रिश्तों में मिठास घोलती ईद
ईद की सिवईयां जुबां में मिठास घोलती हैं तो प्यार और सौहार्द का संदेश देने वाला यह पर्व रिश्तों में लाता है गरमाहट...
ईद के मौके पर देश-दुनिया में सौहार्द की बयार बह उठती है। चांद देखकर मनाए जाने वाले इस त्योहार के रंग शहर में तीन से चार दिन तक देखने को मिलते हैं। विभिन्न त्योहारों की तरह ही ईद में न सिर्फ परिवार और दोस्तों के साथ सुनहरे पल बिताने का मौका मिलता है, बल्कि दोस्तों और रिश्तेदारों को दावत देकर रिश्तों में लाई जाती है गरमाहट।
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पूरा होता इंतजार
फेथफुलगंज की फरहत महबूत बताती हैं, ''ईद एक ऐसा त्योहार है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य तीन-चार दिनों का समय एक साथ बिताते हैं। दुबई में रह रहा बेटा भी इसी त्योहार पर घर आता है। रमजान की शुरुआत से ही ईद का उल्लास छाने लगता है। इस मौके पर बेटे-बेटियां और रिश्तेदारों की अगवानी ईद को और खुशगवार बना देती है। सालभर काम की व्यस्तता और न मिल पाने की चाहत का इंतजार ईद के मौके पर पूरा हो जाता है।''
मेहमान नवाजी का मौका
रेल बाजार की दरकशा आफताब बताती हैं, ''ईद प्यार और भाईचारे का त्योहार है। इसीलिए इस त्योहार में अमीर-गरीब का कोई फर्क नहीं दिखता। इसे सभी पूरी शिद्दत से मनाते हैं। इसमें मेल-मिलाप का ऐसा माहौल बनता है कि जिन दोस्तों, रिश्तेदारों व करीबियों से सालभर मिल नहीं पाते, उनकी मेहमाननवाजी करने व उनके घर जाने का मौका नहीं छोड़ते। हमारे कई ऐसे दोस्त हैं, जो ईद में मिलने जरूर आते हैं और हम भी खुलकर मेहमाननवाजी करते हैं।''
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ईदी में छुपा प्यार
बाबूपुरवा की हबीबा मोहसिन बताती हैं, ''सभी त्योहारों की तरह ही ईद भी प्यार और रिश्तों में मिठास घोलती है। ईद पर मैं अपने घर के साथ ही दोस्तों और करीबियों के बच्चों को ईदी देती हूं। खुद भी मैं अपने बड़ों से ईदी लेने का मौका नहीं गंवाती। परिवार और अपनों के साथ बैठकर खाना खाना, त्योहार की रस्मे निभाना और बच्चों के चेहरे पर खुशी देखना, यही तो असली मजा है ईद के त्योहार का।''
अब हमारी बारी
कर्नलगंज की परवीन इकराम बताती हैं, ''ईद सौहार्द और प्यार का संदेश देने वाला त्योहार है। ईद के मौके पर हम अपने फे्रंड्स को दावत पर जरूर बुलाते हैं और कई तरह की सिवईं से उनका स्वागत करते हैं। ईद का त्योहार रिश्तों में मिठास घोलता है। इसी बहाने हम दोस्तों व करीबियों को एकसाथ बैठने का मौका मिल भी मिल जाता है।
सालभर तो हम अलग-अलग
त्योहारों में फ्रेंड्स के घर जाते हैं और जब ईद होती है तो घर बुलाने की बारी हमारी होती है।''
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