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'तपस्या' से मिली पहचान

जब दिव्या देसाई की उम्र पंद्रह साल थी, तभी उन्होंने अभिनय की दुनिया को अपनाया था। वे कहती हैं, 'मैंने यह सोचा नहीं था कि सीरियल 'उतरन' की चरित्र तपस्या बनकर मैं रातोंरात लोगों की नजरों में आ जाऊंगी।' वे आगे कहती हैं, 'मैंने पंद्रह साल की उम्र में दिव्या देसाई न्

By Edited By: Published: Mon, 07 Oct 2013 11:28 AM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2013 12:05 PM (IST)
'तपस्या' से मिली पहचान

मुंबई। जब दिव्या देसाई की उम्र पंद्रह साल थी, तभी उन्होंने अभिनय की दुनिया को अपनाया था। वे कहती हैं, 'मैंने यह सोचा नहीं था कि सीरियल 'उतरन' की चरित्र तपस्या बनकर मैं रातोंरात लोगों की नजरों में आ जाऊंगी।' वे आगे कहती हैं, 'मैंने पंद्रह साल की उम्र में दिव्या देसाई नाम से भोजपुरी फिल्मों से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। बचपन में कभी एयर होस्टेस, तो कभी डॉक्टर, कभी कोरियोग्राफर तो कभी डांस इंस्टीट्यूट खोलने की चाह रखती थी मैं। छोटे पर्दे पर अपनी पकड़ बनाने के लिए मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा। भोजपुरी फिल्मों से पहले मुझे एक हेयर ऑयल के प्रिंट ऐड करने का मौका मिला था। उसके लिए दो हजार रुपये मिले थे, जो मेरी पहली कमाई थी। मैंने अपनी पहली कमाई जब मां के हाथों में रखी, तो बेहद खुशी मिली थी। यह सच है कि भोजपुरी फिल्मों में मैं दिव्या देसाई के नाम से आई थी, लेकिन मेरा असली नाम रश्मि ही है।'

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रश्मि आगे कहती हैं, 'छोटे पर्दे पर मेरा पहला सीरियल था 'रावण', उसमें मैंने मंदोदरी की भूमिका की थी। उसी रोल को देखकर मुझे रवि चोपड़ा ने धारावाहिक 'परी हूं मैं' के लिए चुना था, जिसमें मेरा डबल रोल था। आज मैं चर्चा में हूं, लोग मेरे अभिनय और खूबसूरती की तारीफ करते हैं मगर जब मैं टीवी पर आई थी, उन दिनों मैं मोटी थी। अपने मोटापे के कारण मैं कई बार हीनता का शिकार हुई। बहुत बार मुझे रिजेक्ट किया गया। मैंने सैकड़ों ऑडीशन दिए और फेल हुई। जब मैं किसी ऑडीशन के लिए जाती थी तो लोग कहते थे, यह काफी मोटी है। यह मेन लीड नहीं कर सकती। तब बहुत दुख होता था, लेकिन मैंने ऑडीशन के जरिए ही 'परी हूं मैं' में काम पाया, तो लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि इतनी मोटी लड़की को मेन लीड कैसे मिल गया? एक बड़े प्रोडक्शन हाउस ने मुझे दो टीवी सीरियल के लिए साइन किया। मैं उनका नाम नहीं लेना चाहूंगी। उन्होंने मेरे साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। वे लोग मुझे कहीं और ऑडीशन भी नहीं देने देते थे। मैं फ्यूचर को लेकर आशान्वित थी, पर उस वक्त मेरे सिर पर आसमान टूट पड़ा जब पता चला कि उन्होंने मेरे बजाय किसी और को साइन कर लिया। उस वक्त मेरी ताकत बनी खुद को साबित करने की भावना और मेरा परिवार। भाई-भाभी और मां से मुझे हमेशा सहारा मिला। मेरा परिवार मेरे लिए महत्वपूर्ण है। अपने रिजेक्शन के दौर में मैं कभी-कभी बहुत उदास हो जाती थी, रोती थी। फिर मैंने खुद पर काम करना शुरू किया। जिमिंग की, पसीना बहाया। मुझे वक्त लगा, यहां तक आने में। अब मैं इसके जरिए लाखों परिवारों से जुड़ी हूं। अब काम ही पूजा है। एक बार मेरी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था, लेकिन मैं गाड़ी छोड़कर उसी हालत में शूटिंग के लिए चली गई। मैं आज जो भी हूं, अपनी मेहनत के बल पर हूं।'

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