Move to Jagran APP

देश की पहली फीचर फिल्म

भारतीय सिनेमा 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। तीन मई, 1913 को पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र सिनेमाघर में प्रदर्शित हुई थी। उस फिल्म का निर्माण एवं निर्देशन दादा साहेब फाल्के ने किया था।

By Edited By: Published: Fri, 04 May 2012 10:56 AM (IST)Updated: Fri, 04 May 2012 10:56 AM (IST)
देश की पहली फीचर फिल्म

भारतीय सिनेमा 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। तीन मई, 1913 को पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र सिनेमाघर में प्रदर्शित हुई थी। उस फिल्म का निर्माण एवं निर्देशन दादा साहेब फाल्के ने किया था। यह पूर्ण रूप से स्वदेश निर्मित फिल्म थी। इस फिल्म के प्रदर्शन के साथ ही भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की शुरुआत हुई:

loksabha election banner

फिल्म राजा हरिश्चंद्र

-यह पौराणिक पात्र राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर आधारित मूक फिल्म थी। फिल्म का प्रदर्शन मुंबई के गिरगांव इलाके स्थित कोरोनेशन सिनेमा में किया गया था। देश की पहली बोलती फिल्म आलम आरा (1931) थी

-पहले शो को देखने के लिए इतने लोग उमड़ पड़े थे कि सिनेमा हॉल के बाहर सड़क तक भीड़ एकत्र हो गई थी

-फिल्म इतनी कामयाब हुई कि दादा साहेब को ग्रामीण इलाकों में इसको दिखाने के लिए अतिरिक्त प्रिंट बनाने पड़े

-यह दादा साहेब की फिल्म थी और इसकी सफलता ने उनको निर्माता के रूप में स्थापित करने के साथ देश में फिल्म इंडस्ट्री का मार्ग प्रशस्त किया

डीडी दाबके

-कलाकार दत्तात्रेय दामोदर दाबके ने इस फिल्म में राजा हरिश्चंद्र का रोल निभाया था। तीन अन्य फिल्मों में काम करने के बाद वह निर्देशक एवं सिनेमेटोग्राफर हो गए

-1924 में उन्होंने राजा हरिश्चंद्र फिल्म का रीमेक बनाया

दादा साहेब फाल्के (1870-1944)

-धुंदिराज गोविंद फाल्के उर्फ दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का पिता माना जाता है

-राजा हरिश्चंद्र से अपना फिल्मी करियर शुरू करने वाले दादा साहेब ने इसके अलावा मोहिनी भस्मासुर (1913), सत्यवान सावित्री (1914), लंका दहन (1917) और कालिया मर्दन (1919)

फिल्में भी बनाई

-उनके सम्मान में सरकार ने 1969 से दादा साहेब फाल्के पुरस्कार देना शुरू किया। यह सिने जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार है

प्रोडक्शन

-दादा साहेब महान चित्रकार राजा रवि वर्मा (1848-1906) से बेहद प्रभावित थे। वर्मा भी रामायण और महाभारत जैसी पौराणिक कथाओं के दृश्यों की चित्रकारी करते थे

-फिल्म रील 37 सौ फीट लंबी थी जो करीब 40 मिनट की थी

-उस दौर में सामाजिक दृष्टि से फिल्मों में काम करना अच्छा नहीं माना जाता था। इसलिए दादा साहेब ने सभी कलाकारों से कहा था कि लोगों को यह बताएं कि वे हरिश्चंद्र फैक्टरी में काम करते हैं। इसी कारण राजा हरिश्चंद्र फिल्म के सभी किरदार पुरुष थे। महिला किरदारों को भी पुरुषों ने ही जीवंत किया

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.