Move to Jagran APP

रिव्यू: एक्शन से हंसाता खिलाड़ी 786

सलमान खान की तरह अक्षय कुमार ने भी मनोरंजन का मसाला और फार्मूला पा लिया है। लग सकता है कि वे सलमान खान की नकल कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि अभी हर स्टार और डायरेक्टर एक-दूसरे की नकल से कामयाबी हासिल करने की जल्दबाजी में हैं। इस दौर में मुख्यधारा की फिल्मों में मौलिकता की चाह रखेंगे तो थिएटर के बाहर ही रह

By Edited By: Published: Fri, 07 Dec 2012 03:44 PM (IST)Updated: Fri, 07 Dec 2012 04:44 PM (IST)
रिव्यू: एक्शन से हंसाता खिलाड़ी 786

सलमान खान की तरह अक्षय कुमार ने भी मनोरंजन का मसाला और फार्मूला पा लिया है। लग सकता है कि वे सलमान खान की नकल कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि अभी हर स्टार और डायरेक्टर एक-दूसरे की नकल से कामयाबी हासिल करने की जल्दबाजी में हैं। इस दौर में मुख्यधारा की फिल्मों में मौलिकता की चाह रखेंगे तो थिएटर के बाहर ही रहना होगा। आशीष आर. मोहन की 'खिलाड़ी 786' की प्रस्तुति में हाल-फिलहाल में सफल रही मसाला फिल्मों का सीधा प्रभाव है। जैसे कोई पॉपुलर लतीफा हर किसी के मुंह से मजेदार लगता है, वैसे ही हर निर्देशक की ऐसी फिल्में मनोरंजक लगती हैं।

loksabha election banner

'खिलाड़ी 786' का लेखन हिमेश रेशमिया ने किया है। वे इसके निर्माताओं में से एक हैं। सेकेंड लीड में वे मनसुख भाई के रूप में भी दिखाई पड़ते हैं। पिछली कुछ फिल्मों में दर्शकों द्वारा नापसंद किए जाने के बाद पर्दे पर आने का उन्होंने नया पैंतरा अपनाया है। फिल्म के प्रचार में दावा किया गया कि यह अक्षय कुमार की 'खिलाड़ी' सीरिज की फिल्म है, लेकिन यह दावा फिल्म के टायटल और एक संवाद तक ही सीमित है। 'खिलाड़ी 786' बिल्कुल अलग फिल्म है, जो मुख्य रूप से कॉमेडी और तेज रफ्तार एक्शन के सहारे चलती है।

'खिलाड़ी 786' में अक्षय कुमार उसी चिर-परिचित बेफिक्र और जवांमर्द अंदाज में है। चोरों के परिवार के 72 सिंह नकली पुलिस का काम बहादुरी से अंजाम देता है। एक ही दिक्कत है कि कोई भी लड़की उससे प्रेम नहीं करती। दरअसल, उस परिवार में कोई भी अपनी लड़की नहीं देता, परिवार की सारी औरतें विदेशी हैं। उधर नाकारा मनसुख पिता की नजरों में खुद को लायक साबित करने के लिए नामुमकिन शादी की चुनौती लेता है। वह 72 सिंह और इंदु तेंदुलकर की शादी के लिए आटे में नमक के बराबर झूठ बोलता है। इस झूठ की बुनियाद पर रचा गया ड्रामा सतही और कमजोर है।

इस फिल्म में लॉजिक, कार्य-कारण या विश्वसनीयता की उम्मीद न करें। लेखक और निर्देशक ने अपनी जरूरत के हिसाब से दृश्य संरचना की है। मुख्य उद्देश्य है कि दर्शकों को लगातार हंसते रहने के दृश्य मिलते रहें। ऐसी बेवकूफिया हों, जिन पर हंसी आए। ऐसी घटनाएं हों कि अचरज बना रहे और ऐसे एक्शन हों कि दर्शक रोमांचित हों। निर्देशक आशीष आर. मोहन इसमें सफल रहे हैं। रोहित शेट्टी के असिस्टेंट रहे आशीष आर. मोहन ने अपने उस्ताद के नक्श-ए-कदम पर चलने की सफल कोशिश की है।

और हां, हिमेश रेशमिया की गायकी और मौसिकी भी हैं इस फिल्म में। उन्होंने अपने सारे हुनर प्रदर्शित किए हैं। बस, सामने अक्षय कुमार को रखा है ताकि दर्शक खुशी-खुशी फिल्म को स्वीकारें।

अजय ब्रह्मात्मज

[ढाई स्टार]

अवधि-141 मिनट

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.