्स मैन ऑफ द ईयर

लुइस हैमिल्टन और विश्व के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में से एक लियोन मेसी को संयुक्त रूप से लॉरेस स्पो‌र्ट्समैन ऑफ द ईयर के पुरस्कार का विजेता घोषित किया गया।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 08:40 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 08:40 PM (IST)
मेसी और हैमिल्टन बने लॉरेस व‌र्ल्ड स्पो‌र्ट्स मैन ऑफ द ईयर
मेसी और हैमिल्टन बने लॉरेस व‌र्ल्ड स्पो‌र्ट्स मैन ऑफ द ईयर

बर्लिन, प्रेट्र। ब्रिटिश एफ वन रेसर लुइस हैमिल्टन और विश्व के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में से एक लियोन मेसी को संयुक्त रूप से लॉरेस स्पो‌र्ट्समैन ऑफ द ईयर के पुरस्कार का विजेता घोषित किया गया। दोनों ही खिलाडि़यों को समान वोट मिले। इन पुरस्कारों के 20 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। ज्यूरी मेसी और हैमिल्टन में से किसी एक को स्पष्ट विजेता तय नहीं कर पाई।

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छह बार के फीफा के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी मेसी यह पुरस्कार पाने वाले पहले टीम खिलाड़ी हैं। इसके साथ ही वह दिग्गज गोल्फर टाइगर वुड्स, कीनिया के मैराथन एथलीट एलिंड किपचोगे, टेनिस दिग्गज राफेल नडाल और मोटोजीपी चैंपियन मार्क मार्केज को पछाड़कर इस पुरस्कार के हकदार बने।

वहीं दूसरी तरफ महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को 2000 से 2020 तक के लॉरेस सर्वश्रेष्ठ खेल लम्हे के पुरस्कार के लिए चुना गया। भारतीय प्रशंसकों के समर्थन से तेंदुलकर को इस पुरस्कार के लिए सबसे ज्यादा मत मिले। भारत की 2011 विश्व कप में जीत के संदर्भ में तेंदुलकर से जुड़े लम्हे को 'कैरीड ऑन द शोल्डर्स ऑफ ए नेशन' शीर्षक दिया गया था। टेनिस के महान खिलाड़ी बोरिस बेकर ने इस पुरस्कार की घोषणा की जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटर स्टीव वॉ ने तेंदुलकर को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया। लगभग नौ साल पहले तेंदुलकर अपने छठे विश्व कप में खेलते हुए विश्व खिताब जीतने वाली टीम के सदस्य बने थे।

भारतीय टीम के सदस्यों ने इसके बाद तेंदुलकर को कंधे में उठाकर मैदान का 'लैप ऑफ ऑनर' दिया था और इस दौरान इस दिग्गज बल्लेबाज की आंखों से आंसू निकल रहे थे। भारत ने विश्व कप फाइनल में जीत तेंदुलकर के घरेलू मैदान मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में दर्ज की थी। पुरस्कार के लिए सूची में पहले 20 दावेदारों को शामिल किया गया था लेकिन वोटिंग के बाद सिर्फ पांच दावेदारों को सूची में जगह मिली थी जिसमें तेंदुलकर विजेता बने।

ट्रॉफी लेने के बाद तेंदुलकर ने कहा, 'यह शानदार है। विश्व कप जीतने की भावना को शब्दों में बयान करना संभव नहीं था। यह कितनी बार होता होगा जब किसी प्रतिक्रिया में लोगों की भावनाएं मिलीजुली न होती हों। ऐसा तो बहुत ही कम होता है जब पूरा देश जश्न मनाता हो। यह इस बात की भी याद दिलाता है कि खेल कितना सशक्त माध्यम है और यह हमारी जिंदगी में क्या बदलाव लाता है। अब भी मैं उस लम्हे के बारे में सोचता हूं और वही अहसास होता है।'

तेंदुलकर के ट्रॉफी हासिल करने के बाद बेकर ने उनसे अपनी भावनाओं को साझा करने को कहा तो इस भारतीय खिलाड़ी ने कहा, 'मेरी यात्रा (क्रिकेट) की शुरुआत तब हुई थी जब मैं 10 साल का था। भारत ने विश्व कप जीता था। मुझे उस समय उसके महत्व के बारे में पता नहीं था। चूंकि हर कोई जश्न मना रहा था तो मैं भी उस में शामिल हो गया। लेकिन कहीं न कहीं मुझे पता था कि देश के लिए कुछ अच्छा हुआ है और मैं भी एक दिन इसका अनुभव करना चाहता था और यहीं से मेरा सफर शुरू हुआ। यह (विश्व कप जीतना) मेरी जिंदगी का सबसे गौरवान्वित करने वाला पल था। मैंने 22 साल तक इसका पीछा किया लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारा। मैं सिर्फ अपने देश की तरफ से ट्रॉफी उठा रहा था।'

तेंदुलकर ने कहा कि लॉरेस ट्रॉफी हासिल करना मेरे लिए बेहद ही सम्मान की बात है। इस मौके पर उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के आंदोलनकारी नेता और पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के प्रभाव को भी साझा किया। तेंदुलकर जब मंडेला से मिले थे तब इस क्रिकेटर की उम्र केवल 19 साल थी। उन्होंने कहा, 'उनके द्वारा दिए गए कई संदेशों में से मुझे सबसे महत्वपूर्ण यह लगा कि खेल में सभी को एकजुट करने की शक्ति है।'


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