इतनी बड़ी बेइज्जती के बाद फीफा विश्व कप के आयोजक हुए 'पानी-पानी', अब होगा ऐसा
स्टेडियम में वितरण के लिए फीफा की एलओसी ने ही वेंडरों की नियुक्ति की थी लेकिन शुक्रवार को निर्धारित संख्या से आधे लोग ही ड्यूटी पर थे।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। पहली बार भारत में आयोजित हो रहे अंडर-17 फीफा विश्व कप के पहले दिन राजधानी के जवाहर लाल नेहरू (जेएलएन) स्टेडियम में पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण टॉयलेट का पानी पीने को मजबूर हुए स्कूली बच्चों को लेकर अब खेल मंत्रालय ने स्थानीय आयोजन समिति (एलओसी) को आड़े हाथ लिया है। सोमवार को जेएलएन स्टेडियम में फिर से भारत का मैच होना है और इसको लेकर मंत्रालय ने एलओसी की मदद करने का फैसला किया है।
शुक्रवार को जेएलएन स्टेडियम में घाना-कोलंबिया और भारत-अमेरिका का मैच था। भारत के मैच को देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां पहुंचे थे। स्टेडियम खाली न रहे इसके लिए एनसीआर से करीब 27000 स्कूली बच्चों को बुलाया गया था लेकिन दोपहर तीन बजे से स्टेडियम पहुंचे बच्चों को शाम आठ बजे तक पानी नहीं मिलने के कारण स्थिति इतनी भयावह हो गई कि बच्चों को टॉयलेट के नलों से और परिसर में खड़े दिल्ली जल बोर्ड के टैंकरों पर चढ़कर पानी पीना पड़ा। अगर कोई बच्चा टैंकर के अंदर गिर जाता तो बड़ा हादसा हो सकता था।
जब यह बात दैनिक जागरण ने उठाई तो फीफा, अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (एआइएफएफ), भारतीय खेल प्राधिकरण (साई), एलओसी और खेल मंत्रालय एक-दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए। एलओसी ने तो शनिवार को कहा कि हम आने वाले मैचों में बच्चों को मुफ्त पानी का इंतजाम करेंगे लेकिन उनकी तरफ से यह भी बताने की कोशिश की गई कि ये उनका नहीं बल्कि खेल मंत्रालय और साई का काम था। गलती उनकी तरफ से हुई। रविवार को एआइएफएफ की तरफ से ट्वीट किया गया कि हमने खेल मंत्रालय से मदद मांगी है और उन्होंने पूरा समर्थन देने का वादा किया है। इसके बाद केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौर ने ट्वीट किया कि हमारे लिए प्रशंसक महत्वपूर्ण हैं। आपको जो मदद चाहिए हम देने को तैयार हैं।
आधे से कम लोगों को काम पर लगाया गया
खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि स्टेडियम में वितरण के लिए फीफा की एलओसी ने ही वेंडरों की नियुक्ति की थी लेकिन शुक्रवार को निर्धारित संख्या से आधे लोग ही ड्यूटी पर थे। इसी कारण से यहां आए प्रशंसकों को परेशानी हुई। फीफा के आयोजकों को अब महसूस हुआ है कि संशाधनों को बढ़ाना चाहिए और उन्होंने मंत्रालय से मदद भी मांगी है। स्थितियों की गंभीरता को समझते हुए मंत्रालय ने साई से कहा है कि वह इस मामले में एलओसी की मदद करे।