Move to Jagran APP

फीफा विश्व कप फ्लैश बैक (1986) : मैराडोना के दम पर चैंपियन बना अर्जेटीना

24 टीमों के इस टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले को अर्जेटीना ने वेस्ट जर्मनी को 3-2 से हराकर जीता था।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 06:09 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jun 2018 01:13 PM (IST)
फीफा विश्व कप फ्लैश बैक (1986) : मैराडोना के दम पर चैंपियन बना अर्जेटीना
फीफा विश्व कप फ्लैश बैक (1986) : मैराडोना के दम पर चैंपियन बना अर्जेटीना

1986 में 13वें फीफा विश्व कप का आयोजन 31 मई से 29 जून के दौरान मेक्सिको में हुआ। यह दूसरा मौका था जब मेक्सिको फुटबॉल के इस महाकुंभ की मेजबानी कर रहा था। इससे पहले उसने 1970 में भी विश्व कप की मेजबानी की थी। इस तरह मेक्सिको दो बार विश्व कप की मेजबानी करने वाला दुनिया का पहला देश बना। 24 टीमों के इस टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले को अर्जेटीना ने वेस्ट जर्मनी को 3-2 से हराकर जीता था। यह अर्जेटीना का दूसरा विश्व कप खिताब था। इससे पहले उसने 1978 में अपनी मेजबानी में भी खिताब अपने नाम किया था। इस विश्व कप को अर्जेटीना के कप्तान डिएगो मैराडोना के शानदार प्रदर्शन के लिए भी याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी टीम को चैंपियन बनने में अहम भूमिका निभाई।

loksabha election banner

कोलंबिया को करनी थी मेजबानी : 13वें विश्व कप की मेजबानी के अधिकार कोलंबिया को मिले थे, लेकिन उसने नवंबर 1982 में आर्थिक संकट को वजह बताते हुए इसकी मेजबानी करने से इन्कार कर दिया। इसके बाद मई 1983 में मेक्सिको ने मेजबानी के अधिकार हासिल किए।

भूकंप ने हिलाया : मेक्सिको 16 साल बाद दूसरी बार विश्व कप की मेजबानी करने की तैयारी में जुटा था, लेकिन टूर्नामेंट शुरू होने से आठ महीने पहले सितंबर 1985 में आए भूकंप की वजह से आयोजन संकट में घिरता नजर आने लगा। हालांकि, भूकंप ने स्टेडियमों को ज्यादा प्रभावित नहीं किया था और निर्धारित समय पर मेक्सिको के नौ शहरों के 12 स्टेडियमों में विश्व कप के मैच खेले गए।

स्पेनिश भाषी देश : मेक्सिको में स्पेनिश भाषा बोली जाती है। 1978 में अर्जेटीना और 1982 में स्पेन ने विश्व कप का आयोजन किया था। इन दोनों देशों में भी स्पेनिश भाषा बोली जाती है। इस तरह से लगातार तीसरे स्पेनिश भाषी देश ने फीफा विश्व कप की मेजबानी की।

मैराडोना ही मैराडोना : यह विश्व कप पूरी तरह से डिएगो मैराडोना का साबित हुआ। 25 वर्षीय मैराडोना अर्जेटीना की कप्तानी कर रहे थे और पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने अपना जबरदस्त प्रभाव छोड़ा। मैराडोना ने इस टूर्नामेंट में पांच गोल दागे। इनमें से दो गोल क्वार्टर फाइनल और दो गोल सेमीफाइनल मुकाबले में हुए। इसके अलावा मैराडोना ने पांच गोल में मदद भी की। इस तरह उन्होंने अपने दम पर ही अर्जेटीना को विश्व विजेता बनाया, जिसके बाद वह पूरी दुनिया में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गए।

दो गोल, दो रूप : इस विश्व कप को अर्जेटीना और इंग्लैंड के बीच हुए क्वार्टर फाइनल मुकाबले के लिए भी याद किया जाता है। यह मैच अर्जेटीना ने 2-1 से जीता था, लेकिन इसे हार-जीत से ज्यादा अर्जेटीना की ओर से हुए दोनों गोलों के लिए याद करते हैं। ये दोनों ही गोल मैराडोना ने किए थे। इनमें से पहला गोल खासा विवादित रहा। गेंद मैराडोना के हाथ से लगकर गोल पोस्ट में गई थी। रेफरी इसे देख नहीं सके और इसे गोल दे दिया गया। मैराडोना ने इस गोल को भगवान की मर्जी बताते हुए इसे 'हैंड ऑफ गॉड गोल' करार दिया था। इसके चार मिनट बाद ही मैराडोना ने इतना बेहतरीन गोल किया कि उस गोल को सदी का सर्वश्रेष्ठ गोल (गोल ऑफ द सेंचुरी) करार दिया गया। मैराडोना ने इंग्लैंड के पांच खिलाडि़यों को छकाते हुए यह गोल दागा था, जिसमें गोलकीपर भी शामिल था।

गोल्डन बूट और गोल्डन बॉल : इंग्लैंड के गैरी लाइनकर को टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा छह गोल करने के लिए गोल्डन बूट अवॉर्ड से नवाजा गया, जबकि अर्जेटीना के डिएगो मैराडोना को टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने जाने पर गोल्डन बॉल अवॉर्ड दिया गया।

फीफा विश्व कप की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

खेल की खबरों के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.