'कसौटी ज़िन्दगी की' तो आ रहा है, काश 90s के इन क्लासिक शोज़ पर भी मेकर्स ध्यान दें
कुछ शोज़ ऐसे भी थे जो आपको ना कि सिर्फ एंटरटेन करते थे बल्कि समाज में हो रही कई अच्छी-बुरी और संवेदनशील बातों से अवगत भी करवाते थे। जैसे, 'सांस', 'तारा', 'शांति', 'स्वाभिमान', 'कोरा कागज़'...।
मुंबई। फ़िल्मों की सिक्वल और उन्हें रिक्रिएट करना अब आम बात हो चुकी है। अब समय है छोटे पर्दों के शोज़ को फिर से नए सिरे से पेश करने का। अपने सुना ही होगा कि टीवी क्वीन एकता कपूर जल्द ही अपने फेमस शो 'कसौटी ज़िन्दगी की' को एक नए सिरे से शुरू करने वाली हैं। इसका टीज़र भी एकता ने रिलीज़ कर दिया है। साल 2001 में शुरू हुए इस शो को लोगों ने बहुत पसंद किया था, यश शो पूरे 8 सालों तक चला था और शायद यही वजह है कि एक बार फिर इस शो को रिक्रिएट किया जा रहा है।
'कसौटी ज़िन्दगी की' के अलावा भी 90s के ज़माने में कई ऐसे शोज़ थे जिन्हें लोग आज भी नहीं भूलें हैं। केरेक्टर्स का वो ह्यूमर, कहानी पेश करने का वो अंदाज़, पंच लाइंस... सब कुछ कितना फ़्रेश और मज़ेदार लगता था, है ना? काश टीवी के मेकर्स का ध्यान इन शोज़ पर भी जाए और एक बार फिर हमारे इडियट बॉक्स में 90s की वो मजेदार कहानियां दिखे-
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1. देख भाई देख:
शेखर सुमन, फ़रीदा जलाल, नवीन निश्चल और 'देख भाई देख' शो का हर करेक्टर आपको अपने तरीके से एंटरटेन करता था। फ़ैमिली कॉमेडी के साथ हर एपिसोड में कुछ नया और बेहतरीन सीखने को भी मिलता था। दीवान फ़ैमिली के इस कॉमेडी शो की क्लिप्स लोग आज भी इंटरनेट पर ढूंढ़ते हैं।
2. ऑफ़िस-ऑफ़िस
पंकज कपूर के इस शो में सरकारी विभागों की कामचोरी को लाइट नोट पर दर्शाना ग़ज़ब का था। हंसी-मज़ाक में रिश्वत, लापरवाही और आम जनता की परेशानियों को इतनी बेहतरीन तरीके से किसी ने पेश नहीं किया है, क्यों? हालांकि, साल 2011 में इस शो से प्रेरित होकर एक फ़िल्म ज़रूर बनाई गई थी, 'चला मुस्सद्दी... ऑफिस ऑफिस'।
3. हम पांच
5 बेटियां जो छोरों से कम नहीं थीं। फ़ैमिली ड्रामा का एक और शो, जिसका हर एक केरेक्टर आपको आज भी याद होगा। स्वीटी, जो गाना गाते हुए गेट खोलती थी, काजल जो भाईगीरी में अव्वल थी, महिलाओं के प्रति मोर्चे के लिए हमेशा खड़े रहने वाली मनीषा भी सभी को याद है...! क्कुह महीनों पहले ये खबर ज़रूर आई थी कि एकता कपूर एक बार फिर अपने इस शो को बनाने जा रही हैं। मगर, यह खबर सिर्फ ख़बरों तक ही रही।
4. तू-तू, मैं-मैं
सास बहू के झगड़ों को आप आज भी देखते होंगे। लेकिन, ये दौर कुछ और था जब इस झगड़े को लोग 'तू-तू, मैं-मैं' कहते थे। रीमा लागू और सुप्रिया पिलगांवकर के सास-बहू के झगड़े ने तक़रीबन 6 सालों तक लोगों को एंटरटेन किया, काश आज भी हम सास-बहू के झगड़ों को इतने मज़ेदार लेवल पर देख पाते!
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5. श्रीमान-श्रीमती
ये शो तो, मानो ख़त्म ही नहीं होना चाहिए था। शेखर, दिलरुबा, कोकिला और प्रेमा शालिनी की मज़ेदार केमिस्ट्री आज के सीरियल्स में कहां...? लाइट हार्टेड कॉमेडी के ज़रिये ये शो कई बार बड़ी बड़ी सीख भी दे जाता था।
इन सभी के अलावा कुछ शोज़ ऐसे भी थे जो आपको ना कि सिर्फ एंटरटेन करते थे बल्कि समाज में हो रही कई अच्छी-बुरी और संवेदनशील बातों से अवगत भी करवाते थे। जैसे, 'सांस', 'तारा', 'शांति', 'स्वाभिमान', 'कोरा कागज़'...। वैसे, इनमें से किस शो को आप फिर से देखना चाहते हैं?