Move to Jagran APP

नहीं भूलती वे बातें

हंगल साहब आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वे जब तक जीवित रहे, कुछ बातों को कभी नहीं भुला सके। पेश हैं वे बातें, उन्हीं की जुबानी.. मेरा जन्मदिन : एक बार फिल्मी पत्रिका के संपादक ने मेरा साक्षात्कार लिया था। मुझसे विदा लेने से पहले उसने पूछा, एक आखिरी प्रश्न, आपकी जन्मतिथि क्या है? मुझे इसकी जानकारी नहीं है।

By Edited By: Published: Mon, 27 Aug 2012 03:53 PM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2012 03:53 PM (IST)
नहीं भूलती वे बातें

हंगल साहब आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वे जब तक जीवित रहे, कुछ बातों को कभी नहीं भुला सके। पेश हैं वे बातें, उन्हीं की जुबानी.. मेरा जन्मदिन : एक बार फिल्मी पत्रिका के संपादक ने मेरा साक्षात्कार लिया था। मुझसे विदा लेने से पहले उसने पूछा, एक आखिरी प्रश्न, आपकी जन्मतिथि क्या है? मुझे इसकी जानकारी नहीं है। उसने आश्चर्य प्रकट किया, ऐसा कैसे हो सकता है? मेरे साथ ऐसा ही हुआ है, मैं अपनी जन्मतिथि नहीं जानता, पर आप क्यों पूछते हैं? उसने उत्तर दिया, यदि हम अपने पाठकों को इसके बारे में बताएंगे, तो आपके चाहने वालों से आपको बधाइयां मिलेंगी और उपहार भी। मैंने कहा, यदि ऐसी ही बात है, तो आप कोई भी तारीख लिख दीजिए, जैसे 26 जनवरी..। संपादक हंसा और खूब हंसा। फिर उसने कहा, वह तो अभी बहुत दूर है। मैंने कहा, आप 15 अगस्त लिख सकते हैं। वह दिन, जिस दिन भारत का पुनर्जन्म हुआ..। हम दोनों खूब हंसे और सपंादक ने मेरी जन्मतिथि 15 अगस्त ही छाप दी, तभी से हर 15 अगस्त को मेरी जन्मतिथि मान ली गई। इस दिन मुझे ढेर सारी बधाइयां मिलती हैं और अपने प्रशंसकों से खूब उपहार भी।

loksabha election banner

दिया सुझाव : मेरे सभी रोल अच्छे इंसान के रहे हैं। यही वजह रही कि लोग मुझे अच्छा इंसान समझते हैं। एक बार एक लड़की ने खूब निराशा में मुझे लिखा कि वह बलात्कार का शिकार हो गई है। अब उसकी जीने की कोई इच्छा नहीं है। उसने मुझसे पूछा कि इस स्थिति से मुझे बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं? मैंने उसे पत्र लिखा, पत्र में यह सलाह दी कि उसे प्रयत्नपूर्वक यह अहसास करना चाहिए कि जो कुछ हो चुका है, उसमें उसके खुद का कोई दोष नहीं है और उस व्यक्ति से विवाह के लिए अनुरोध करे। यदि वह इंसान होगा, तो विवाह के लिए मान जाएगा। उस लड़की ने उसी से विवाह कर लिया। दोनों विदेश जाकर बस गए हैं और सुखी जीवन जी रहे हैं। वह नहीं मिला : माहिम में रेड लाइट के पास ज्यों ही कारें रुकतीं, छोटे-छोटे बच्चे-किशोर बिना कार मालिक की इच्छा के कारों के विंड स्क्रीन और बोनट को जल्दी-जल्दी पोंछ डालते थे।

चूंकि मैं वहां से रोज गुजरता था, सो एक लड़के से अच्छी जान-पहचान हो गई। उसने कभी अपने काम के लिए पैसा तो नहीं मांगा, लेकिन किसी फिल्म में एक रोल दिलाने की मांग अवश्य करता था। वह लड़का रोज मुझे वहीं मिलता और फिल्म में काम दिलाने के लिए विनय करता। मैं उसकी रोज की बातों में आ गया। एक दिन उसे अपने साथ शूटिंग पर ले जाने का निर्णय किया। मैंने सोचा, उसे भीड़ वाले दृश्य में रखवा देंगे, तो खुश हो जाएगा। उस दिन जब वहां मेरी कार रुकी, तो वह कहीं नजर नहीं आया। मैंने उसके साथ रहने वाले लड़कों से पूछा तो सभी ने जल्दी-जल्दी मेरी कार की सफाई करते हुए कहा, वह तो अब इस दुनिया में नहीं है। कल यहीं सड़क पार कर रहा था, उसके ऊपर से गाड़ी निकल गई। मुझे आज भी उसके शब्द सुनाई पड़ते हैं, मेरे ऊपर रहम करना नहीं भूलेंगे। मेरा नाम रशीद है। मैं नए कपड़े पहन कर कल यहीं मिलूंगा, इसी जगह..।

इमाम साहब : लोग आज भी सवाल पूछते हैं शोले की भूमिका को लेकर। लोगों ने मेरे उस किरदार को काफी सराहा, लिहाजा कई निर्माताओं ने उसे रिपीट किया। नेत्रहीन के रोल तो तमाम कलाकारों ने किए हैं, पर जितनी ख्याति इमाम साहब के रोल को लेकर मुझे मिली, वैसी किसी दूसरे कलाकार को नहीं मिली। जब इस रोल को करने का ऑफर मिला था, तो मैंने मनुष्यता के पूरे विकासक्रम का अध्ययन किया। मनुष्य की पूरी विकास यात्रा में उसे आंखें बड़ी मुश्किल से मिली। मुझे लगा हजारों-लाखों साल की विकास यात्रा में मनुष्य को आंख मिली है और किसी मनुष्य की आंख यदि चली जाए, तो उसकी फीलिंग क्या होगी, उसे महसूस किया जा सकता है। इसी गहरे अहसास से गुजरकर मैंने वह किरदार निभाया, जो दर्शकों के दिल को छू गया।

रतन

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.