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डर के आगे मोहब्बत है

अच्छी बात है कि इस बार विक्रम भट्ट ने 3डी के जादुई प्रभाव को दिखाने के बजाए एक भावनापूर्ण कहानी चुनी है। इस कहानी में छल-कपट, ईष्र्या, घृणा, बदला और मोहब्बत के साथ काला जादू है। काला जादू के बहाने विक्रम भट्ट ने डर क्रिएट किया है, लेकिन दो प्रेमी (खासकर हीरो) डर से आगे निकल कर मोहब्बत हासिल करता है।

By Edited By: Published: Fri, 07 Sep 2012 03:49 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2012 03:49 PM (IST)
डर के आगे मोहब्बत है

अच्छी बात है कि इस बार विक्रम भट्ट ने 3डी के जादुई प्रभाव को दिखाने के बजाए एक भावनापूर्ण कहानी चुनी है। इस कहानी में छल-कपट, ईष्र्या, घृणा, बदला और मोहब्बत के साथ काला जादू है। काला जादू के बहाने विक्रम भट्ट ने डर क्रिएट किया है, लेकिन दो प्रेमी (खासकर हीरो) डर से आगे निकल कर मोहब्बत हासिल करता है।

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कल तक टॉप पर रही फिल्म स्टार सनाया शेखर अपने स्थान से फिसल चुकी हैं। संजना कृष्ण पिछले दो साल से बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड ले रही हैं। सनाया किसी भी तरह अपनी खोई हुई पोजीशन हासिल करना चाहती है। पहले तो भगवान और मंत्र के जरिए वह यह कोशिश करती है। सफल नहीं होने पर वह काला जादू और तंत्र के चक्कर में आ जाती है। काला जादू राज-3 में एक तरकीब है डर पैदा करने का, खौफ बढ़ाने का। काला जादू के असर और डर से पैदा खौफनाक और अविश्वसनीय दृश्यों को छोड़ दें, तो यह प्रेमत्रिकोण की भावनात्मक कहानी है। फिसलती और उभरती दो अभिनेत्रियों के बीच फंसा हुआ है निर्देशक आदित्य अरोड़ा। वह सनाया के एहसानों तले दबा है। वह पहले तो उसकी मदद करता है, लेकिन काला जादू के असर से संजना की बढ़ती तकलीफ और अकेलेपन से उसे अपने अपराध का एहसास होता है। वह संजना से प्रेम करने लगता है, उसे बचाने के लिए वह आत्माओं की दुनिया में भी प्रवेश करता है। वह अपनी संजना को बचा कर ले आता है।

विक्रम भट्ट ने सनाया को खलनायिका के तौर पर पेश किया है। वह फिसल रही प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए युक्ति अपनाती है। नाम और शोहरत के आगे वह रिश्तों और मोहब्बत का भी ख्याल नहीं करती। हमें बीच में पता चलता है कि संजना और कोई उसकी सौतेली बहन है। सनाया सिर्फ उसकी तरक्की से ही नहीं जल रही है। उसके दिल और दिमाग में बचपन में पिता के बंटे प्यार की खलिश भी है। शुरू में हमें सनाया से सहानुभूति होती है, लेकिन उसकी करतूतों से पता चलता है कि वह दुष्ट औरत है। फिर संजना की बेचारगी हमें उसका हमदर्द बना देती है। इस हमदर्दी में हीरो भी उसके साथ आता है, इसलिए राज-3 की कहानी भावनात्मक रूप से छूती है।

बिपाशा बसु ने सनाया के ग्रे शेड को अच्छी तरह उभारा है। अभिनय की उनकी सीमाओं के बावजूद विक्रम भट्ट ने उनसे बेहतरीन काम लिया है। नयी अभिनेत्री ईशा गुप्ता उम्मीद जगाती हैं। उन्होंने अपने किरदार के डर को अच्छी तरह चित्रित किया है। इन दोनों के बीच पाला बदलते इमरान हाशमी जंचे हैं। इमरान हाशमी के अभिनय में निखार आया है।

विक्रम भट्ट ने दोनों हीरोइन के साथ लंबे चुंबन दृश्यों को रखकर इमरान हाशमी के दर्शकों को खुश रखने की कोशिश की है। बिपाशा बसु के साथ के अंतरंग दृश्यों के पीछे भी यही उद्देश्य रहा होगा।

तीन स्टार

अवधि-136 मिनट

-अजय ब्रह्मात्मज

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