Interview: 'किसी फ़िल्मी परिवार से नहीं हूं, जो फ्लॉप के बावजूद काम मिलता रहता'- ज़रीन ख़ान
ज़रीन डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई फ़िल्म हम भी अकेले तुम भी अकेले में नज़र आयी हैं। 14 मई को उम्र के 34वें पड़ाव पर पहुंच रहीं ज़रीन ने जागरण डॉटकॉम के साथ अपनी इस फ़िल्म पुरानी ग़लतियों और भावी योजनाओं के बारे में खुलकर बात की।
नई दिल्ली, मनोज वशिष्ठ। ज़रीन ख़ान ने सलमान ख़ान के साथ बॉलीवुड में ड्रीम डेब्यू किया था। 2010 में आयी अनिल शर्मा निर्देशित वीर में उन्होंने राजकुमारी यशोधरा का किरदार निभाया था। हालांकि, यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर नहीं चली थी। तब से अब तक, इंडस्ट्री में ज़रीन को 11 साल पूरे हो चुके हैं, मगर ज़रीन के करियर की गति उनके भव्य डेब्यू के अनुरूप नहीं रही। इस बीच उन्होंने लगभग 10 फ़िल्मों में काम किया है, जिनमें पंजाबी और दक्षिण भारतीय फ़िल्में भी शामिल हैं। ज़रीन हाल ही में डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई फ़िल्म हम भी अकेले तुम भी अकेले में नज़र आयी हैं।
इस फ़िल्म में उन्होंने अपनी इमेज से बिल्कुल अलग किरदार निभाया है, जिसे वो ऐसे फ़िल्ममेकरों के लिए एक संदेश के तौर पर देखती हैं, जिन्होंने उनकी अदाकारी के हुनर से ज़्यादा उनमें ग्लैमर को देखा। 14 मई को उम्र के 34वें पड़ाव पर पहुंच रहीं ज़रीन ने जागरण डॉटकॉम के साथ अपनी इस फ़िल्म, पुरानी ग़लतियों और भावी योजनाओं के बारे में खुलकर बात की।
हम भी अकेले तुम भी अकेले में एक लेस्बियन किरदार को चुनने के पीछे क्या वजह रही?
इस किरदार को ना कहने के लिए कोई वजह थी ही नहीं। जब मैंने पहली बार स्क्रिप्ट सुनी थी, तब ही मेकर्स से अनुरोध किया था कि मुझे इस फ़िल्म का हिस्सा बनाइए। हालांकि, वो इसको लेकर बहुत उत्सुक नहीं थे। फिर ऑडिशन हुए और इसके बाद मैं फ़िल्म का हिस्सा बनी। हम भी अकेले तुम भी अकेले, दो दोस्तों की प्यारी सी कहानी है, जो एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। मानसी का किरदार निभाकर मुझे बहुत संतुष्टि मिली है, क्योंकि मुझे यक़ीन है कि दर्शकों पर अपना प्रभाव छोड़ेगा।
अभी आपने कहा कि मेकर्स मानसी के किरदार में आपको लेने के इच्छुक नहीं थे? ऐसा क्यों?
दरअसल, मैंने इससे पहले जो भी काम किया है, उनमें मेरे किरदार ग्लैमरस थे। इस तरह का किरदार पहले कभी निभाया नहीं था। इसलिए हम भी अकेले तुम भी अकेले के मेकर्स हिचक रहे थे। सिर्फ़ ये नहीं, इंडस्ट्री में बहुत से लोग मेरे बॉडी ऑफ़ वर्क को लेकर, मेरी इमेज को लेकर आशंकित रहते हैं। मैं उन सभी लोगों को यह दिखाना चाहती थी कि मैं सिर्फ़ ग्लैमरस नहीं हूं।
इस फ़िल्म में मानसी एक झल्ली-सी लड़की है। वो अपने लुक्स पर ध्यान नहीं देती। मेकअप नहीं करती। खाने-पीने की शौकीन है। इस किरदार के लिए मैंने थोड़ा वेट भी बढ़ाया। कैरेक्टर में दिखने के लिए जिम जाना बंद कर दिया था। कुछ लोग मेरे बारे में सोचते रहते हैं कि ऐसे किरदार मैं करूंगी या नहीं करूंगी। उस वजह से मुझे मौक़े नहीं मिले। मुझे ख़ुशी है कि अंशुमन (सह कलाकार और निर्माता) और हरीश सर (निर्देशक हरीश व्यास) ने मुझे यह मौक़ा दिया।
...तो आपको यह लगता है कि इंडस्ट्री में आपके टैलेंट का पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया?
