Human Web Series Interview: 'ह्यूमन ड्रग ट्रायल के बारे में जानना मेरे लिए शॉकिंग था'- कीर्ति कुल्हरी
ह्यूमन ड्रग ट्रायल्स के काले खेल पर बनी थ्रिलर सीरीज में कीर्ति का किरदार एक डॉक्टर का है। जागरण डॉट कॉम से बातचीत में कीर्ति ने सीरीज अपने किरदार और नये साल में अपनी योजनाओं पर रोशनी डाली। पेश है बातचीत-
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। फोर मोर शॉट्स प्लीज, बार्ड ऑफ ब्लड, क्रिमिनल जस्टिस- बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स जैसी वेब सीरीज में नजर आ चुकीं कीर्ति कुल्हरी अब डिज्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरीज ह्यूमन में शेफाली शाह के साथ मुख्य भूमिका में दिखेंगी। सीरीज 14 जनवरी को प्लेटफॉर्म पर आ रही है। ह्यूमन ड्रग ट्रायल्स के काले खेल पर बनी थ्रिलर सीरीज में कीर्ति का किरदार एक डॉक्टर का है। जागरण डॉट कॉम से बातचीत में कीर्ति ने सीरीज, अपने किरदार और नये साल में अपनी योजनाओं पर रोशनी डाली। पेश है बातचीत-
ह्यूमन वेब सीरीज में आप एक डॉक्टर की भूमिका में हैं। इस किरदार की पृष्ठभूमि है?
मैं डॉ. सायरा सभरवाल बनी हूं। यह भोपाल में पली-बढ़ी है। बचपन से इसका मन था, यह डॉक्टर बने। फादर कम्पाउंडर थे, आज भी हैं। अपने पापा की तरह सच में लोगों की मदद करना चाहती है। लोअर मिडिल क्लास से है। मेहनत करके अब जानी-मानी कार्डिएक सर्जन बन चुकी है। कम उम्र में बहुत नाम कमाया है। प्रोफेशनली वो बहुत सक्सेसफुल है, मगर निजी लाइफ में परेशानियों से घिरी है। उसकी निजी रिश्ते काफी उलझे हुए हैं। काफी चीजों का बैगेज लेकर भाग रही है। जब उसे सीरीज में देखते हैं तो लगभग स्प्लिट पर्सनैलिटी लगती है। समझ नहीं आता कि वो है क्या? बहुत कॉम्प्लेक्स कैरेक्टर है।
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ट्रेलर देखकर लगता है कि ड्रग टेस्टिंग की इस कहानी में आप एक व्हिसिलब्लोअर के रोल में हैं?
बिल्कुल व्हिसिलब्लोअर का ही कॉन्सेप्ट है शो में। कुछ लोग सिस्टम के खिलाफ खड़े होते हैं, बिल्कुल उस तरह का कॉन्सेप्ट है। थ्रिलर सीरीज है, इसलिए इस बारे में बहुत ज्यादा बातें नहीं कर पाऊंगी मनोज जी, क्योंकि कहानी इस तरह से पिरोयी गयी है।
आपका किरदार इतना उलझा हुआ है। इस किरदार की बारीकियां समझने के लिए आपको क्या तैयारी करनी पड़ीं?
इस किरदार के बारे में बहुत सी ऐसी बातें थीं, जो मुझे समझनी थीं। जब मुझे बताया गया कि असली घटनाओं से प्रेरित है तो मेरी दिलचस्पी और बढ़ गयी थी। मुझे इसके विभिन्न पहलू समझने थे। ह्यूमन ड्रग्स ट्रायल को लेकर तो हमारे लेखकों मोजेज (सिंह) और इशानी (बनर्जी) के पास काफी इनफॉर्मेशन थी। मेरी बहन डॉक्टर हैं, उनके पति भी डॉक्टर हैं। उन्होंने मुझसे कई ऐसी बातें शेयर कीं, जो शायद बाहर वालों के साथ नहीं करेंगे। वो मेरे लिए काफी अहम था, क्योंकि हमें ज्यादा पता नहीं होता कि अंदर क्या-क्या चल रहा होता है। वो इंडस्ट्री इंसाइडर्स हैं और मुझे काफी समझ में आया। मैं साइकिएट्रिस्ट से भी मिली। किरदार तो ऐसे भी निभाया जा सकता है कि आप आंखें बंद करके स्क्रीन पर दिखा दीजिए, लेकिन मुझे मजा आता है, किरदार की बारीकियां समझने में।
सीरीज में शेफाली शाह डॉ. गौरी नाथ के किरदार में हैं। इस किरदार के साथ आपकी क्या समीकरण है?
