'फोर मोर शॉट्स प्लीज!' फेम शायोनी गुप्ता ने बताया- आखिर क्यों नहीं करती हैं फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन
फ़िल्म और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को लेकर शायोनी दैनिक जागरण से बात की है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा है...
मुंबई (प्रियंका सिंह)।'फोर मोर शॉट्स प्लीज!' सीजन 2 के बाद शायोनी गुप्ता नेटफ्लिक्स पर रिलीज फिल्म 'अखुनी' में नजर आईं। इस फिल्म में पूर्वोत्तर में रहने वाले लोगों के साथ होने वाले भेदभाव को चुटीले अंदाज में दिखाया गया है। फ़िल्म और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को लेकर शायोनी दैनिक जागरण से बात की है। आइए जानते हैं, उन्होंने क्या कहा है...
सवाल- आप मुद्दों पर आधारित फिल्में करती आई हैं। इस फिल्म में क्या खास नजर आया?
जवाब -जब भेदभाव के मुद्दे पर बात होती है तो मैं उसका हिस्सा बनना चाहती हूं। पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति जो कैजुअल नजरिया होता है, उसे बदलने की जरूरत है। मेरे कई दोस्त हैं जो मिजोरम, मणिपुर और नगालैंड से ताल्लुक रखते हैं। लोग उन्हें चीनी, जापानी और कोरियन कहकर बुलाते थे। 'अखुनी' पूर्वोत्तर की एक प्रसिद्ध डिश है, जिसे पकाने पर बदबू आती है। आसपास क लोगों से छुपकर उसे बनाना पड़ता है। चुटीले अंदाज में इन गंभीर बातों को कहने से वे ज्यादा असर डालती है।
सवाल- आप लगातार वेब पर काम कर रही हैं। बॉक्स ऑफिस के चार्म को मिस नहीं करती हैं?
जवाब- मैं भी पुराने विचारों वाली हूं। मुझे भी अपना काम बड़े पर्दे पर देखना पसंद है। यह फिल्म पहले थिएटर में ही रिलीज होने वाली थी, लेकिन वक्त की नजाकत देखते हुए इसे डिजिटल पर लाने का फैसला किया गया। दर्शक दुनिया भर का कंटेंट देख रहे हैं। उनकी पसंद बदल रही है।
सवाल- बॉक्स ऑफिस से इतर वेब पर किसी शो या फिल्म के हिट होने का कोई आंकड़ा नहीं मिल पाता है। ऐसे में वहां सवाल खड़े हो जाते हैं...
जवाब- मुझे आंकड़ों का खेल बहुत अजीब लगता है। फिल्म एक कला है, न की व्यापार। वेब के आंकड़े बाहर नहीं आते हैं, लेकिन ओटीटी का बिजनेस काफी बड़ा होता
है। वैसे भी आंकड़ों की बातें करना निर्माताओं का काम है, कलाकारों का नहीं। कलाकारों का काम है सिर्फ अच्छा अभिनय करना।
सवाल स्टारडम को लेकर क्या सोचती हैं?
जवाब- स्टारडम की परिभाषा इंटरनेट के जमाने में बदली हुई है। शाह रुख खान, आमिरखान, अक्षय कुमार जैसा स्टारडम इंटरनेट के जमाने में नहीं हो सकता है। पहले
लगता था कि हम उन्हें छू नहीं पाएंगे। उनका स्टारडम बना रहता था क्योंकि उनकी जिंदगी रहस्यमयी होती थी। उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती थी। अब तो सोशल मीडिया कि वजह से स्टार्स के बारे में सब पता है। जब आप निजी जिंदगी लोगों के सामने खोल देते हैं तो स्टारडम नहीं रह जाता है। ओटीटी पर अच्छे कलाकार चाहिए, स्टार्स नहीं। यहां कलाकारों को मनमुताबिक काम मिल रहा है।
सवाल- आपके साथ कभी भेदभाव हुआ है?
जवाब- मैं मुंहफट हूं। जो बात ठीक नहीं लगती उसे स्पष्ट बोलती हूं। सही-गलत को लेकर मुखर होने की वजह से मेरे साथ कभी भेदभाव नहीं हुआ। मेरे अपने सिद्धांत हैं। जिस बात से इत्तेफाक नहीं रखती उसका विज्ञापन भी नहीं कर सकती। मैंने गोरेपन की क्रीम का विज्ञापन करने से इनकार करने की बात कही, क्योंकि मैं गोरी और सांवली रंगत के आधार पर खूबसूरती को परिभाषित किए जाने के विचार का समर्थन नहीं करती।
सवाल- पैसे आपके लिए कितने मायने रखते हैं?
जवाब- पैसे मायने रखते हैं, लेकिन मेरी परवरिश ऐसे माहौल में हुई है, जहां लोग पैसों के पीछे नहीं भागते हैं। पढ़ाई-लिखाई और कला का मौहाल घर में रहा है। मैं मध्यम वर्गीय परिवार से हूं, जहां अगर इलाज के लिए पैसों की जरूरत होती थी, तो हमारे पास घर में सामान बेचने के लिए केवल किताबें होती थीं। इस लॉकडाउन के दौरान एक बात समझ आ गई है कि खुद के लिए महंगी चीजें खरीदने और महंगे रेस्तरां में खाना खाने की बजाय अपनी कमाई का हिस्सा जरूरतमंदों तक पहुंचाना चाहिए।
सवाल- 'फोर मोर शॉर्ट्स प्लीज!' के तीसरे सीजन की शूटिंग कब से शुरू होगी?
जवाब- शूटिंग शुरू होने वाली थी, लेकिन मैं खुद सितंबर से पहले शूटिंग करने के बारे में नहीं सोच रही हूं।