FIFA फ्लैश बैक: 1982 में शुरू हुई ये परंपरा आजतक है कायम, इसके बिना अधूरा है विश्व कप
इटली तीन बार विश्व कप खिताब जीतने वाली दूसरी टीम बनी थी। उससे पहले 1958, 1962 और 1970 में ब्राजील ने यह उपलब्धि हासिल की थी।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। 1982 में 12वें फीफा विश्व कप का आयोजन 13 जून से 11 जुलाई के दौरान स्पेन में हुआ था। लगातार 12वीं बार एक नया देश विश्व कप की मेजबानी कर रहा था। स्पेन के 14 शहरों के 17 स्टेडियमों में इस विश्व कप के मैच खेले गए, जिसमें फाइनल मुकाबला स्पेन की राजधानी मैड्रिड के सेंटियागो बर्नबेऊ स्टेडियम में खेला गया। फाइनल में इटली ने वेस्ट जर्मनी को 3-1 से हराकर खिताब पर कब्जा जमाया। इटली का यह कुल तीसरा और 1938 के बाद पहला विश्व कप खिताब था। इटली तीन बार विश्व कप खिताब जीतने वाली दूसरी टीम बनी थी। उससे पहले 1958, 1962 और 1970 में ब्राजील ने यह उपलब्धि हासिल की थी। 1982 फीफा विश्व कप के साथ गोल्डन बॉल और गोल्डन बूट (गोल्डन शू) अवॉर्ड देने की भी परंपरा शुरू हुई।
गत चैंपियन दूसरे दौर में बाहर : इस विश्व कप में अर्जेटीना गत चैंपियन के रूप में उतरा था, लेकिन उसकी टीम दूसरे दौर से आगे नहीं जा सकी। टूर्नामेंट में उसकी शुरुआत ही निराशाजनक रही और उद्घाटन मुकाबले में ही उसे बेल्जियम ने 1-0 से मात दी। बार्सिलोना के घरेलू मैदान कैंप नाऊ स्टेडियम में खेले गए इस मैच में अर्जेटीनी स्टार डिएगो मैराडोना से प्रशंसकों को काफी उम्मीदें थीं, क्योंकि उनका क्लब फुटबॉल के लिए बार्सिलोना से नया-नया करार हुआ था, लेकिन वह बिल्कुल भी प्रभावित नहीं कर सके। वहीं, अर्जेटीना को दूसरे दौर के अपने दोनों मुकाबलों में इटली और ब्राजील के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
छह कंफेडरेशन, 24 टीमें : यह पहला विश्व कप था जिसमें सभी छह कंफेडरेशन से कम से कम एक टीम ने जरूर भाग लिया। इससे पहले 1978 तक 16 टीमें विश्व कप में खेलती थीं, लेकिन 1982 में पहली बार विश्व कप 24 टीमों के बीच खेला गया। इन टीमों को चार-चार टीमों के छह ग्रुपों में बांटा गया था, जिसमें से शीर्ष पर रहने वाली दो-दो टीमें दूसरे दौर में पहुंचीं थीं। इसके बाद दूसरे दौर में पहुंची 12 टीमों को तीन-तीन के चार ग्रुप में रखा गया, जिसमें से हर ग्रुप की शीर्ष टीम ने नॉकआउट दौर में जगह बनाई।
पांच टीमों का पहला विश्व कप : पांच देशों अल्जीरिया, कैमरून, होंडुरास, कुवैत और न्यूजीलैंड की टीमें पहली बार फीफा विश्व कप में भाग ले रही थीं। 1934 में 10 टीमों के विश्व कप पदार्पण करने के बाद यह पहला मौका था जब पांच या उससे ज्यादा टीमों ने पहली बार विश्व कप में शिरकत की।