शेफाली के जो मेरी समीकरण है, वो एक डॉक्टर की है। दोनों एक मकसद के पीछे हैं। हालांकि, हम डॉक्टर्स हैं, लेकिन डॉक्टर के साथ-साथ इंसान भी हैं। दोनों बिल्कुल अलग तरह के इंसान हैं। बिल्कुल विरोधाभासी कैरेक्टर्स हैं। दोनों के किरदार काफी कॉम्प्लेक्स और अनप्रेडिक्टेबल हैं। इन किरदारों के रोमांच की बात करें तो यह कन्फ्यूज करता है और कई सवाल छोड़ जाता है।
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अभी जिस तरह का माहौल है। वैक्सीनेशन, ड्रग्स ट्रायल जैसे शब्द प्रचलन में हैं। ऐसे में सीरीज की प्रासंगिकता पर आप क्या कहेंगी?
जैसा वक्त चल रहा है, उसमें बहुत टॉपिकल है। पैनडेमिक नहीं भी होता तो भी काफी प्रासंगिक विषय है। ये सब बातें (ड्रग ट्रायल) हमारे सामने अब आ रही हैं, लेकिन काफी वक्त से चल रही हैं। लेकिन हां, अभी कोरोना चल रहा है और काफी वैक्सीनेशन भी हो रहा है तो सारे लोग इसकी अहमियत अलग-अलग तरीके से समझेंगे। आज लोग शायद इसे समझने के लिए ज्यादा उत्सुक होंगे। वैसे भी पिछले दो सालों में चिकित्सकीय दुनिया को लेकर हमारी समझ भी काफी बढ़ चुकी है। डॉक्टर्स ने इतना अच्छा काम किया है। इसके और भी कई पहलू हैं ।
सीरीज से पहले आपको ह्यूमन ड्रग्स ट्रायल की कितनी जानकारी थी?
मुझ ड्रग ट्रायल तो पता था, मगर ह्यूमन ड्ग ट्रायल के बारे में इतना नहीं पता था। आप जो भी सीरीज में देखेंगे, इसे समझना ही मेरे लिए शॉकिंग था। इसे रैकेट कहिए, स्कैम कहिए या इस बिजनेस के पीछे की प्रक्रिया कहिए। बहुत सारे लोग इसमें अपनी मर्जी से भी जाते हैं। कुछ लोग जबरन भी धकेले जाते हैं। पैसों के लिए जाते हैं। ऐसी बहुत सी चीजें थीं, जब मेरे साथ शेयर हुईं तो काफी शॉकिंग थीं।
सीरीज को विपुल शाह और मोजेज सिंह ने निर्देशित किया है। इन दोनों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
विपुल शाह के साथ मैंने पहली बार काम किया है, मोजेज तो नये हैं। क्रिमिनल जस्टिस में मैं दो डायरेक्टर्स के साथ काम कर चुकी हूं तो मुझे पहले से तजुर्बा था कि दो डायरेक्टर्स के साथ काम कैसे होता है। कहानी इतनी जबरदस्त थी और दोनों ही इस कहानी को लेकर काफी एक्साइटेड थे। दोनों के तरीके अलग हैं, क्योंकि दोनों अलग इंसान हैं। दोनों के मिजाज अलग हैं। एक्टर्स को हैंडल करने का तरीका अलग है। हमें एक डायरेक्टर से दूसरे डायरेक्टर पर शिफ्ट करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। दोनों में बहुत समझ है।
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नये साल में ऐसा क्या है, जिसे आप देखना नहीं चाहतीं। पैनडेमिक मत बताइए, क्योंकि उसे तो हम सब ही नहीं देखना चाहते?
(हंसते हुए) यह तो सोचा था कि क्या चाहिए, लेकिन यह नहीं सोचा कि क्या नहीं चाहती हूं। हां, मैंने अभी नई बाइक, रॉयल एनफील्ड खरीदी है। उसके साइलेंसर से दो बार जल चुकी हैं। मैं नहीं चाहती हूं कि तीसरी बार ऐसा हो। जून में बुलेट रानी बनकर रोड ट्रिप पर लदाख जाने का प्रोग्राम है।