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हथगोलों के विस्फोटों के बीच बीता इस फुटबॉलर का जीवन, अब खेलेगा FIFA फाइनल

उन्होंने 32 साल से जो ज्वार अपने भीतर समेट रखा था वह लुज्निकी स्टेडियम में उनकी आंखों से आंसुओं के रूप में निकला।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 12:33 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 05:36 PM (IST)
हथगोलों के विस्फोटों के बीच बीता इस फुटबॉलर का जीवन, अब खेलेगा FIFA फाइनल
हथगोलों के विस्फोटों के बीच बीता इस फुटबॉलर का जीवन, अब खेलेगा FIFA फाइनल

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। नौ सितंबर 1985 को तत्कालीन यूगोस्लाविया और वर्तमान क्रोएशिया के जादार शहर के जाटन ओब्रोवाकी गांव में जन्में लुका मॉड्रिक का सुखी जीवन छह साल की उम्र में तहस-नहस हो गया। सर्ब विद्रोहियों ने घर के पास ही उनके दादा की गोली मार कर हत्या कर दी। हालात ऐसे हुए कि मॉड्रिक और उनके परिवार को शरणार्थी के तौर पर जीवन बिताना पड़ा। यह ऐसा पल था जो पूरी जिंदगी उनके साथ रहेगा।

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हथगोलो के विस्फोटों के बीच बीता जीवन

आने वाले समय में भी वह युद्धक्षेत्र में हथगोलों के विस्फोट के बीच में रहे। उनका घर जला दिया गया और इस कारण उन्हें अपने गांव से दूर एक होटल में जाकर रहना पड़ा। वह जादार के एक होटल में रहे जहां पर भी जंग जारी थी। हालांकि इन सबके बावजूद उन्होंने फुटबॉल का साथ नहीं छोड़ा। आस-पास चलती गोलियां और फूटते हथगोलों की आवाज भी उनके फुटबॉलर बनने के सपने को तोड़ नहीं पाई।

(लुका मॉड्रिक की बचपन की तस्वीर)

उनकी युवावस्था यहां के कोलोवेर होटल में बीती। उन्होंने होटल को ही फुटबॉल का मैदान बना लिया और उस होटल के इतने शीशे तोड़े जितने बमों से भी नहीं टूटे थे। वह लगातार होटल परिसर में ही फुटबॉल खेला करते थे। हालांकि जंग के अलावा भी उनके फुटबॉल करियर में काफी बाधाएं थीं। वह शारीरिक रूप से बहुत कमजोर व शर्मीले थे लेकिन फिर भी वह खास थे और यही कारण है कि उनका करियर इस स्तर पर पहुंच गया।

मॉड्रिक का चला मैजिक

वह पहले इंग्लिश प्रीमियर लीग में टॉटनहम के लिए खेले फिर रीयल मैड्रिड के लिए जादू दिखाया। उन्होंने खुद को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर के तौर पर स्थापित किया। जिन लोगों ने एक बच्चे के तौर पर मॉड्रिक पर संदेह किया था उन्होंने 12 जुलाई को इंग्लैंड के खिलाफ फीफा विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल मुकाबले में उनके प्रतिभाशाली नेतृत्व को देखा।

क्रोएशिया पहली बार पहुंचा विश्व कप के फाइनल में

25 जून 1991 में आजाद हुए क्रोएशिया ने 1998 विश्व कप में पहली बार क्वालीफाई किया लेकिन सेमीफाइनल में उसका सफर थम गया। अब यह टीम मॉड्रिक के नेतृत्व में रूस में चल रहे विश्व कप के फाइनल तक पहुंच गई है। रविवार को फाइनल में उसका मुकाबला फ्रांस से होगा। क्रोएशिया को पहली बार फीफा विश्व कप ट्रॉफी हासिल करने के इतने करीब ले जाने में सबसे ज्यादा योगदान उसके कप्तान मॉड्रिक का ही है।

उन्होंने 32 साल से जो ज्वार अपने भीतर समेट रखा था वह लुज्निकी स्टेडियम में उनकी आंखों से आंसुओं के रूप में निकला। मॉड्रिक ने इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे सेमीफाइनल में भी मिडफील्ड में एक बार फिर शानदार भूमिका निभाई और क्रोएशिया को विश्व कप में अब तक की सर्वश्रेष्ठ सफलता दिलाई।

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यह साफ है कि उनका स्तर बाकियों से ऊपर है। उन्होंने हर परीक्षा को पार करके झंझावतों से जूझते हुए अपने लिए एक विशेष जगह बनाई। फुटबॉल के मैदान में उनका अथक प्रयास उन्हें दूसरों से अलग बनाता है। एक छोटे से देश को फाइनल तक पहुंचाना मॉड्रिक के असाधारण जीवन की यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय है।

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