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Coronavirus Lockdown: 21 दिन के लिए लोग हुए 'ट्रैप्ड', इन पांच फ़िल्मों में दिखाई गई है ऐसी ही कहानी

लोगों के दिमाग में सवाल होगा कि इस 21 दिन में कैसे सरवाइव किया जाए। इस बात का जवाब फ़िल्मों में छुपा है। ऐसे हालात और परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए कई फ़िल्में बनी हैं

By Rajat SinghEdited By: Published: Wed, 25 Mar 2020 06:18 PM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2020 08:11 PM (IST)
Coronavirus Lockdown: 21 दिन के लिए लोग हुए 'ट्रैप्ड', इन पांच फ़िल्मों में दिखाई गई है ऐसी ही कहानी
Coronavirus Lockdown: 21 दिन के लिए लोग हुए 'ट्रैप्ड', इन पांच फ़िल्मों में दिखाई गई है ऐसी ही कहानी

नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना वायरस से बचाव के लिए भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मंगलवार यानी 24 मार्च रात से पूरे देश में 21 दिन का लॉक डाउन लगाया गया है। ऐसे में लोग 21 दिन घरों में बंद रहने वाले हैं। लोगों के दिमाग में सवाल होगा कि इस 21 दिनों में कैसे सरवाइव किया जाए। इस बात का जवाब फ़िल्मों में छुपा है। ऐसे हालात और परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए कई हिंदी और विदेशी फ़िल्में बनी हैं। 

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ट्रैप्ड

साल 2016 में आई फ़िल्म 'ट्रैप्ड' एक ऐसे ही आदमी की कहानी है, जो एक कमरे में अकेला फंस गया है। विक्रमादित्य मोटवानी की इस फ़िल्म में राजकुमार राव मुख्य भूमिका में हैं। फ़िल्म का मुख्य किरदार सूर्या (राजकुमार राव) एक ऐसे अपॉर्टमेंट के कमरे में अकेला फंस जाता है, जहां कोई नहीं है। उस बिल्डिंग में भी कोई नहीं है। वह काफी लंबा समय उस कमरे में अकेले रहता है, जबकि उसके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं हैं। वह शाकाहारी है, लेकिन वह इस दौरान चीटीं और कीट जैसी चीजें खाता है। यह फ़िल्म अमेज़न प्राइम वीडियो पर उपलब्ध है।

हाउस अरेस्ट

साल 2019 में नेटफ्लिक्स पर फ़िल्म 'हाउस अरेस्ट' आई। इस फ़िल्म में 'मिर्ज़ापुर' फेम श्रेया पिलगांवकर और अली फज़ल लीड रोल में हैं। इस फ़िल्म में अली फज़ल का किरदार अपने आपको घर में आइसोलेट कर लेता है। वह लंबे समय से घर से बाहर नहीं निकलना चाह रहा है। इसके लिए उसका दोस्त उसकी मदद करता है और एक जर्नलिस्ट को मिलने भेजता है। यह अब भी नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है। 

36 घंटे

साल 1974 में आई फ़िल्म '36 घंटे' को तिलक राज ने निर्देशित किया था। राजकुमार और माला सिन्हा स्टारर इस फ़िल्म में दो गुंडे जो जेल से फरार होते हैं और एक पत्रकार के परिवार को बंधक बना लेते हैं। घर में बंद परिवार लगातार 36 घंटे कैसे सरवाइव करता है और वापस आता है, इसकी कहानी इस फ़िल्म में दिखाई गई है। यह फ़िल्म हंगामा के स्ट्रमिंग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

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कास्ट अवे

टॉम हैंक्स ने एक से बड़कर एक सरवाइवल फ़िल्में की हैं। इनमें से एक है 'कास्ट अवे'। हॉलीवुड की इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैरियर कंपनी के आधिकारी का प्लेन क्रैश हो जाता है। इसके बाद वह आदमी समुद्र के रास्ते एक आईलैंड पर पहुंच जाता है। इस द्वीप पर उसको छोड़कर कोई जानवर तक नहीं है। वह उस द्वीप पर ज़िंदा रहता है और अपने घर वापस जाता है। 'कास्ट अवे' को ऑस्कर के लिए नॉमेनिटेड भी किया गया था। यह फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर मौजूद है। 

127 ऑवर्स

साल 2010 में आई फ़िल्म '127 ऑवर्स'  भी एक ऐसी ही आदमी के सरवाइल की कहानी है। फ़िल्म का मुख्य किरदार अपने दोस्तों के साथ जंगल में घूमने जाता है। इसके बाद उसके साथ कुछ ऐसा होता है कि वह अकेला ही फंस जाता है। उसके पास पीने को पानी तक नहीं है। ऐसे हालात आते हैं कि वह अपना यूरिन पीकर ज़िंदा रहता है। इसके बाद वह कैसे वापस आता है, यह जानने के लिए फ़िल्म देखनी पड़ेगी। इस फ़िल्म को भी ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था।


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