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Movie Review: बदले और बदलाव की कहानी है रजनीकांत की फ़िल्म- काला (ढाई स्टार)

अगर आप रजनीकांत के फैन हैं तो आप यह फ़िल्म देख सकते हैं।

By Hirendra JEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 10:47 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 12:28 PM (IST)
Movie Review: बदले और बदलाव की कहानी है रजनीकांत की फ़िल्म- काला (ढाई स्टार)
Movie Review: बदले और बदलाव की कहानी है रजनीकांत की फ़िल्म- काला (ढाई स्टार)

-पराग छापेकर

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स्टारकास्ट: रजनीकांत, नाना पाटेकर, हुमा कुरैशी, ईश्वरी राव आदि

निर्देशक: पीए रंजीत

निर्माता: धनुष

सुपरस्टार रजनीकांत की फ़िल्म ‘काला’ दरअसल अपनी ज़मीन को बचाने की लड़ाई की कहानी है। इस तरह का कांसेप्ट पहले भी हम कई बार फ़िल्मों में देख चुके हैं। इस फ़िल्म में तमिलनाडु से आया एक प्रवासी काला जिसका पूरा नाम कारीकालन (रजनीकांत) है मुंबई के सबसे बड़े स्लम कहे जाने वाले क्षेत्र धारावी में रह रहा है। अपने दम ख़म और दबदबे से वो इस बस्ती का लीडर बन जाता है। दूसरी तरफ, एक भू माफिया हरि दादा (नाना पाटेकर) की नज़र धारावी की इन झुग्गियों पर लंबे समय से है जो वहां बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें बनाना चाहता है और इसलिए धारावी के लोगों से वहां की जगह खाली कराने का प्रयास करता रहता है। वह भू माफिया जो बाद में राजनीतिक दल से जुड़कर और भी ताकतवर हो जाता है, उसका एक ही सपना है कि धारावी की झुग्गियों को हटा कर वो अपनी बिल्डिंगें बनाना चाहता है। 

यह फ़िल्म रजनीकांत और नाना पाटेकर के बीच मुठभेड़ की कहानी है! फ़िल्म में नाना पाटेकर और रजनीकांत का मुकाबला देखने लायक है। फ़िल्म का फर्स्ट हाफ टिपिकल मसाला स्टंट सीक्वेंस से भरा हुआ है। फ़िल्म के पहले हिस्‍से में रजनीकांत अपने चिर परिचित अंदाज़ में ही दिखे हैं, जिसके लिए वो जाने जाते हैं। उनकी एनर्जी और स्‍टाइल देखकर यह समझना मुश्किल है कि यह नायक अब 67 साल का हो चुका है। उनके साथ नाना पाटेकर भी अपने किरदार में दर्शकों को काफी प्रभावित करते हैं! 

रजनीकांत को हिंदी और मराठी में सुनना भी उनके फैंस के लिए एक अच्छा अनुभव हो सकता है! बहरहाल, पूरी कहानी पीड़ित और शोषित के ताने-बाने पर रची गयी है और रजनीकांत कैसे अपने लोगों को लड़ाई के लिए तैयार करते हैं यह देखना भी दिलचस्प है!

ज़रीना यानी हुमा कुरैशी काला की पूर्व प्रेमिका है और वो भी धारावी को संवारने के लिए पहुंची है। हालांकि, उसे यह बिल्कुल भी मालुम नहीं है कि धारावी को संवारने के पीछे आखिर असली मकसद क्या है? इस बीच हरि दादा कई बार काला पर जान लेवा हमला करता है लेकिन, असफल रहता है। बाद में हरि दादा काला की पत्नी और बेटे की हत्या कर देता है। उसके बाद शुरू होती है बदले और विरोध की कहानी जिसे फ़िल्म में बखूबी दिखाया गया है।

बता दें कि काला का क्‍लाइमैक्‍स थोड़ा लंबा है और यह कई लोगों को उबा सकता है। बहरहाल, फ़िल्म से जुड़ी टेक्नीकल टीम सिनेमटॉग्रफर मुरली, म्यूज़िक डायरेक्टर संतोष नारायण, एडिटर श्रीकर प्रसाद और आर्ट डायरेक्टर रामालिंगम आदि ने फ़िल्म में बेहतरीन काम किया है। बहरहाल, अगर आप रजनीकांत के फैन हैं तो आप यह फ़िल्म देख सकते हैं।

जागरण डॉट कॉम रेटिंग: पांच (5) में से ढाई (2.5) स्टार

अवधि: 2 घंटे 39 मिनट


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