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पावन पर्व गंगा दशहरा

हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के पावन पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दु:खों से मुक्ति पा जाता है।

By Edited By: Published: Mon, 10 Jun 2013 03:31 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2013 03:31 PM (IST)
पावन पर्व गंगा दशहरा

हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के पावन पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दु:खों से मुक्ति पा जाता है।

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इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है।

गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन दान में सलू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। ज्योतिष जी.एम. हिंगे के अनुसार गंगा जी को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के लिए अंशुमान के पुत्र दिलीप व दिलीप के पुत्र भागीरथ ने बड़ी तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता गंगा ने उन्हें दर्शन दिया और कहा- मैं तुम्हें वर देने आई हूं।

राजा भागीरथ ने बड़ी नम्रता से कहा- आप मृत्यु लोक में चलिए। गंगा ने कहा- जिस समय मैं पृथ्वीतल पर अवतरण करुं, उस समय मेरे वेग को कोई रोकने वाला होना चाहिए। ऐसा न होने पर पृथ्वी को फोड़कर रसातल में चली जाऊंगी और लोग मुझमें पाप कैसे धो पाएंगे।

भागीरथ ने अपनी तपस्या से रुद्रदेव को प्रसन्न किया तथा समस्त प्राणियों की आत्मा रुद्रदेव ने गंगा जी के वेग को अपनी जटाओं में धारण किया।

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