बिल्कुल नहीं किया गया है। उम्मीद करती हूं कि इस फ़िल्म के बाद लोग मुझे अलग तरह से देखेंगे। मेरी तरफ उनका जो नज़रिया है, वो बदलेगा और मुझे अलग-अलग तरीक़े के रोल ऑफ़र होंगे। दमदार रोल मिलें, जिनमें अभिनय की दरकार हो। सिर्फ़ हीरोइन की तरह ख़ूबसूरत दिखने का काम ना हो। आगे अपने करियर को लेकर सोचा तो बहुत कुछ है, मगर जब तक लोगों का नज़रिया नहीं बदलेगा, तब तक कुछ नहीं बदलेगा।
मानसी के किरदार में आप काफ़ी बेबाक़ और बेतकल्लुफ़ नज़र आ रही हैं। कहीं-कहीं इसमें जब वी मेट की गीत की झलक दिखती है। क्या ऐसा जान-बूझकर किया गया है?
ऐसा तो कुछ नहीं सोचा था। मानसी का किरदार मैंने उसे अपनी जगह रखकर निभाया है, क्योंकि मानसी के सेक्सुअल ओरिएंटेशन को छोड़ दें, तो बाकी सब कुछ मेरे जैसा ही है। मानसी जिस तरह बात करती है। जैसे चलती है। मैं रियल लाइफ़ में वैसी ही हूं। बहुत सारे लोगों को मेरे बारे में नहीं पता, क्योंकि मैं जो स्क्रीन पर दिखती हूं, लोग मुझे वही समझते हैं। लेकिन, जो मेरे दोस्त हैं, जो मुझे क़रीब से जानते हैं, उन्हें पता है कि इस फ़िल्म में स्क्रीन पर वो जिसे देख रहे हैं, वो मैं ही हूं।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर आपका डेब्यू हो गया। आगे इस उभरते हुए प्लेटफॉर्म को लेकर क्या योजनाएं हैं?
मुझे लगता है कि ओटीटी एक वरदान की तरह है। पिछले साल लॉकडउन में ओटीटी ने ही ऑडिएंस को एंटरटेन किया है। ओटीटी ने मेरे जैसे लोगों के लिए बहुत सारे अवसर मुहैया करवाये हैं। अलग-अलग तरह के दर्शकों के लिए कंटेंट आ रहा है। मनोरंजन का इवोल्यूशन हुआ है। मुझे भी ओटीटी पर ऑफर आ रहे हैं। एक बार हालात ठीक हो जाएं, तो फिर शूटिंग शुरू होगी। आगे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर ज़्यादा दिखूंगी। मैंने एक फ़िल्म अभी पूरी की है, जो वेब फ़िल्म ही है। यह हॉरर कॉमेडी है। अभी लॉकडाउन की वजह से सब बंद पड़ा है। उसका पोस्ट प्रोडक्शन डबिंग वगैरह बाकी है। जून में रिलीज़ करना चाहते थे, मगर अभी सब बंद है।
किस तरह की फ़िल्में करना चाहती हैं और किस जॉनर में फ़िल्में करना पसंद है?
