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फीफा विश्व कप 2018 : दक्षिण अमेरिकी टीमों का हुआ बुरा हाल, यूरोपीय टीमों का बोलबाला

इंग्लैंड, बेल्जियम, फ्रांस और क्रोएशिया की टीमें सेमीफाइनल में पहुंच चुकी हैं और ये सभी यूरोपीय देश हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 08 Jul 2018 08:04 PM (IST)Updated: Sun, 08 Jul 2018 08:04 PM (IST)
फीफा विश्व कप 2018 : दक्षिण अमेरिकी टीमों का हुआ बुरा हाल,  यूरोपीय टीमों का बोलबाला
फीफा विश्व कप 2018 : दक्षिण अमेरिकी टीमों का हुआ बुरा हाल, यूरोपीय टीमों का बोलबाला

विकास पांडेय, नई दिल्ली। फुटबॉल के खेल में हमेशा से यूरोप का बोल-बाला रहा है। दक्षिण अमेरिकी टीमों ने भी फुटबॉल की दुनिया में काफी नाम कमाया है, लेकिन यूरोपीय देश ही सफलता के मामले में ज्यादातर मौकों पर आगे रहे हैं। आलम यह है कि यूरोप और दक्षिण अमेरिकी टीमों के अलावा कोई दूसरी कंफेडेरशन की टीम आज तक फीफा विश्व कप का खिताब नहीं जीत पाई। फिलहाल 2018 फीफा विश्व कप की ट्रॉफी यूरोप में जाएगी यह तय हो चुका है। इंग्लैंड, बेल्जियम, फ्रांस और क्रोएशिया की टीमें सेमीफाइनल में पहुंच चुकी हैं और ये सभी यूरोपीय देश हैं।  

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11 बार यूरोप बना है चैंपियन : अब तक 20 विश्व कप आयोजित हो चुके हैं जिसमें यूरोपीय टीमों ने सबसे ज्यादा 11 बार खिताब जीते हैं। वहीं, दक्षिण अमेरिकी टीमों ने नौ बार खिताबी जीत हासिल की हैं। इतना ही नहीं, यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी कंफेडेरशन के अलावा केवल दो ही टीमें अब तक विश्व कप के सेमीफाइनल तक पहुंच पाई हैं। उत्तर, मध्य अमेरिकी एवं कैरीबियाई कंफेडेरशन की अमेरिकी टीम ने 1930 और एशियन कंफेडेरशन की दक्षिण कोरियाई टीम ने 2002 विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।

ब्राजील ने जमाई धाक : दक्षिण अमेरिकी टीम ब्राजील को विश्व कप इतिहास की सबसे सफल टीम माना जाता है जिसने सबसे ज्यादा पांच बार विश्व कप खिताब जीते हैं। इस टीम ने लंबे समय तक अपने दमदार खिलाडिय़ों के दम पर ब्राजील को बुलंदियों पर बनाए रखा। 1958 में पहला विश्व कप जीतने के बाद उसने 1962, 1970, 1994 और 2002 में खिताब अपने नाम किया। हालांकि यूरोप की दिग्गज टीम जर्मनी और इटली ने भी अपनी धाक जमाई है। जर्मनी ने 1954, 1974, 1990 और 2014 में, जबकि इटली ने 1934, 1938, 1982 और 2006 में चार-चार बार विश्व कप अपने नाम किए हैं। दक्षिण अमेरिका की अर्जेंटीना (1978 व 1986) और उरुग्वे (1930 व 1950) की टीमें भी दो-दो बार की विश्व चैंपियन रही हैं, जबकि फ्रांस (1998), इंग्लैंड (1966) और स्पेन (2010) ने यूरोपीय टीमों के तौर पर विश्व खिताब अपने नाम किया।  

16 साल से यूरोप का राज : फीफा विश्व कप के पिछले तीन आयोजन में यूरोपीय टीमों का जलवा देखने को मिला है और यूरोपीय टीम ही चैंपियन बनी है, जबकि इस बार भी यूरोपीय टीम का चैंपियन बनना तय है। ब्राजील की टीम ने आखिरी बार दक्षिण अमेरिकी टीम के तौर पर 2002 में विश्व कप जीता था, लेकिन इसके बाद 2006 में इटली, 2010 में स्पेन और 2014 में जर्मनी ने यूरोप का झंडा बुलंद किया। पिछले विश्व कप में यूरोप और दक्षिण अमेरिका की दो-दो टीमें सेमीफाइनल में पहुंची थीं और खिताबी मुकाबले में भी दोनों कंफेडेरशन की टीमें आमने-सामने थीं, लेकिन इस बार तो हद हो गई। 2018 विश्व कप की चारों टीमें यूरोप से हैं। 

दक्षिण अमेरिका का बुरा हाल : 2018 विश्व कप में अर्जेंटीना और ब्राजील को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन इन दोनों टीमों ने निराश किया। लियोन मेसी की अर्जेंटीनी टीम को प्री-क्वार्टर फाइनल में यूरोप की दिग्गज टीम फ्रांस ने हराकर टूर्नामेंट से बाहर किया। वहीं पांच बार के विश्व चैंपियन ब्राजील को भी बेल्जियम के रूप में एक यूरोपीय टीम से क्वार्टर फाइनल में शिकस्त झेलनी पड़ी। इतना ही नहीं, क्वार्टर फाइनल में दक्षिण अमेरिकी टीम उरुग्वे को फ्रांस ने हराकर उसे बाहर का रास्ता दिखाया। क्वार्टर फाइनल में पहुंची आठ टीमों में से छह यूरोपीय टीमें थीं, जबकि ब्राजील और उरुग्वे के रूप में केवल दो दक्षिण अमेरिकी टीमें अंतिम-आठ में पहुंचने में सफल रही थीं। 

एशिया ने जगाई उम्मीदें : रूस विश्व कप में दुनिया की शीर्ष टीमों के खिलाफ एशियाई टीमों ने दमदार प्रदर्शन किया, जिससे कतर में होने वाले 2022 विश्व कप में इन टीमों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जगी है। मौजूदा चैंपियन जर्मनी पर दक्षिण कोरिया की 2-0 की जीत को सबने देखा और फिर अंतिम-16 में बेल्जियम के खिलाफ जापान ने हार के बावजूद जोरदार प्रदर्शन किया जिसे भुलाया नहीं जा सकता। ईरान ने भी क्रिस्टियानो रोनाल्डो की पुर्तगाली टीम को पटक ही दिया था। 2002 में जापान और दक्षिण कोरिया की मेजबानी में हुए विश्व कप के बाद किसी भी एशियाई फुटबॉल संघ (एएफसी) की टीम ने विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में जगह नहीं बनाई है, लेकिन मौैजूदा विश्व ने एशियाई टीमों की उम्मीदें जगाई हैं। मौजूदा विश्व कप में जापान, दक्षिण कोरिया, ईरान, सऊदी अरब और ऑस्ट्रेलिया के रूप में पांच एशियाई कंफेडेरशन की टीमों ने भाग लिया और इस दौरान इन टीमों ने मिलाकर ग्रुप स्टेज पर 15 अंक हासिल किए। एशियाई फुटबॉल इतिहास में यह पहला मौका है जब ग्रुप स्टेज पर एशियाई टीमों को इतने अंक हासिल हुए। जापान ने तो ऐतिहासिक  प्रदर्शन करते हुए प्री-क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। 


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