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'हम भी अकेले-तुम भी अकेले' में ज़रीन ख़ान और अंशुमन झा निभा रहे LGBT किरदार, देखें दिलचस्प ट्रेलर

मानसी और वीर की मुलाक़ात एक बार में होती है और दोनों को लगता है कि बहुत कुछ मिलता-जुलता है। दोनों एक साथ दिल्ली से मैकल्योडगंज की रोड ट्रिप पर निकलते हैं जो दोनों की ज़िंदगी का अहम मोड़ बन जाती है।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 05:22 PM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 05:22 PM (IST)
'हम भी अकेले-तुम भी अकेले' में ज़रीन ख़ान और अंशुमन झा निभा रहे LGBT किरदार, देखें दिलचस्प ट्रेलर
Anshuman Jha and Zareen Khan in Hum Bhi Akele, Tum Bhi Akele. Photo- PR

नई दिल्ली, जेएनएन। आमिर ख़ान की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म 'क़यामत से क़यामत तक' के गाने 'ग़ज़ब का है दिन' की एक पंक्ति से अपनी फ़िल्म का शीर्षक निकालकर निर्देशक हरीश व्यास ने 'हम भी अकेले, तुम भी अकेले' बना डाली। इस रोमांटिक गाने की तरह 'हम भी अकेले, तुम भी अकेले' की कहानी भी प्यार-मोहब्बत में डूबी है, मगर इसके मुख्य किरदार LGBT समुदाय से आते हैं, जिन्हें ज़रीन ख़ान और अंशुमन झा निभा रहे हैं। ज़रीन के किरदार का नाम मानसी है, जबकि अंशुमन वीर बने हैं।

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मानसी लेस्बियन है, जबकि वीर गे है। इन दोनों की मुलाक़ात एक बार में होती है और दोनों को लगता है कि बहुत कुछ मिलता-जुलता है। दोनों एक साथ दिल्ली से मैकल्योडगंज की रोड ट्रिप पर निकलते हैं, जो दोनों की ज़िंदगी का अहम मोड़ बन जाती है। इस यात्रा के दौरान उन्हें एहसास होता है कि प्यार जेंडर की सीमाओं से परे है।

हम भी अकेले, तुम भी अकेले का निर्देशन हरीश व्यास ने किया है। फ़िल्म कई देसी और विदेशी फ़िल्म समारोहों में दिखायी जा चुकी है। फ़िल्म के बारे में हरीश कहते हैं- हम भी अकेले, तुम भी अकेले दो होमोसेक्सुअल्स के बीच एक ख़ास तरह की दोस्ती की कहानी है, जो हालात की वजह से होती है। इस फ़िल्म को बनाने का उद्देश्य एलजीबीटी प्लस कम्यूनिटी के प्यार, गर्मजोशी, सकारात्मकता और दोस्ती के एहसास को सबके सामने लाना है। अंग्रेज़ी में कहते हैं के बाद मैं दोस्ती और प्यार पर एक हल्की-फुल्की मज़ेदार फ़िल्म बनाना चाहता था। हम भी अकेले, तुम भी अकेले उसी का परिणाम है।

 

 

 

 

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ज़रीन ख़ान ने कहा कि जब इस फ़िल्म की कहानी सुनी तभी मैं मानसी का किरदार निभाने के लिए तैयार हो गयी थी। इसकी अलग तरह की कहानी ने मुझे आकर्षित किया। मेरे लिए यह फ़िल्म लाइफ़ चेंंजिंग अनुभव रही है। अंशुमन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने होमोसेक्सुएलिटी को लीगल कर दिया है, मगर फिर भी भारतीय समाज में इसे एक टैबू के रूप में देखा जाता है और फ़िल्म में मेरा किरदार वीर अपने परिवार के सामने बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता। अंशुमन ने कहा कि पैनडेमिक की वजह से फ़िल्म थिएटर्स में रिलीज़ नहीं हो सकी, मगर ख़ुशी है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आ रही है, जहां अधिक दर्शक इसे देख सकेंगे। 


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