मेरा अरमान है कि हर तरह के जॉनर की फ़िल्में करूं। अलग-अलग किरदार निभा सकूं। ताकि हर फ़िल्म के साथ ऑडिएंस को कुछ नया दे सकूं। हां, कॉमेडी जॉनर में और ज़्यादा काम करना चाहती हूं। ऐसी फ़िल्में करना चाहती हूं, जहां मुझे ख़ुद एक्शन करने को मिले। हाउसफुल में मैंने काम किया था, मेरा रोल उतना बड़ा नहीं था। एक पूरी कॉमेडी फ़िल्म करना चाहती हूं।
आपने सलमान ख़ान की हीरोइन के तौर पर बॉलीवुड में डेब्यू किया, मगर उसके बाद आपका करियर थम-सा गया। क्या आप फ़िल्मों को लेकर चूज़ी हो गयी थीं?
जब मैं इंडस्ट्री में आयी थी तो मेरी बहुत आलोचना हुई थी, जिसकी वजह से मुझे ज़्यादा काम नहीं मिल पाया। लेकिन, उम्मीद नहीं खोई। मैंने अपना सफ़र जारी रखा। जैसे-जैसे काम मिलता रहा, करती रही। मैं यह अच्छी तरह जानती थी कि मैं किसी फ़िल्मी परिवार या इंडस्ट्री की प्रभावशाली बैकग्राउंड से नहीं आती, जो लगातार फ्लॉप फ़िल्में देने के बावजूद मुझे काम मिलता रहेगा। वो कहते हैं ना कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंकर पीता है, मेरे साथ वही हुआ।
इंडस्ट्री में करियर शुरू करते वक़्त ऐसी क्या ग़लती है, जिसे मौक़ा मिले तो दुरुस्त करना चाहेंगी?
इंडस्ट्री में जब आयी थी, तो बहुत ही खोई हुई थी। ज़्यादा मंझी हुई भी नहीं थी। एक्ट्रेस बनने का कभी ख्वाब ही नहीं था। उस दौरान बहुत सारे लोगों ने ढेरों सलाह दीं। मेरी समझ में नहीं आता था कि क्या करूं, तो मैं सबकी बात मान लेती थी। अगर वैसा नहीं करती तो शायद आज करियर बेहतर होता।
सोशल मीडिया आज सेलेब्रिटीज़ का ज़रूरी हिस्सा बन गया है। आपके लिए यह प्लेटफॉर्म कितना अहम है?
सोशल मीडिया कुछ लोगों के लिए ज़िंदगी का हिस्सा नहीं, जिंदगी बन गयी है। कुछ लोगों के लिए सोशल मीडिया उनका 'वैलिडेशन' बन गया है। मेरे लिए वो नहीं है। मैं उन लोगों में से नहीं हूं कि सुबह उठकर फोटोशूट करूं। मेकअप करूं। गाउन पहनूं और फोटो डालूं। बस इसलिए क्योंकि फॉलोअर्स बढ़ाने हैं। मैं अपनी ज़िंदगी अपने ढंग से शांतिपूर्वक जीना चाहती हूं। यह सब मेरी ज़िंदगी का हिस्सा हो सकता है, मेरी ज़िंदगी नहीं हैं। यह सब बहुत सतही है और यह चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।
कोरोना के दौर में हालात ख़राब हैं। ऐसे में पॉज़िटिव रहने के लिए लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगी?
हम सब एक मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं। मानसिक रूप से संभालना बड़ा मुश्किल हो गया है, क्योंकि इतनी नेगेटिविटी हो गयी है। इतने नकारात्मक माहौल में कुछ तो है पॉज़िटिव। हमारे सिर पर रहने के लिए छत है। हम घर में खाना खा रहे हैं। जिन्हें हम चाहते हैं, वो हमारे साथ हैं। जो भी छोटी से छोटी उपलब्धियां हैं, उनके शुक्रगुज़ा रहना चाहिए। हालात, अच्छे हों या बुरे, ज़्यादा वक्त तक नहीं रहते। यह दौर भी गुज़र जाएगा, बस मजबूत बनकर रहना है।