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फिल्म समीक्षा: सत्य और भ्रम से भरपूर कहानी (तीन स्टार)

हॉरर और सुपरनेचुरल थ्रिलर फिल्म 'द फाइनल एग्जिट' रिलीज़ हो गई है। पढ़िए इस फिल्म का रिव्यू।

By Rahul soniEdited By: Published: Fri, 22 Sep 2017 02:27 AM (IST)Updated: Sat, 23 Sep 2017 07:45 AM (IST)
फिल्म समीक्षा: सत्य और भ्रम से भरपूर कहानी (तीन स्टार)
फिल्म समीक्षा: सत्य और भ्रम से भरपूर कहानी (तीन स्टार)

-पराग छापेकर

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मुख्य कलाकार: कुणाल रॉय कपूर, अर्चना शास्त्री, अनन्या सेनगुप्ता, इलीना काज़न, रेहना मल्होत्रा और स्कारलेट विल्सन।

निर्देशक: ध्वनिल मेहता

निर्माता: मृणाल झवेरी और विशाल राणा 

दुनियाभर में हॉरर फिल्मों के निर्माता-निर्देशकों को पूरा सम्मान मिला है लेकिन, हमारे यहां पर हॉरर फिल्म बनाने वालों को उतना सम्मान नहीं मिल पाया। लेकिन, यह भी उतना ही सच है कि हॉरर फिल्मों का अपना दर्शक वर्ग है। रामसे हॉरर स्कूल लंबे समय तक इन दर्शकों को उनकी पसंदीदा फिल्में परोसता आया है। और फिर आया राम गोपाल वर्मा का दौर! इस दौरान 'भूत' और 'डरना जरूरी है' जैसी कई फिल्मों को दर्शकों ने अच्छी प्रतिक्रिया दी। लेकिन, फिर भी इसकी संख्या कम ही रही। दोनों का ही अपना-अपना ट्रीटमेंट रहा है जो एक दूसरे से जुदा है। बहरहाल, इस हफ्ते रिलीज़ हुई 'द फाइनल एग्जिट' एक अलग ही तरह की हॉरर फिल्म है। इसे साइकोलॉजिकल थ्रिलर कहा जाए या फिलोसोफिकल हॉरर, यह तय कर पाना थोड़ा मुश्किल है।

यह कहानी है विद्युत की जो एक फैशन फोटोग्राफर है। साथ ही वह ड्रग एडिक्ट भी है। इसी नशे के चलते वह इस हद तक पहुंच जाता है कि उसे हैलोसीनेशन यानी भ्रम होने लगता है। वह सच और स्वप्न में फ़र्क नहीं कर पाता। सच और स्वप्न की इस यात्रा मे उसे जीवन मृत्यु के चक्र को भी समझने में मदद मिलती है। मगर फिर भी वह असमंजस में है आखिर सच्चाई है क्या? अंत में जो होता है उसे दर्शक के तौर पर हम सोच भी नहीं सकते! निर्देशक ध्वनिल मेहता ने सत्य और भ्रम से भरपूर इस कहानी को बहुत ही खूबसूरती से रचा है। एक लय में चलता स्क्रीनप्ले और कहानी की जटिलता लगातार आपको इंगेज़ करके रखती है। 

अभिनय की बात की जाए तो कुणाल राय कपूर अगर और मेहनत कर लेते तो उनके किरदार में और जान आ पाती। हालांकि, निर्देशक ने उन्हें ड्रग एडिक्ट बनाकर भावहीन चेहरे को जस्टिफाई कर लिया है। अनन्या अपनी छाप छोड़ जाती हैं। उनके रूप में बॉलीवुड आगे की संभावनाएं देख सकता है। इस फिल्म की सबसे बड़ी विशेषता उसका विषय और स्क्रीनप्ले तो है ही लेकिन, यह दोनों ही अच्छे सिनेमाटोग्राफर के अभाव में शायद दम तोड़ देते। मगर अजय पांडे ने उम्दा सिनेमेटोग्राफी की जिससे फिल्म को एक अलग स्तर पर पहुंचने में मदद मिली। कुल मिलाकर 'द फाइनल एग्जिट' हॉरर के चाहने वालों के लिए निश्चित तौर पर एक अलग और बेहतरीन ऑप्शन है।

जागरण डॉट कॉम रेटिंग: 5 में से 3 (*** स्टार)

अवधि: 1 घंटा 59 मिनट


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