Move to Jagran APP

फिल्म रिव्यू: ये जवानी है दीवानी(2.5 स्टार)

यह शत-प्रतिशत शुद्ध करण जौहर का सिनेमा है। उस पर रणबीर कपूर की जिंदादिली का चटखारा है। दीपिका पादुकोण जैसी सिंपल भारतीय नारी का मिक्स-अप भी है जो फैमिली ऑडियंस का ध्यान रखती हैं।

By Edited By: Published: Fri, 31 May 2013 06:20 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2013 10:38 AM (IST)
फिल्म रिव्यू: ये जवानी है दीवानी(2.5 स्टार)

मुंबई। यह शत-प्रतिशत शुद्ध करण जौहर का सिनेमा है। उस पर रणबीर कपूर की जिंदादिली का चटखारा है। दीपिका पादुकोण जैसी सिंपल भारतीय नारी का मिक्स-अप भी है जो फैमिली ऑडियंस का ध्यान रखती हैं। आशिकी 2 की अप्रत्याशित सफलता के हीरो आदित्य रॉय कपूर हैं और जबर्दस्ती की हिंदी बोलती नॉन हिंदी ऐक्टर कल्कि कोएचलिन हैं। निर्देशक अयान मुखर्जी की यह कहानी चार ऐसे दोस्तों की कहानी हैं जो आम पेरेंट्स की नजरों में नालायक हो सकते हैं लेकिन उन सबके बच्चों की नजरों में कूल होंगे।

loksabha election banner

फिल्म को देखते वक्त कई बार आपको जिंदगी ना मिलेगी दोबारा की याद आएगी क्योंकि फिल्म का लीड किरदार 'बनी' रणबीर कपूर ऐसी ही जिंदगी जीना चाहता है जिसमें एक ही बार में सब कुछ किया जा सके। इस जिंदगी में रोजमर्रा जैसा कुछ न हो, सब कुछ एडवेंचरस और वन्स इन ए लाइफटाइम जैसा हो। बस अंतर इतना है कि जिंदगी ना मिलेगी दोबारा में सब कुछ स्पेन में होता हैं और इस फिल्म में मनाली और उदयपुर भी शामिल हैं। बनी (रणबीर कपूर), नैना (दीपिका पादुकोण), अदिति (कल्कि कोएचलिन) और आदित्य रॉय कपूर जो मनाली एक एडवेंचर ट्रिप पर जाते हैं। वहां मस्ती और नाच-गाने के बीच संबंधों के साथ दोस्ती की परतें खुलती हैं और यथार्थ की जमीन उतनी ही खुरदुरी और कड़वी मिलती है जितनी आम आदमी के लिए होती है।

अभिनय की बात करें तो रणबीर कपूर नि:संदेह एनर्जी से भरपूर लगे हैं। युवाओं को उनके लुक्स और अदायगी पसंद आएगी। दीपिका पादुकोण ठीक-ठाक हैं और ऐसे ही कुछ रहे हैं आदित्य रॉय कपूर। कल्कि कोएचलिन का रोल लंबा है लेकिन वह कहीं भी सहज नहीं लगती। उनको देखकर ऐसा लगता है कि निर्देशक दबाव में हैं कि कल्कि को पर्दे पर कैसे प्रभावी दिखाना है। पिता के किरदार में फारख शेख उम्दा लगे हैं। निर्देशक अयान मुखर्जी अपनी प्रतिभा पहली फिल्म वेक अप सिड से साबित कर चुके हैं लेकिन इस फिल्म में वो उस प्रॉमिस पर खरे नहीं उतरते हैं जो उन्होंने पिछली फिल्म से किया था। कहानी से अधिक इस फिल्म की यूएसपी रणबीर कपूर हैं अगर रणबीर कपूर फिल्म का हिस्सा नहीं होते तो निश्चित तौर पर बॉक्स ऑफिस कलेक्शंस पर अंतर देखने को मिलता लेकिन अंत में यही कहा जाएगा तेरी बात, मेरी बात, ज्यादा बातें, बुरी बात।

फिल्म का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट है इसका म्यूजिक। प्रीतम की धुनों पर अमिताभ भट्टाचार्य ने चलताऊ लेकिन फुट टैपिंग गाने लिखे हैं। इन्हीं गानों की वजह से फिल्म की पब्लिसिटी में सपोर्ट मिला और थिएटर में भी जब ये गाने बजते हैं तो अच्छा लगता है।

रेटिंग: ढाई स्टार

-दुर्गेश सिंह

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.