नई टीमें, नया जोश : इस विश्व कप की नई टीमों में नया जोश देखने को मिला। पहली बार खेल रही कैमरून ने ग्रुप-1 में इटली और पोलैंड को ड्रॉ पर रोकने में सफलता हासिल की। हालांकि, कैमरून दुर्भाग्यशाली रही, जो गोल अंतर के आधार पर मात खा गई और दूसरे दौर में नहीं पहुंच सकी। वहीं, ग्रुप दौर में अपने तीनों मैच ड्रॉ खेलने वाली इटली पहली ऐसी टीम बनी जो बिना किसी मैच को जीते अगले दौर में पहुंचने में सफल हुई। बाद में उसने खिताब भी जीता। ग्रुप-2 में विश्व कप के इतिहास के सबसे बड़े उलटफेर में से एक देखने को मिला, जब पदार्पण कर रही अल्जीरिया ने 1954 और 1974 की चैंपियन वेस्ट जर्मनी को 2-1 से शिकस्त देकर फुटबॉल जगत को चौंकाया। पहली बार खेल रही होंडुरास ने भी ग्रुप-5 में मेजबान स्पेन और नॉर्दन आयरलैंड को ड्रॉ पर रोकने में सफलता हासिल की।
27वें सेकेंड में गोल : ग्रुप-4 का पहला मुकाबला इंग्लैंड और फ्रांस के बीच हुआ, जिसे इंग्लैंड ने 3-1 से अपने नाम किया। इस मैच में पहला गोल इंग्लैंड के मिडफील्डर ब्रायन रोबसन ने मैच के 27वें सेकेंड में ही दाग दिया। यह गोल विश्व कप के सबसे तेज गोलों में शुमार है।
मैराडोना को भेजा बाहर : दूसरे दौर में ब्राजील और अर्जेटीना के बीच मुकाबले के 85वें मिनट में अर्जेटीना के मैराडोना ने ब्राजील के जाओ बतिस्ता के पेट के पास लात मारी, जिसके बाद मैराडोना को मैदान से बाहर भेज दिया गया। हालांकि, यह मुकाबला ब्राजील ने 3-1 से जीता।
पहली बार पेनाल्टी शूटआउट : वेस्ट जर्मनी और फ्रांस के बीच सेमीफाइनल मुकाबले में विश्व कप इतिहास में पहली बार पेनाल्टी शूटआउट देखने को मिला। यह मुकाबला काफी रोमांचक और नाटकीय साबित हुआ और मैच के अतिरिक्त समय में चार गोल हुए। इस मैच को क्लाउस फिशर के लिए भी याद किया जाता है, जिन्होंने अतिरिक्त समय में बाइसिकिल किक से गोल कर वेस्ट जर्मनी को 3-3 की बराबरी दिलाई। इसके बाद मुकाबला पेनाल्टी शूटआउट में गया, जिसमें वेस्ट जर्मनी ने फ्रांस को 5-4 से हराकर खिताबी दौड़ में जगह बनाई। इस मैच को विश्व कप इतिहास के सबसे बेहतरीन मुकाबलों में से एक गिना जाता है। इतना ही नहीं, इस मैच को फ्रांस के कप्तान माइकल प्लाटिनी ने अपना सबसे खूबसूरत मैच बताया था।
जॉफ का रिकॉर्ड : फाइनल मुकाबले में इटली ने वेस्ट जर्मनी को हराकर खिताब पर कब्जा जमाया। इस जीत के साथ ही इटली के कप्तान और गोलकीपर डीनो जॉफ ने एक ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम किया, जो आज तक नहीं टूट सका। जॉफ 40 साल 133 दिन की उम्र के साथ विश्व कप खिताब जीतने वाले सबसे बुजुर्ग कप्तान बने।गोल्डन
बॉल और गोल्डन बूट अवॉर्ड : 1982 फीफा विश्व कप के साथ गोल्डन बॉल और गोल्डन बूट (गोल्डन शू) अवॉर्ड देने की भी परंपरा शुरू हुई। टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को गोल्डन बॉल और टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने वाले को गोल्डन बूट अवॉर्ड दिया जाता है। पहला गोल्डन बॉल अवॉर्ड इटली के पाओलो रॉसी ने जीता था। रॉसी ने ही छह गोलों के साथ गोल्डन बूट अवॉर्ड पर कब्जा जमाया था।