Grahan पुलिस ऑफिसर जोया हुसैन ने बताया कैसे मिली ये सीरीज़, कितना चुनौतीपूर्ण है उनका किरदार
फिल्म मुक्काबाज’ में मूक लड़की के किरदार से जोया हुसैन ने अभिनय सफर का आगाज किया था। अब वह डिज्नी प्लस हाट स्टार पर रिलीज वेब सीरीज ग्रहण’ में पुलिस आफिसर अमृता सिंह के किरदार में नजर आ रही हैं।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। फिल्म 'मुक्काबाज’ में मूक लड़की के किरदार से जोया हुसैन ने अभिनय सफर का आगाज किया था। अब वह डिज्नी प्लस हाट स्टार पर रिलीज वेब सीरीज 'ग्रहण’ में पुलिस आफिसर अमृता सिंह के किरदार में नजर आ रही हैं। उनसे बातचीत के अंश:
सवाल : पिछला एक साल आपके लिए कैसा गुजरा?
जवाब : यह दौर मिलीजुली भावनाओं से भरा रहा। अच्छी बात यह रही कि परिवार, दोस्तों और प्रियजनों को समय देने का मौका मिला। अपने शौक पूरे करने और लोगों की मदद करने का अवसर मिला। इन सब चीजों से प्यार, गुस्सा, खुशी हर तरह की भावनाएं थीं, जिन्हें शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता है।
सवाल : आप नॉन कमर्शियल कंटेंट चुन रही हैं, क्या यह सोचा-समझा निर्णय है?
जवाब : मेरे पास जो भी चीजें आ रही थीं, उनमें से जो मुझे अच्छी लगीं, जो किरदार मुझे महत्वपूर्ण लगे, जिन किरदारों को सुनकर लगा कि मैं उन्हें स्क्रीन पर निभा सकती हूं, मैंने वे किरदार चुने। 'लाल कप्तान’ के बाद मैंने जो भी काम किया, वह महामारी की वजह से अभी तक रिलीज नहीं हो पाया है, लेकिन इस साल रिलीज होगा। किरदारों के संबंध में अभी तक लिए गए अपने फैसलों से मैं खुश हूं। आगे भी इसी तरह के किरदार निभाना चाहूंगी।
सवाल : 'ग्रहण’ से कैसे जुड़ना हुआ?
जवाब : मैंने और इस सीरीज के निर्देशक रंजन चंदेल ने इससे पहले फिल्म 'मुक्काबाज’ में साथ काम किया था। रंजन ने उस फिल्म की स्क्रिप्ट और डायलाग लिखे थे। उनका लेखन खूबसूरत है। एक पिता और पुत्री की इस कहानी का हिस्सा बनना, मेरे लिए बड़ा मौका था।
सवाल : यह कहानी साल 1984 की पृष्ठभूमि पर आधारित है। उस दौर को समझने की क्या चुनौतियां रहीं?
जवाब : इस शो के कुछ हिस्से सत्य व्यास की किताब 'चौरासी’ पर आधारित हैं। बाकी चीजें कल्पना के आधार पर तैयार की गई हैं। मेरे लिए पुलिस ऑफिसर के किरदार को समझना चुनौतीपूर्ण था। पुलिस की वर्दी पहनने के साथ ही कुछ जिम्मेदारियां भी आती हैं, आपको उनके साथ न्याय करना होता है। मेरा किरदार पुलिस ऑफिसर है, लेकिन पिता से जुड़ा उसका दूसरा पहलू भी है। जो उसके पेशे और उसकी व्यक्तिगत जिंदगी को संतुलित करता है। इस किरदार के लिए पुलिस आफिसर की बाडी लैंग्वेज समझना जरूरी था। हम जीवन के हर मोड़ पर मजबूत नहीं रहते। हमारा एक साफ्ट साइड भी होता है। दोनों के बीच का संतुलन जानने के लिए हमने वर्कशॉप की।
सवाल : पवन मल्होत्रा के साथ काम का अनुभव कैसा रहा?
जवाब : मैंने उनकी फिल्में देखी थी तो खुशी थी कि वह मेरे पिता का किरदार निभा रहे हैं। वह सेट पर भी बहुत उत्साहवर्धन करते रहते थे। वह सेट पर काफी किस्से साझा करते हैं। जरूरत पडने पर सुझाव भी देते हैं। वह बहुत ही शानदार टीम प्लेयर हैं।
सवाल : इंडस्ट्री में आपको पांच साल पूरे होने वाले हैं, कैसे अनुभव रहे?
जवाब : अभी मैं काफी नई हूं, मेरी अभी सिर्फ तीन फिल्में बाहर आई हैं। चौथा प्रोजेक्ट यह वेब सीरीज है। पिछले दो-तीन साल में मैंने जितना काम किया है, वह तो अभी सामने आया ही नहीं है, वह जल्द ही रिलीज होगा। इंडस्ट्री में मेरे पांच साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला। अभी बहुत सी चीजें समझना और उनका अनुभव लेना बाकी है। जितना ज्यादा काम मैं करती जाऊंगी, उतनी समझ भी बढ़ती जाएगी।