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प्यार में भाईगिरी-जयंता भाई की लव स्टोरी

मुंबई। हिंदी फिल्मों में गैंगस्टर और आम लड़की की प्रेम कहानी हम देखते रहे हैं। ऐसी फिल्मों में ज्यादातर लव स्टोरी का एंगल भर होता है। क्योंकि फिल्म का मुख्य उद्देश्य गैंगस्टर के आपराधिक जीवन के रोमांच पर रहता है। निर्देशक विनिल मार्कन नए रोमांच के साथ रोमांस के भी पर्याप्त दृश्य गढ़े हैं। मुंबई के उपनगर रिहाइशी इलाके में संयोग से आमने-सामने पड़ोसी की तरह रह रहे जयंता और सिमरन की लव स्टोरी अवश्रि्वसनीय होने के बावजूद रोचक लगती है।

By Edited By: Published: Fri, 15 Feb 2013 04:32 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2013 11:47 AM (IST)
प्यार में भाईगिरी-जयंता भाई की लव स्टोरी

मुंबई। हिंदी फिल्मों में गैंगस्टर और आम लड़की की प्रेम कहानी हम देखते रहे हैं। ऐसी फिल्मों में ज्यादातर लव स्टोरी का एंगल भर होता है, क्योंकि फिल्म का मुख्य उद्देश्य गैंगस्टर के आपराधिक जीवन के रोमांच पर रहता है। निर्देशक विनिल मार्कन नए रोमांच के साथ रोमांस के भी पर्याप्त दृश्य गढ़े हैं। मुंबई के उपनगर रिहाइशी इलाके में संयोग से आमने-सामने पड़ोसी की तरह रह रहे जयंता और सिमरन की लव स्टोरी अवश्रि्वसनीय होने के बावजूद रोचक लगती है।

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विवेक ओबेराय निस्संदेह योग्य और समर्थ अभिनेता हैं। निगेटिव इमेज की वजह से उनका काफी नुकसान हो चुका है। दर्शकों के बीच सी एक हिचक बनी हुई है। 'जयंताभाई की लव स्टोरी' देखते हुए विवेक ओबेराय की प्रतिभा की झलक मिलती है। रफ एवं रोमांटिक दोनों किस्म की भूमिकाओं में वे जंचते हैं। 'जयंताभाई की लव स्टोरी' में हम उन्हें स्पष्ट रूप से दो भूमिकाओं में देखते हैं। उन्होंने दोनों का ही सुंदर निर्वाह किया है। अगर सिमरन की भूमिका में कोई बेहतर अभिनेत्री रहती तो फिल्म अधिक प्रभावित करती। लेखक ने सिमरन के चरित्र पर मेहनत की है, लेकिन वही मेहनत नेहा शर्मा के परफारमेंस में नहीं है।

'जयंताभाई की लव स्टोरी' में नायक-नायिका के आकर्षण और प्रेम के कॉमिकल इवेंट एक सीमा के बाद बचकाने लगने लगते हैं। हालांकि लेखक-निर्देशक ने फिल्म के मध्य में इंटरेस्टिंग ट्विस्ट रखा है, फिर भी यह लव स्टोरी बार-बार ठहर जाती है। अपनी भूमिका निभाने में विवेक ओबेराय स्फूर्ति और गति लाते हैं, लेकिन नेहा शर्मा की शिथिलता दृश्यों को असंतुलित और कमजोर कर देती है। इस असंतुलन के कारण ही फिल्म अंतिम प्रभाव में कमजोर हो जाती है।

गैंगस्टर के रूप में विवेक ओबेराय को देखते हुए उनकी पहली फिल्म 'कंपनी' की याद आ सकती है। दरअसल, अधिकांश निगेटिव किरदारों की प्रतिक्रियाएं और मुद्राएं एक सी होती हैं। विवेक ओबेराय ने एक्शन और नाटकीय दृश्यों में कुछ नया करने की कोशिश की है। उन्हें जाकिर हुसैन का भरपूर सहयोग मिला है। ऐसी गौण भूमिकाओं में भी जाकिर हुसैन जान डाल देते हैं। निश्चित ही उन्हें बेहतर और बड़े किरदार मिलने चाहिए।

'जयंताभाई की लव स्टोरी' में जबरन गाने डाले गए हैं।

-अवधि-128 मिनट

-ढाई स्टार

-अजय ब्रह्मात्मज

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